
पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने और परमाणु ब्लैकमेल की रणनीति अपनाने के जवाब में, भारत अपनी सैन्य रणनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव कर सकता है. यह बदलाव तेजी से आक्रमण करने की क्षमता वाले ‘कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत’ को अपनाने के रूप में देखा जा रहा है.
पाकिस्तान का परमाणु ब्लैकमेल: भारत के लिए चुनौती: भारत लंबे समय से पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का शिकार रहा है. पाकिस्तान अक्सर भारत को सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक सैन्य कार्रवाई करने से रोकने के लिए परमाणु हथियारों का सहारा लेने की धमकी देता रहा है.
भारत का पलटवार: सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयरस्ट्राइक: हालांकि, भारत ने 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 में बालाकोट एयरस्ट्राइक करके यह स्पष्ट कर दिया है कि वह पाकिस्तान के परमाणु ब्लैकमेल से डरने वाला नहीं है और आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दृढ़ संकल्पित है.
कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत: त्वरित और निर्णायक कार्रवाई: अब, पाकिस्तान को यह संदेश और भी स्पष्ट रूप से देने के लिए, भारत ‘कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत’ को अपनी सैन्य रणनीति का हिस्सा बना सकता है. यह सिद्धांत भारतीय सेना को दुश्मन को प्रतिक्रिया का मौका दिए बिना, कम समय में तेजी से आक्रमण करने की क्षमता प्रदान करता है.
सिद्धांत का विकास और उद्देश्य: ‘कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत’ को भारतीय सेना ने 2004 में विकसित करना शुरू किया था. इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित किसी भी बड़े आतंकी हमले की स्थिति में, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के हस्तक्षेप से पहले भारत त्वरित और निर्णायक सैन्य कार्रवाई कर सके. इस रणनीति का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह पाकिस्तान को जवाबी परमाणु हमले करने के लिए बहुत कम समय देगा.
त्वरित लामबंदी और आश्चर्य का तत्व: इस सिद्धांत की सफलता त्वरित लामबंदी और दुश्मन को आश्चर्यचकित करने की क्षमता पर निर्भर करती है. भारतीय सेना को इस तरह से प्रशिक्षित और सुसज्जित किया जाएगा कि वह आदेश मिलने के 48 घंटों के भीतर आक्रामक कार्रवाई शुरू कर सके.

सैन्य विशेषज्ञों की राय: भारतीय सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि जब ‘कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत’ पूरी तरह से लागू हो जाएगा, तो पाकिस्तान भारत की प्रभावी और त्वरित प्रतिक्रिया के डर से छद्म युद्ध छेड़ने से हिचकिचाएगा.
सिद्धांत की उत्पत्ति: 2001-02 का गतिरोध: ‘कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत’ की आवश्यकता 2001-02 के भारत-पाकिस्तान सैन्य गतिरोध के दौरान महसूस हुई. संसद पर आतंकी हमले के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन पराक्रम’ शुरू किया था, लेकिन सैनिकों की धीमी गति से सीमा पर तैनाती के कारण पाकिस्तान को जवाबी कार्रवाई करने और अंतर्राष्ट्रीय दबाव बनाने का पर्याप्त समय मिल गया था.
‘कोल्ड स्टार्ट’ कैसे काम करेगा:
- पिवट कोर का आधुनिकीकरण: रक्षात्मक भूमिका निभाने वाली कोर को आक्रामक क्षमता प्रदान करने के लिए पुनर्गठित किया जाएगा, जिससे वे ‘कोल्ड स्टार्ट’ के तहत तेजी से कार्रवाई कर सकें.
- स्ट्राइक कोर की निकटता: आक्रमणकारी स्ट्राइक कोर को सीमा के करीब तैनात किया जाएगा ताकि उन्हें कम समय में लॉन्च किया जा सके.
- एकीकृत युद्ध समूह (आईबीजी): भारतीय सेना डिवीजन के आकार के एकीकृत युद्ध समूहों (आईबीजी) पर ध्यान केंद्रित कर रही है. इन आत्मनिर्भर इकाइयों में पैदल सेना, तोपखाना, बख्तरबंद वाहन और अन्य आवश्यक सैन्य संसाधन शामिल होंगे, जो उन्हें 12-48 घंटों के भीतर युद्ध के लिए तैयार कर देंगे.
- सीमित आक्रामक अभियान: आईबीजी सीमा पार सीमित आक्रामक अभियान चलाएंगे और उनके द्वारा हासिल की गई सफलता का लाभ स्ट्राइक कोर उठाएंगे.
- परमाणु सीमा का उल्लंघन नहीं: यह सिद्धांत इस बात पर जोर देता है कि भारतीय सेनाएं पाकिस्तान की परमाणु ‘रेड लाइन्स’ का उल्लंघन किए बिना अपने सैन्य और राजनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करेंगी.
- सौदेबाजी की शक्ति: कब्जे वाले क्षेत्रों का उपयोग पाकिस्तान को आतंकवादी समूहों को अपना समर्थन बंद करने के लिए मजबूर करने हेतु सौदेबाजी की शक्ति के रूप में किया जाएगा.
एकीकृत युद्ध समूह (आईबीजी): आईबीजी का नेतृत्व मेजर-जनरल रैंक के अधिकारी करेंगे और इनमें लगभग 5,000 सैनिक होंगे. ये ब्रिगेड से बड़े और डिवीजन से छोटे होंगे और त्वरित कार्रवाई के लिए सभी आवश्यक संसाधनों से लैस होंगे.
आईबीजी के गठन की योजना: भारतीय सेना ने शुरू में दो आईबीजी बनाने की योजना बनाई थी – एक पश्चिमी सीमा पर 9 कोर के तहत और दूसरा उत्तरी सीमा पर 17 स्ट्राइक कोर के तहत.
आईबीजी की वर्तमान स्थिति: सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने हाल ही में कहा है कि 2025 में आईबीजी पर एक प्रस्तुति रक्षा मंत्रालय और अन्य प्रमुख निर्णयकर्ताओं को सौंपी जा चुकी है, और इस साल अंतिम मंजूरी मिलने की उम्मीद है.
भारत के ‘कोल्ड स्टार्ट’ सिद्धांत पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: पाकिस्तान ने भारत के ‘कोल्ड स्टार्ट’ सिद्धांत का मुकाबला करने के लिए सामरिक परमाणु हथियारों (टीएनडब्ल्यू) के उपयोग की धमकी दी है.
- 2019 में, तत्कालीन पाकिस्तानी रेल मंत्री शेख रशीद अहमद ने दावा किया था कि उनके देश के पास “125-250 ग्राम के परमाणु बम” हैं जो भारत में लक्षित क्षेत्रों पर हमला कर सकते हैं.
- 2017 में, तत्कालीन प्रधान मंत्री शाहिद ख़ाकान अब्बासी ने भी कहा था कि पाकिस्तान ने भारतीय सेना के ‘कोल्ड स्टार्ट’ सिद्धांत का मुकाबला करने के लिए कम दूरी के परमाणु हथियार विकसित किए हैं.
पाकिस्तान की टीएनडब्ल्यू की धमकी: निवारक मात्र? विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान का टीएनडब्ल्यू कार्यक्रम वास्तविक युद्धक्षेत्र में उपयोग के लिए एक उपकरण के बजाय, विश्वसनीय संकेतों के माध्यम से निवारक के रूप में कार्य करता है.
सामरिक परमाणु हथियारों के उपयोग की अव्यवहार्यता: कई कारणों से सामरिक परमाणु हथियारों का उपयोग एक जोखिम भरा विकल्प है:
- भारत की ओर से बड़े पैमाने पर परमाणु जवाबी कार्रवाई का खतरा.
- टीएनडब्ल्यू जटिल और महंगे हथियार हैं, जिनका निर्माण और रखरखाव मुश्किल है.
- युद्ध के दौरान कमान और नियंत्रण को विकेंद्रीकृत करने से अनधिकृत उपयोग का खतरा बढ़ जाता है.
- खुले में भंडारण और बार-बार परिवहन से दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ता है.
- दुश्मन के पारंपरिक हथियारों से परमाणु हथियारों के नष्ट होने का खतरा.
निष्कर्ष: ‘कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत’ पाकिस्तान के परमाणु ब्लैकमेल का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने और सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करने के लिए भारत के लिए एक महत्वपूर्ण सैन्य विकल्प हो सकता है. हालांकि, पाकिस्तान द्वारा सामरिक परमाणु हथियारों के उपयोग की धमकी इस रणनीति के कार्यान्वयन को जटिल बनाती है. सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि टीएनडब्ल्यू का उपयोग अव्यावहारिक है और इससे भारत की ओर से विनाशकारी जवाबी कार्रवाई हो सकती है, जिससे दोनों देशों के बीच पूर्ण पैमाने पर युद्ध छिड़ने का खतरा बढ़ जाएगा. इसलिए, भारत को इस सिद्धांत को सावधानीपूर्वक और सभी संभावित परिणामों का आकलन करने के बाद ही लागू करना होगा.