न्याय पाना हर नागरिक का मौलिक अधिकार -मुख्यमंत्री डॉ. यादव
न्याय और सुशासन से राष्ट्र, देश समाज, मजबूत बनता है -राजू घोलप

इंदौर, यशभारत। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने न्यायविदों के बीच खड़े होकर बड़े ही आत्मविश्वास के साथ कहा कि न्याय और सुशासन से राष्ट्र व समाज मजबूत बनता है साथ ही केन्द्र और राज्य सरकारों तथा प्रशासनिक अधिकारियों की जबावदारी पक्की हो जाती है श्री यादव ने यह बात शुक्रवार को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय और राज्य न्यायिक अकादमी द्वारा सबसे बड़े सभाग्रह ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर स्कीम नंबर 54 में आयोजित संगोष्टि में न्यायधीशों, अधिवक्ताओं और कानून के विद्यार्थियों के बीच कही।
संगोष्ठी का उद्देश्य डेटा आधारित अर्थव्यवस्था की लेनदेन की व्यवस्था से पैदा हो रहीं चुनौतियों को समझकर उसे मजबूत करना है । मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि न्याय पाना देश के प्रत्येक नागरिक का बुनियादी, संवैधानिक और मौलिक तथा मानवीय अधिकार है। संघीय शासन का आधार न्याय जीवन, भोजन ,स्वास्थ्य के अधिकारों की समानता के साथ रक्षा करना है। भारत देश में न्याय के हर पक्ष पर मंथन कर फैसला देने की पुरानी परंपरा है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव इंदौर में आयोजित इवोल्विंग होराइजन्स नेविगेटिंग कॉम्प्लेक्सिटी एंड इनोवेशन इन कमर्शियल एंड आर्बिट्रेशन लॉ इन द डिजिटल वर्ल्ड विषय पर आयोजित विधि विशेषज्ञों की अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी (इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस) के शुभारंभ सत्र को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्तिगणों के साथ दीप प्रज्जवलन कर इस संगोष्ठी का शुभारंभ किया।
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधिपति न्यायमूर्ति श्री जितेन्द्र कुमार माहेश्वरी ने कहा कि न्यायपालिका का लक्ष्य कानून का पुनर्निर्माण करना नहीं है, बल्कि निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के विचार को सीमित किए बिना निष्पक्षता की सीमाओं का विस्तार करना है। उन्होंने आगे कहा कि आधुनिक अर्थव्यवस्था में, डेटा पर नियंत्रण केवल फर्मों या कंपनियों के स्वामित्व से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है, और इसलिए, आर्थिक विकास को बाधित किए बिना पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जानी चाहिए। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधिपति न्यायमूर्ति श्री अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कानूनी पेशा तकनीकी प्रगति का अपवाद नहीं रह सकता। प्रौद्योगिकी-संचालित और स्वचालित अनुबंधों के उदय के साथ, न्यायपालिका को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि तकनीकी विकास के कारण न्याय से समझौता न हो और इन प्रगति के साथ विकसित होना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधिपति न्यायमूर्ति श्री राजेश बिंदल ने कहा कि जैसे-जैसे व्यापार का विस्तार होता है, विवाद स्वाभाविक रूप से बढ़ते हैं और इसका समाधान न्यायपालिका में ही निहित है। चूँकि भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है, इसलिए हमारी मानसिकता में बदलाव लाने और सभी हितधारकों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान करने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उपयोगी तो है, लेकिन यह पेटेंट और पंजीकरण जैसे क्षेत्रों में नई चुनौतियाँ भी प्रस्तुत करता है। न्यायाधिपति न्यायमूर्ति श्री अरविंद कुमार ने कहा कि भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था का केवल एक भागीदार ही नहीं, बल्कि एक निर्माता भी है। न्याय से समझौता किए बिना, व्यापार में सुगमता और नवाचार को साथ-साथ आगे बढऩा चाहिए।
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति न्यायमूर्ति श्री संजीव सचदेवा ने विकसित होते क्षितिज डिजिटल दुनिया में वाणिज्यिक और मध्यस्थता कानून में जटिलता और नवाचार को नेविगेट करना विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधिपति न्यायमूर्ति श्री जे.के. माहेश्वरी, सर्वो’च न्यायालय के न्यायाधीशगण और अन्य न्यायाधीशगणों और विदेशी प्रतिनिधियों का स्वागत किया। उन्होंने पारदर्शिता, दक्षता और कानून के शासन को बनाए रखते हुए तकनीकी परिवर्तन के अनुकूल होने में न्यायपालिका की भूमिका पर बल दिया।
भारत के सॉलिसिटर जनरल श्री तुषार मेहता ने अपने संबोधन में कहा कि कानूनों को तकनीकी प्रगति के अधीन हुए बिना उनके साथ विकसित होना चाहिए। मध्यस्थ दायित्व और एआई-सहायता प्राप्त याचिकाओं के प्रारूपण जैसे उभरते मुद्दों पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने इस संगोष्ठी की सराहना ऐसी उभरती चुनौतियों पर विचार-विमर्श के लिए एक महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय पहल के रूप में की।
इस अवसर पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की तीन नई तकनीकी पहलों का भी गणमान्य व्यक्तियों द्वारा उद्घाटन किया गया। मध्यप्रदेश उ’च न्यायालय, इंदौर पीठ के प्रशासनिक न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री विवेक रूसिया द्वारा सभी अतिथियों का परिचय कराया गया। संगोष्ठी में ऑनलाइन इंटर्नशिप फॉर्म जमा करने का सॉफ्टवेयर, केस डायरी की ऑनलाइन संचार प्रणाली, और समझौता योग्य अपराधों के लिए समाधान आपके द्वार के बारे में बताया गया। संगोष्ठी के शुभारंभ सत्र के समापन पर मध्यप्रदेश राÓय न्यायिक अकादमी, जबलपुर के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री विवेक अग्रवाल द्वारा सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का धन्यवाद एवं आभार ज्ञापित किया गया। यह संगोष्ठी न्यायिक क्षमता को मजबूत करने और डिजिटल युग में कानूनी उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए उ’च न्यायालय की प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है।
अब ऑन लाइन सिस्टम से त्वरित न्याय प्रणाली प्रभावी होगी
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मौजूदा मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा ने पदभार ग्रहण करने के बाद आईटी से जुड़ी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन करने से उच्च न्यायालय की कार्रवाई को पेपरलेस और त्वरित बनाने के लिए प्रकरण सूचना प्रणाली और नया साफ्टवेयर तैयार किया है । अभी तक राज्य की लचर व्यवस्था यह थी कि प्रकरण की डायरी कोर्ट में मंगवाने के लिए महाधिवक्ता कार्यालय द्वारा समय-समय पर पुलिस विभाग को रेडियो संदेश या ईमेल अथवा पत्र लिखा जाता था इसके बाद प्रकरण की डायरी महाधिवक्ता कार्यालय में आती थी । उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सचदेवा की विषय रुची के चलते इसमें लगने वाले लंबे समय की बचत होने से अब ऑन लाइन सिस्टम से त्वरित न्याय प्रणाली प्रभावी होगी।







