भारत भाषाओं का संगम: भोपाल में सम्मानित हुए देश-विदेश के हिंदी विद्वान

भारत भाषाओं का संगम: भोपाल में सम्मानित हुए देश-विदेश के हिंदी विद्वान
यश भारत, भोपाल: सोमवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राष्ट्रीय हिंदी अलंकरण सम्मान समारोह में देश और विदेश के प्रतिष्ठित साहित्यकारों और शोधकर्ताओं को सम्मानित किया। भोपाल के रविंद्र भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत दुनिया का ऐसा अकेला देश है, जहाँ कदम-कदम पर भाषाओं और बोलियों की विविधता देखने को मिलती है। यह भाषाई विविधता ही हमारी संस्कृति की असली पहचान है।
’बी इंडियन, बाय इंडियन’ अभियान का आगाज
समारोह में मुख्यमंत्री ने ‘Be Indian, Buy Indian, हमारी-लक्ष्मी हमारे पास’ अभियान की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य भारतीय उत्पादों को बढ़ावा देना है। उन्होंने राजा भोज के काल का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय कवियों को एक-एक शब्द पर सोने की ईंटें दी जाती थीं, जो भाषा और साहित्य के प्रति हमारे गौरवशाली इतिहास को दर्शाता है। मुख्यमंत्री ने रानी दुर्गावती के जीवन पर आधारित काव्यों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
तकनीक और साहित्य का सम्मान
इस समारोह में केवल साहित्यिक विभूतियों को ही नहीं, बल्कि तकनीक, समाज सेवा और विज्ञान के क्षेत्र में काम करने वाले विशेषज्ञों को भी सम्मानित किया गया। विदेश में हिंदी का प्रचार-प्रसार करने वाले विद्वानों को भी विशेष रूप से सराहा गया।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को WOW अवॉर्ड एशिया द्वारा विक्रमोत्सव 2025 के लिए मिला गोल्ड अवॉर्ड भी भेंट किया गया।
इस अवसर पर कई विद्वानों को सम्मानित किया गया, जिनमें राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान से ऑस्ट्रेलिया की रीता कौशल और इंग्लैंड की डॉ. वंदना मुकेश, तथा राष्ट्रीय फादर कामिल बुल्के सम्मान से रूस की डॉ. इंदिरा गाजिएवा और श्रीलंका की पद्मा जोसेफिन वीरसिंघे शामिल हैं।







