मौसम की मार : अधिक वारिश से फसलों की वृद्धि रुकी : मक्का के पौधों की जड़ो में सड़न, सब्जियों पर पड़ रहा विपरीत प्रभाव
सिवनी यश भारत-जिले में सामान्य औसत से अधिक वर्षा होने के कारण फसलों की बढ़त (ग्रोथ) रूक गई है। आसमान में बादलों के छाए रहने से मक्का फसल में जीवाणु तना सड़न रोग तेजी से फैल रहा है। जबकि सोयाबीन में पीला पोजेक का प्रकोप देखा जा रहा है। कृषि विज्ञानियों के अनुसार भिंडी, मिर्च तथा बेलवर्गीय फसल में कई तरह के कीट हमला कर रहे हैं।
खेतों में पानी भराव के कारण 5 से 10 प्रतिशत मक्का फसल को हानि संभावित है। मौसम साफ होने पर मक्का, सोयाबीन व सब्जी फसल में बढ़त को बरकरार रखने कृषि अधिकारियों ने नैनो यूरिया के अलावा सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव करने की सलाह किसानों को दी जा रही हैं।
खेतो से पानी निकासी की करे व्यवस्था:-
कृषि उपसंचालक मोरिस नाथ ने बताया कि रोगग्रस्त फसलों के बेहतर प्रबंधन हेतु आवश्यक दवाओं का छिड़काव करने की सलाह कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानियों द्वारा किसानों को लगातार दी जा रही है। साथ ही आगामी दिनों में वर्षा की संभावना को देखते हुए खेतों से जल निकास का उचित प्रबंध करने कहा जा रहा है। ज्यादा वर्षा दो लाख हेक्टेयर में लगी धान फसल के लिए लाभकारी है। लेकिन वर्षा जारी रहेगी, तो धान फसल पीली पड़ सकती है। जिले में 1.88 लाख हेक्टेयर में मक्का, 23 हजार में अरहर, 12 हजार में उड़द, 6 हजार में मूंग, 15 हजार में सोयाबीन तथा 6500 हेक्टेयर में कोदो-कुटकी फसल लगी है। जिले में 1 जून से 5 अगस्त तक 885.6 मिमी वर्षा हो चुकी है। जबकि इस अवधि तक सामान्य औसत वर्षा 576 मिमी है।
नाली बनाकर खेती कर रहे किसान:-
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख व वरिष्ठ विज्ञानी डा. शेखर बघेल ने बताया कि अतिवर्षा के कारण किसानों के खेतों में जल जमाव से मक्का फसल की जड़ों में सड़न आ रही है। हालाकि ज्यादातर किसानों ने आधुनिक पद्धति अपनाते हुए नाली बनाकर खेतों में मक्का सहित दूसरी फसलें लगाना शुरू कर दिया है। इससे फसल हानि कम होगी। लेकिन आगामी दिनों में मौसम साफ नहीं होने पर मक्का सहित दलहनी और तिलहन फसलों को ज्यादा हानि हो सकती है। उन्होंने बींझावाड़ा के खेतों का जायजा लिया। जहां खेतों में जल भराव के कारण फसलों की बढ़त रूक गई है।