गजाधर बाबू के उपेक्षित जीवन को दर्शाता है नाटक वापसी

गजाधर बाबू के उपेक्षित जीवन को दर्शाता है नाटक वापसी
भोपाल यशभारत। रवींद्र भवन में मंगलवार को वापसी नाटक का मंचन किया गया। वापसी नाटक गजाधर बाबू की कहानी है जो स्टेशन मास्टर की नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद अपने ही घर में उपेक्षित जीवन जीने को मजबूर हैं। नाटक में गजाधर बाबू केवल एक पात्र नहीं, बल्कि उस हर बुजुर्ग का प्रतीक है, जो जीवनभर संघर्ष करता है, पर अंत में अपने ही घर में बेगाना बन जाता है। नाटक की खास बात यह है कि इसका मंच पहले से तैयार नहीं होता है, बल्कि नाटक के बीच में ही एक-एक कर के सेट बनाया जाता है। नाटक में भावुक पल और पिता के दर्द को बयां करने के लिए पवन करण और पुनीत सूर्यवंशी द्वारा रचित कविताएं प्रस्तुत की गई। नाटक की कहानी गजाधर बाबू के घर लौटने से होती है, जहां बेटा घर का मालिक बन बैठा है। बहू और बेटी काम नहीं करतीं। उनकी उपस्थिति से परिवार को असहजता होती है। उनकी राय की अनदेखी होती है। पत्नी भी अब बच्चों के पक्ष में खड़ी हो जाती है। उनका कमरा बदल दिया जाता है, ताकि वह दूसरों की स्वतंत्रता में बाधा न बनें। अंत में भावनात्मक उपेक्षा से आहत होकर वे फिर से नौकरी की तलाश में घर छोडऩे का निर्णय लेते हैं। एक घंटे 10 मिनट के इस नाटक की कहानी उषा प्रियवंदा की लिखित लघु कथाओं पर आधारित है। इसका निर्देशन सौरभलोधी ने किया है। नाटक के मंच पियूष पांडा, समृद्धि त्रिपाठी, पूजा विश्वकर्मा, दीक्षा, सिद्धार्थ, पुनीत, सृजन ने प्रस्तुति दी।