सरकार का मंथन: कॉर्पोरेट अस्पतालो में होगी चिकित्सा शिक्षा की पढ़ाई, चिकित्सा शिक्षा की पोस्ट ग्रेजुएट पढ़ाई को लेकर शुरू हो गया है प्रोजेक्ट, अब एमबीबीएस छात्रों को भी निजी अस्पतालों में शिक्षा देने की तैयारी
जनसंख्या अनुपात और बीमारियों में हो रहे परिवर्तन के आधार पर चिकित्सा शिक्षा की नीति तैयार होती है, प्राइम टाइम विथ आशीष शुक्ला में एम्स के पूर्व डीन डॉक्टर मीनू बाजपेई से खास बातचीत

जबलपुर यश भारत। देश में चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने और उन्हें क्वालिटी आफ एजुकेशन देने को लेकर राष्ट्रीय शिक्षा बोर्ड निजी अस्पतालों में भी पी जी की पढ़ाई करा रहा है, साथ ही साथ एमबीबीएस कि सीट बढ़ाने को लेकर भी इसी तरह की नीति पर काम चल रहा है। जिस से देश में पी जी डॉक्टरों की संख्या में लगभग सवा लाख का इजाफा होगा साथ ही साथ अस्पतालों की स्वास्थ्य सुविधाओं में भी सुधार होगा। यह कहना है पोस्ट ग्रेजुएशन राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड के अध्यक्ष मीनू बाजपेई का जो प्राइम टाइम विथ आशीष शुक्ला में मेडिकल की पोस्ट ग्रेजुएट स्पेशलाइजेशन और चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था पर बात कर रहे थे। जिससे आप यश भारत न्यूज़ चैनल के साथ-साथ यश भारत के सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विस्तार से देख सकते हैं।
चर्चा के दौरान डॉक्टर वाजपेई ने बताया कि वर्तमान समय में भारत में बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा है ऐसे में हमारा प्रयास है कि हम सबसे ज्यादा चाइल्ड स्पेशलिस्ट बनाएं इसके साथ ही साथ 1990 की तुलना में वर्तमान समय में 65 वर्ष से अधिक के लोगों की संख्या में इजाफा हुआ है और उनकी बीमारियां भी अलग-अलग होती है जिसे ध्यान में रखते हुए विशेषज्ञ डॉक्टर तैयार कर जा रहे हैं । जहां 1990 के दशक में 50% बीमारियां संक्रामक हुआ करती थी वहीं वर्तमान में उम्र दराज लोगों को गैर संक्रामक बीमारियां जैसे स्टोक और कैंसर अधिक हो रहा है जिसके आधार पर हमें कोर्स तैयार करने पड़ते हैं।
चिकित्सा के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा नाम है
डॉ मीनू बाजपेई देश के जाने-माने बच्चों चिकित्सक हैं, जो 40 वर्षों तक दिल्ली एम्स में अपनी सेवाएं दे चुके हैं और बच्चों के विभाग के प्रमुख के साथ-साथ दिल्ली एम्स के डीन जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। वर्तमान में भी दिल्ली के रैंबो चिल्ड्रन हॉस्पिटल के डायरेक्टर है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वह एमबीबीएस के बाद पी जी के लिए जो महत्वपूर्ण परीक्षा होती है उसके प्रभारी भी हैं और चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में जो नए नवाचार आ रहे हैं उसे अपना मार्गदर्शन दे रहे हैं।
बढ़ जाएगी देश में डॉक्टरों की संख्या
चर्चा के दौरान डॉक्टर वाजपेई ने बताया कि देश में एमबीबीएस की 112000 सीट है वही पीजी कोर्स की 72000 सीट है जिनमें पिछले 10 वर्षों में बहुत अधिक इजाफा हुआ है। लेकिन अभी इसे और अधिक डॉक्टरों की देश में आवश्यकता है। जिसको लेकर योजना पर काम चल रहा है उसमें वर्तमान में पीजी के कोर्स निजी बड़े अस्पतालों में संचालित हो रहे हैं जिसमें 1700 अस्पतालों में 17000 डॉक्टरों की पढ़ाई हो रही है और यदि इस नई योजना के तहत दो अस्पतालों को जोड़कर यह पढ़ाई कराई जाएगी तो यह संख्या सवा लाख तक पहुंच जाएगी और इसी तरह की तैयारी एमबीबीएस की पढ़ाई को लेकर भी की जा रही है जिससे अस्पतालों में स्वास्थ्य का स्तर तो सुझारेगा ही साथ ही साथ डॉक्टर की ट्रेनिंग भी बेहतर होगी इसके लिए प्रि पैरामेडिकल की पढ़ाई कॉलेज में होगी और अस्पतालों में क्लीनिकल ट्रेनिंग दी जाएगी।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ मिलकर चलना होगा
चर्चा के दौरान कार्यक्रम संचालक आशीष शुक्ला द्वारा ए आई से संबंधित सवाल पूछा गया इसमें उन्होंने बताया कि आने वाला समय चिकित्सा क्षेत्र के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का होगा। जिसके माध्यम से चिकित्सा तकनीक में और भी कई सुधार होंगे ।जिसको लेकर उन्होंने 111 देश में किए गए सर्वे के आंकड़े भी सामने रखें। जिसमें ज्यादातर डॉक्टर ए आई के साथ काम करना चाह रहे हैं। इसमें उन्होंने बताया कि ए आई के आने से डॉक्टरों की संख्या में तो कमी नहीं आएगी लेकिन जो डॉक्टर ए आई के साथ मिलकर काम करेंगे वही अच्छी तरह से प्रैक्टिस कर पाएंगे इसके अलावा उन्होंने मेडिकल क्षेत्र में हो रहे नई तकनीकी सुधार को लेकर भी कहा कि इंजीनियरिंग के साथ-साथ मेडिकल का अनुभव जोड़ा जाएगा तभी चिकित्सा सुविधाओं में और बेहतर सुधार होगा। इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड जो कि पी जी का एग्जाम कंडक्ट करता है उसके विषय में जानकारी दी कि वह पेपरलेस एग्जाम लेता है जिसमें कभी भी कोई विवाद सामने नहीं आया है।उन्होंने जिस तकनीक का उपयोग किया है, उस से पेपर लीक होने को लेकर खतरा बिल्कुल भी नहीं रहता है और पेपर निर विवाद रूप से हो जाता है, आने वाले समय में एमबीबीएस की प्रवेश परीक्षाओं में सुधार को लेकर भी उन्होंने आशा व्यक्त की।
