प्रदेश की सडक़ों पर रहेगी एआई की नजर

प्रदेश की सडक़ों पर रहेगी एआई की नजर
– डिजिटल प्लेटफार्म पर अपलोड होगी जानकारी
आशीष दीक्षित, भोपाल। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) हमारे दैनिक जीवन महत्वपूर्ण हिस्सा बनती जा रही है। हर छोटे बड़े कामों को करने के लिए एआई का उपयोग किया जा रहा है। अब शासकीय कार्यों में भी एआई महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है। प्रदेश में पहली बार निर्माणाधीन सडक़ों पर एआई के माध्यम से नजर रखी जाएगी। यह प्रयोग सबसे पहले नगरीय निकायों के लिए लागू किया जा रहा है। नगरीय प्रशासन एवं आवास आयुक्त संकेत भोंडवे ने प्रदेश के सभी नगरीय निकायों को निर्देश जारी कर सडक़ों की गुणवत्ता पर ध्यान देने के लिए कहा है। इसके लिए एआई तनकीक से निगरानी करने के लिए निर्देशित किया गया है। खास बात यह है कि डिजिटल प्लेटफार्म पर भी सभी जानकारी अपलोड की जाएगी।
१९ सितंबर को प्रदेश स्तरीय कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञों ने जो तथ्य सामने रखे थे उनके आधार पर नए नगरीय पशासन एवं आवास आयुक्त ने प्रदेश के सभी जिलों के नगरीय निकायों के लिए नए निर्देश जारी कर दिए हैं। जारी आदेश में लिखा गया है कि हमारे शहरों में सडक़ें रोज़मर्रा की ज़िंदगी, रोजग़ार और सुरक्षित यात्रा के लिए सबसे ज़रूरी हैं। सडक़ की योजना (डीपीआर) सही और पूरी तरह से तैयार करें। केवल एक दिन का यातायात आंकड़ा न लें, बल्कि सही आंकड़े जुटाएं। योजना का शहर की मास्टर प्लान और बस या मेट्रो जैसी योजनाओं से मेल बैठना ज़रूरी होगा। नक्शा, जल निकासी, फुटपाथ, साइकिल ट्रैक और सडक़ लाइट जैसे प्रावधान योजना में ही शामिल हों।
पर्यावरण और लोगों का रखा जाएगा ध्यान
नए निर्देशों के तहत सडक़ निर्माण के पहले यह आंकलन किया जाएगा कि कहीं पर्यावरण को नुकसान तो नहीं हो रहा पर्यावरण पर असर देखने और लोगों से राय लेने पर भी ज़ोर दिया गया है। हर योजना को किसी स्वतंत्र विशेषज्ञ से जांच कराना होगा ताकि गलती न रहे।
पुरानी सडक़ों की होगी नियमित जांच
पुरानी सडक़ों की हालत हर साल जांची जाएगी। बरसात के समय गड्ढों को भरने के लिए खास ठंडी मिश्रण (कोल्ड मिक्स) का इस्तेमाल होगा। किनारों की टूट-फूट, दरारें और पानी से कटाव की तुरंत मरम्मत की जाएगी। जहां ज़रूरत होगी वहां नई तकनीक से पूरी सडक़ ठीक की जाएगी। नई सडक़ों के लिए यातायात भार, बरसात और मौसम के असर को ध्यान में रखकर जल निकासी और जलवायु अनुकूल डिज़ाइन बनाई जाएगी। सडक़ बनाने में सीमेंट-मिश्रित डामर, सफेद परत (व्हाइट टॉपिंग) और प्लास्टिक या राख जैसी दोबारा इस्तेमाल होने वाली चीज़ों को बढ़ावा मिलेगा। हर स्तर पर मिट्टी और सामग्री की जांच अनिवार्य होगी।
सडक़ सुरक्षा के पक्के प्रावधान
नई सडक़ों को इस तरह बनाया जाएगा कि हादसे कम हों। बीच की पट्टी पत्थरों को गोल-ढलुआ बनाया जाएगा ताकि गाड़ी टकराने पर नुकसान कम हो। चौराहों को भारतीय मानकों के अनुसार सुधारा जाएगा। सडक़ पर निशान और संकेत लंबे समय तक टिकने वाले होंगे और हर सडक़ पर रोशनी की व्यवस्था होगी।
निर्माण की गुणवत्ता पर सख्ती
सडक़ बनाने में सिर्फ़ अच्छे डामर, मजबूत गिट्टी, मानक सीमेंट और इस्पात का इस्तेमाल होगा। कमजोर मिट्टी का सही उपचार, बराबर दबाव और सही भराई पर ध्यान देना होगा। प्रयोगशाला में जांच और मोबाइल लैब से मौके पर जांच की सुविधा बढ़ाई जाएगी। अच्छा काम करने वालों को प्रोत्साहन भी मिलेगा।
हरित पट्टी और धूल-ध्वनि कम करना
सडक़ किनारे पेड़ लगाना, हरी पट्टी बनाना और वर्षा जल को सहेजने के लिए ढाँचे बनाना अनिवार्य होगा। धूल कम करने के लिए पानी छिडक़ना और ध्वनि कम करने वाली तकनीक जैसे रबरयुक्त डामर और मूक मशीनें अपनाई जाएंगी।
कार्रवाई की गिरेगी गाज
जारी निर्देश में कहा गया है कि हर निकाय को एक अधिकारी नामांकित करना होगा, विभाग स्तर पर निगरानी सेले बनेगा और हर माह रिपोर्ट भेजनी होगी जो नियम नहीं मानेंगे उनके विरुद्ध विभागीय स्तर पर कार्रवाई की जाएगी। हर परियोजना को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर चलाया जाएगा। एआई जैसे आधुनिक साधनों से निगरानी होगी ताकि काम समय पर और सही गुणवत्ता में हो। इंजीनियरों और कर्मचारियों को नई तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाएगा और साल में कम से कम दो बार अच्छी कार्यशालाएं होंगी।
प्रदेश के सभी नगरीय निकायों के लिए निर्देश जारी किए गए
प्रदेश के सभी नगरीय निकयों के लिए नए निर्देश जारी किए गए हैं, इसके तहत ही सभी जगहों पर काम होगा। एआई के जरिए निगरानी रखी जाएगी। इन नियमों को लागू कर दिया गया है। हर महीने विभाग को प्रगति रिपोर्ट भेजी जाए। इससे शहरों में सडक़ों की गुणवत्ता बढ़ेगी और लोगों को बेहतर, सुरक्षित यात्रा मिलेगी।
– संकेत भोंडवे, आयुक्त, नगरीय प्रशासन एवं आवास आयुक्त मप्र







