EXCLUSIVE : चिड़ियाघर की व्हाइट टाइगर दुर्गा ने तीन शावकों को दिया जन्म
नन्हे मेहमानों का आगमन

ग्वालियर |ग्वालियर के चिड़ियाघर में नन्हे मेहमान का आगमन हुआ है। चिड़ियाघर की व्हाइट टाइगर दुर्गा ने तीन शावकों को जन्म दिया है। बीती रात दुर्गा ने एक व्हाइट और 2 यलो शावकों का जन्म दिया है। चिड़ियाघर के डॉक्टरों ने शावकों का परीक्षण जिसमे सभी शावक स्वस्थ पाए गए हैं। डॉ उपेंद्र यादव के मुताबिक शावकों को महीनेभर तक आइसोलेशन में रखे जाएंगे।
तीन शावकों के जन्म के बाद ग्वालियर चिड़ियाघर में टाइगर की संख्या 9 हो गई है। आपको बता दें कि व्हाइट नर टाइगर सुल्तान और मादा यलो टाइग्रेस दुर्गा की यह दूसरी ब्रीडिंग है, देश भर में टाइगर की ब्रीडिंग के मामले में ग्वालियर का गांधी प्राणी उद्यान देश में पहले नंबर पर आ गया है,
इन तस्वीरों में आप मादा यलो टाइग्रेस दुर्गा को देख सकते हैं जो अपने नवजात शावकों को दूध पिलाती नजर आ रही है वहीं इन शावकों का पिता व्हाइट टाइगर सुल्तान अपने बाड़े में चहलकदमी करता नजर आ रहा है यहाँ आपको बता दें कि ग्वालियर में जन्मे टाइगर्स की डिमांड देश भर में सबसे ज्यादा है आपको एक खास बात और बताना चाहेंगे कि नवजात शावकों को आप नहीं देख पाएँगे इसके लिए आपको कम से कम एक महीने का इंतज़ार करना पड़ेगा हो सकता है आपको ही इन शावकों का नामकरण भी करना पड़े….शेरों की धरती ग्वालियर चम्बल में नन्हें टाइगर्स का स्वागत करें।
टाइगर ब्रीडिंग में ग्वालियर देश में पहले नंबर पर
ग्वालियर का गांधी प्राणी उद्यान देश भर में टाइगर ब्रीडिंग का सबसे सफलतम केंद्र के रूप में उभरा है 2011 से लेकर अब तक ग्वालियर में 18 टाइगरों की रीडिंग हो चुकी है क्योंकि देश में सबसे अधिक है।
शावकों को क्यों नहीं देख पाएँगे सैलानी
टाइगर कुनबे के बारे में एक सबसे जरूरी और खास बात कि टाइग्रेस अपने बच्चों को जन्म देने के बाद उनका सबसे ज्यादा ख्याल रखती है जो की एक मां का नैसर्गिक गुण भी होता है गांधी प्राणी उद्यान प्रबंधन के एनिमल स्पेशलिस्ट डॉक्टर उपेंद्र यादव के मुताबिक किसी भी तरह की आशंका होने के बाद टिगरिस अपने बच्चों को खा जाती है क्योंकि उसे लगता है कि मेरे बच्चे मेरे पेट में सबसे ज्यादा सुरक्षित रहेंगे यह आपको बताना चाहेंगे की टाइगर बिल्ली की प्रजाति का ही एक जानवर है और अक्सर देखा जाता है की खतरा होने पर बिल्ली भी अपने बच्चों को अपना आहार बना लेती है इसके पीछे एक धारणा है कि यह जानवर अपने पेट में बच्चों को सुरक्षित मानते हैं।