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बेतुका बयान कोर्ट का संज्ञान, अब जमकर देश में गर्मायी सियासत, चंद घंटों बाद एफआईआर फिर इस्तीफा!!!

जबलपुर यश भारत।ऑपरेशन सिंदूर की प्रेस ब्रीफिंग करने से चर्चा में आईं कर्नल सोफिया पर अमर्यादित बयानबाजी करने वाले मप्र सरकार में मंत्री विजय शाह पर गंभीर आपराधिक धाराओं में मामला पंजीबद्ध करें। इसके लिए हाईकोर्ट ने सरकार को शाम 6 बजे तक का समय दिया गया है। आदेश के बाद राजनीतिक गलियारों में हडक़ंप मचा हुआ है।
उल्लेखनीय है कि डॉ. मोहन यादव की सरकार के मंत्री विजय शाह इसके पहले भी कई बार विवादित बयानों के चलते सरकार को कटघरे में खड़ा कर चुके हैं।विवादित बयानों के चलते भाजपा के कई शीर्ष नेता भी नाराज हैं। मंत्री शाह ने सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी के बारे में विवादित टिप्पणी की थी, जिस पर कांग्रेस ने उनके इस्तीफे की मांग की है। मंत्री शाह ने अपने बयान को लेकर मांफी मांगते हुए कहा कि उनका इरादा किसी को ठेस पहुंचाना नहीं था। किंतु कांग्रेसी नहीं माने और माफी को स्वीकार नहीं किया। उनके इस्तीफे की मांग की जा रही है।हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि शाह को तुरंत गिरफ्तार किया जाएगा, क्योंकि मंत्रिमंडल में उनकी स्थिति और बीजेपी का समर्थन इस मामले को जटिल बना सकता है। पुलिस ने कोर्ट को अगली सुनवाई में प्रगति रिपोर्ट सौंपने की बात कही है। राजनैतिक गलियारों और जनता के समाजिक पटल पर सतत रूप से कुछ सवाल पूछे जा रहे हैं जिसमें कि एक मंत्री का ऐसा बयान क्या मध्यप्रदेश सरकार की छवि को धूमिल करता है? बीजेपी की चुप्पी क्या उनकी सहमति को दर्शाती है?क्या शाह को मंत्रिमंडल से हटाकर बीजेपी अपनी छवि बचा पाएगी? क्या पुलिस कोर्ट के आदेश का पूरी तरह पालन करेगी? और सबसे बड़ा सवाल-क्या कर्नल सोफिया और देश की जनता को इस अपमान का इंसाफ मिलेगा? अगले कुछ दिन मध्यप्रदेश की सियासत और न्याय व्यवस्था के लिए निर्णायक होंगे। फिलहाल, विजय शाह की कुर्सी और साख दोनों दांव पर हैं, और हाईकोर्ट का आदेश ने इस आग में और घी डाल दिया है।

 

सरकार की अग्निपरीक्षा
विजय शाह का कर्नल सोफिया पर दिया गया बयान अब उनकी राजनीतिक और कानूनी मुसीबत बन गया है। जबलपुर हाईकोर्ट का स्वत: संज्ञान और FIR का आदेश इस मामले को राष्ट्रीय स्तर पर ले गया है। यह न केवल शाह की व्यक्तिगत जवाबदेही का सवाल है, बल्कि बीजेपी सरकार की नैतिकता और सेना के प्रति सम्मान की भी परीक्षा है।

सियासी घमासान, बीजेपी पर दबाव
हाईकोर्ट के आदेश ने बीजेपी को बैकफुट पर ला दिया है। कांग्रेस ने इस मामले को हाथों-हाथ लिया और शाह की बर्खास्तगी के साथ-साथ बीजेपी की मंशा पर सवाल उठाए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “बीजेपी की चुप्पी उनकी सहमति को दर्शाती है। अगर शाह को अब भी नहीं हटाया गया, तो यह सेना और देश की बेटियों का अपमान होगा।”

मप्र कांग्रेस प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी ने कहा -हम न्यायालय के इस साहसिक और त्वरित निर्णय का स्वागत करते हैं-
उच्च न्यायालय के फैसले पर कांग्रेस प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी ने कहा कि हम न्यायालय के इस साहसिक और त्वरित निर्णय का स्वागत करते हैं और मांग करते हैं कि भाजपा नेताओं के ऐसे गैरजिम्मेदार बयानों पर जिसमें भारत के जवान और किसान का निरंतर जो अपमान किया जा रहा हैं उस पर अंकुश लगे , जिससे समाज में नफरत और विभाजन फैलाने वालों को स्पष्ट संदेश जाए ।त्रिपाठी ने कहा कि जहां एक ओर पूरा देश भारत की बेटी और भारतीय सेना की शान कर्नल सोफिया कुरैशी के समर्थन में एकजुट होकर खड़ा है, वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी अपने बेशर्म मंत्री विजय शाह को बचाने में जुटी हुई है। उन्होंने आगे कहा कि यह केवल एक महिला का नहीं, बल्कि देश की सेना और गौरवशाली परंपरा का अपमान है, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। बीजेपी की चुप्पी और बचाव की कोशिश यह दर्शाती है कि वह महिलाओं के सम्मान और सेना की गरिमा को लेकर गंभीर नहीं है।

बीजेपी की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, पार्टी हाईकोर्ट के आदेश का अध्ययन कर रही है। मुख्यमंत्री मोहन यादव पर शाह को मंत्रिमंडल से हटाने का दबाव बढ़ रहा है। कुछ बीजेपी नेताओं का कहना है कि शाह का बयान “जोश में गलती” था, लेकिन कोर्ट का आदेश इसे गंभीर बना देता है।

 

कोर्ट ने क्या कहा -हाईकोर्ट जबलपुर की खंडपीठ के जस्टिस अतुल श्रीधरन एवं जस्टिस अनुराधा शुक्ला ने स्वप्रेरणा से यह निर्देश दिए हैं। जबलपुर हाईकोर्ट के जस्टिस अतुल श्रीधरन ने कर्नल सोफिया कुरैशी पर विजय शाह के बयान को “अत्यंत आपत्तिजनक, सेना का अपमान करने वाला, और महिला गरिमा के खिलाफ” करार दिया। कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए माना कि यह बयान न केवल मानहानि (IPC धारा 499/500) और महिला की गरिमा का अपमान (IPC धारा 509) का मामला है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता और सेना के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला भी है। कोर्ट ने मध्यप्रदेश पुलिस को निर्देश दिया कि शाह के खिलाफ तत्काल FIR दर्ज की जाए, जिसमें निम्नलिखित धाराएं शामिल हों:

-IPC धारा 509: महिला की गरिमा का अपमान।
-IPC धारा 153A: धार्मिक आधार पर वैमनस्य फैलाना।
-BNS (भारतीय न्याय संहिता) की प्रासंगिक धाराएं: राष्ट्रीय सम्मान और एकता के खिलाफ अपराध।

कोर्ट ने आदेश में कहा, “यह बयान भारतीय सेना की एक वरिष्ठ महिला अधिकारी के सम्मान पर हमला है, जो देश की शान हैं। इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। पुलिस 4 घंटे के भीतर FIR दर्ज करे और अगली सुनवाई में प्रगति रिपोर्ट पेश करे।”

कानूनी स्थिति: हाईकोर्ट का आदेश स्पष्ट है कि शाह के खिलाफ FIR दर्ज हो। अगर पुलिस कार्रवाई में देरी करती है, तो कोर्ट अवमानना का मामला शुरू कर सकता है। शाह पर मानहानि और अन्य धाराओं में सजा हो सकती है, जिसमें 2 से 7 साल तक की जेल संभव है।

जिन फैसलों पर होगी सबकी नजर –

FIR और जांच: शाह की गिरफ्तारी और पूछताछ पर सबकी नजर है। अगली सुनवाई में कोर्ट प्रगति रिपोर्ट मांगेगा।

बीजेपी का फैसला: क्या शाह को मंत्रिमंडल से हटाया जाएगा? मुख्यमंत्री मोहन यादव और दिल्ली हाईकमान का फैसला निर्णायक होगा।

कांग्रेस का दबाव: कांग्रेस इस मामले को विधानसभा और सड़कों पर उठाएगी। भोपाल और इंदौर में प्रदर्शन की योजना बन रही है।

सामाजिक प्रतिक्रिया: सेना के पूर्व अधिकारी और महिला संगठन शाह के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

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