जेल के कैदी की मौत पर जांच कर जवाब दो: आयोग ने लिया संज्ञान Investigate and respond to the death of a jail inmate: Commission

मप्र मानव अधिकार आयोग ने जेल अधीक्षक से जांच के बाद मांगा प्रतिवेदन
जबलपुर,यशभारत। जबलपुर जिले के नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय जेल में अंतिम सांस तक की सजा काट रहे एक दंडित कैदी की गत दिनों उल्टी-दस्त की शिकायत होने के बाद मृत्यु होने की घटना सामने आई थी। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के क्षेत्रीय कार्यालय प्रभारी फरजाना मिर्जा ने बताया कि समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार के आधार पर मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग की मुख्य पीठ भोपाल में प्रकरण पर सुनवाई करते हुए, अध्यक्ष मनोहर ममतानी तथा सदस्य राजीव कुमार टण्डन की युगलपीठ ने प्रथम दृष्टया मानव अधिकारों के हनन का मामला मानकर, जबलपुर सेंट्रल जेल के अधीक्षक से मामले की जांच कराकर, विहित प्रारूप में प्रतिवेदन मांगा है।
ये है मामला
नेताजी सुभाषचंद्र बोस केंद्रीय जेल जबलपुर में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदी की तबियत सुबह अचानक बिगड़ गई जिसे तत्काल इलाज के लिए जेल प्रशासन द्वारा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसकी मौत हो गई है। उधर मृतक के परिजनों ने यशभारत को बताया कि जेल के अंदर उनके बेटे राजा सोनकर के साथ जेल कर्मी बहुत पीटते थे जिससे उनके बेटे की तबियत बिगड़ी और फिर उसकी मौत हो गई। परिजनों की माने तो राजा के शरीर में चोट के कई निशान भी हैं। परिजनों ने जेल प्रशासन के दोषी कर्मियों के खिलाफ निष्पक्ष जांच करते हुए कार्रवाई की मांग प्रशासन से की है। उधर उप जेल अधीक्षक मदन कमलेश ने जेल के अंदर कैदी के साथ मारपीट की घटना से बिल्कुल इंकार किया है।
मुलाकात के समय बताता था हमारा बेटा: परिजन
परिजनों का ये भी कहना है कि जब वे जेल में राजा सोनकर से मुलाकात करने जाते थे तो राजा उन्हें बताता था कि जेल में उसे बहुत पीटा जाता है और आज ये घटना घटित हो गई।
इस संबंध में उप जेल अधीक्षक मदन कमलेश ने यशभारत को बताया कि दुष्कर्म के आरोप में आजीवन कारावास के साथ आखिरी सांस तक जेल में सजा भुगतने की मिली सजा के बंदी राजा सोनकर को सुबह आज अचानक उल्टी दस्त होने लगे और सांस लेने में दिक्कत होने लगी जिसे तत्काल इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां दो घंटे चले इलाज के बाद उसकी मौत हो गई। बंदी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी जिसे जेल के अंदर मानसिक रोगी वार्ड में रखा गया था। बंदी के परिजनों द्वारा जेल के अंदर मारपीट के आरोप निराधार हैं।
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