जबलपुरदेशभोपालमध्य प्रदेशराज्य

रावण के अनन्य भक्त ‘लंकेश’ संतोष नामदेव का दिल का दौरा पड़ने से निधन

Ravana's ardent devotee 'Lankesh' Santosh Namdev dies of heart attack

रावण के अनन्य भक्त ‘लंकेश’ संतोष नामदेव का दिल का दौरा पड़ने से निधन

जबलपुर (मध्य प्रदेश): जबलपुर के पाटन कस्बे में रहने वाले और रावण के अनन्य भक्त के रूप में प्रसिद्ध संतोष नामदेव उर्फ ‘लंकेश’ का 72 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से शनिवार शाम को निधन हो गया। संतोष नामदेव न केवल जबलपुर बल्कि पूरे मध्य प्रदेश में रावण की पूजा के लिए जाने जाते थे।

​50 साल पुरानी भक्ति परंपरा

​पेशे से टेलर संतोष नामदेव ने पहली बार 1975 में पाटन में रावण की मूर्ति स्थापित कर पूजा शुरू की थी। लगभग 50 वर्षों से वह हर साल नवरात्रि के 10 दिनों तक पाटन में भगवान शिव के साथ-साथ रावण की प्रतिमा स्थापित कर आराधना करते थे। उनकी रावण के प्रति इतनी गहरी आस्था थी कि उन्होंने अपने दोनों बेटों के नाम भी रावण के पुत्रों के नाम पर मेघनाद और अक्षय रखे थे।

​शुरुआत में परिवार और स्थानीय लोगों ने उनकी इस अनोखी पूजा का विरोध किया, लेकिन जब उन्होंने किसी की बात नहीं सुनी और भक्ति जारी रखी, तो धीरे-धीरे लोग भी उनके साथ शामिल होने लगे। वह रावण को एक विद्वान और ज्ञानी मानते थे, और उनकी सुबह ‘जय लंकेश’ से शुरू होती थी।

​रावण की प्रतिमा लेने जाते समय बिगड़ी तबियत

​घटना शनिवार शाम की है, जब संतोष नामदेव अपने साथियों के साथ पाटन बाज़ार से रावण की प्रतिमा लेने जाने वाले थे। शाम करीब 5 बजे, घर से निकलने के दौरान ही उन्हें सीने में दर्द हुआ और वह गिर गए। मौके पर मौजूद उनके दोनों बेटे तुरंत उन्हें पाटन स्वास्थ्य केंद्र ले गए, जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

​जैसे ही लंकेश के निधन की खबर जबलपुर और पाटन में फैली, बड़ी संख्या में लोग उनके आवास पर पहुँच गए। स्थानीय लोगों ने बताया कि हर साल की तरह वह आज भी रावण की प्रतिमा लेने जा रहे थे, लेकिन इसी दौरान उनकी तबियत बिगड़ी और उनका निधन हो गया।

​रामलीला से मिली थी प्रेरणा

​संतोष नामदेव को रावण से लगाव बचपन में रामलीला में अभिनय करने के दौरान हुआ। छोटे में वह रावण की सेना में सैनिक का किरदार निभाते थे, और बाद में उन्हें रावण का किरदार निभाने का मौका भी मिला। इस किरदार से वह इतने प्रभावित हुए कि वह रावण को अपना गुरु और आराध्य मानने लगे, और यहीं से उनकी रावण भक्ति की शुरुआत हुई।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button