जबलपुर: घाटपिपरिया का ब्रिटिशकालीन तालाब भू-माफिया के कब्जे में, पानी का भीषण संकट, ग्रामीण परेशान

जबलपुर यशभारत। जिले की ग्राम पंचायत घाटपिपरिया में स्थित ब्रिटिशकालीन 11 एकड़ का ऐतिहासिक तालाब भू-माफिया के अतिक्रमण और मनमानी का शिकार हो गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि संगठित भू-माफिया ने लगभग 2 एकड़ तालाब को अवैध रूप से अपने नाम करवा लिया है और शेष हिस्से में भी मिट्टी डालकर तालाब को पूरी तरह से पाट दिया है। इस कारण गांव में पानी का भीषण संकट खड़ा हो गया है, जिससे धार्मिक आयोजनों में विसर्जन से लेकर पालतू पशुओं तक को परेशानी हो रही है। इस पर कार्रवाई को लेकर ग्रामीणों ने संभागायुक्त के नाम ज्ञापन सौंपा
तालाब पर भू-माफिया का कब्जारू
ग्रामीणों के अनुसार, घाटपिपरिया में ब्रिटिशकालीन 11 एकड़ का एक विशाल तालाब था। लेकिन बंदोबस्त के समय हुई कथित गलती के कारण लगभग 2 एकड़ तालाब उमाशंकर श्रीपाल के नाम पर दर्ज हो गया। सन् 1965 के नक्शे में भी 11 एकड़ में तालाब और कुएं का स्पष्ट उल्लेख है। आरोप है कि खसरा नंबर 77 में स्थित इस तालाब को संगठित भू-माफिया ने पूरी तरह से पाट दिया है। तालाब में बधान की मिट्टी डाल दी गई है, जिससे अब वहां पानी नहीं बचा है।
गंभीर जल संकट और पर्यावरणीय प्रभावरू
इस तालाब के सूखने से ग्रामीणों के सामने विकट जल संकट खड़ा हो गया है। ग्रामीण बताते हैं कि गणेश जी की प्रतिमाओं और जवारों के विसर्जन के लिए पानी नहीं है। यह तालाब 5 पहाड़ी क्षेत्रों के बीच स्थित एकमात्र जीवित सरकारी तालाब था, जिसमें गर्मियों में भी आसपास के गांवों के पालतू पशु पानी पिया करते थे। तालाब सूखने से गौ-पालन प्रभावित हुआ है और आवारा पशु पानी के अभाव में प्यासे मर रहे हैं।
भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत का आरोपर
ग्रामीणों का आरोप है कि संगठित भू-माफिया बेनामी संपत्ति खरीदकर और गुंडागर्दी के दम पर, कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से ग्राम के लोगों को प्रताड़ित कर रहे हैं। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि इस तालाब में मनरेगा के तहत सन् 2008 से मजदूरों के जॉब कार्ड भी हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि शासन ने इस पर कार्य भी करवाया था।
प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है। उनकी प्रमुख मांगें निम्नलिखित हैं। संगठित भू-माफिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी की जाए। सन् 1947 के बाद से विभिन्न योजनाओं के तहत मध्य प्रदेश शासन ने इस तालाब पर 70 से 80 लाख रुपये खर्च किए हैं, उन पैसों की वसूली भू-माफिया से की जाए। ग्राम में निर्मित अवैध फार्महाउसों पर बुलडोजर चलाकर कार्रवाई की जाए। इस मामले ने स्थानीय प्रशासन और राजस्व विभाग पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों को उम्मीद है कि प्रशासन इस गंभीर समस्या पर ध्यान देगा और तालाब को अतिक्रमण मुक्त कराकर उसे पुनर्जीवित करेगा।