यश भारत संपादकीय ,भारतीय राजनीति में नए शब्दों का आविष्कार
‘वोट चोरी’, ‘हाइड्रोजन बम’ और भारतीय मतदाताओं का चिंतन

यश भारत संपादकीय ,भारतीय राजनीति में नए शब्दों का आविष्कार
‘वोट चोरी’, ‘हाइड्रोजन बम’ और भारतीय मतदाताओं का चिंतन
(राजनीतिक शब्दावली पर यश भारत का एक गैर राजनीतिक चिंतन)
विश्व के सबसे बड़े चुनावी लोकतंत्र विश्वसनीय रहे हैं और भारतीय राजनीति ने समय-समय पर ऐसे नए शब्दों का आविष्कार किया है, जो राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। भारतीय चुनावी परिदृश्य में विरोधाभासी शब्दों का प्रयोग कर मतदाताओं को प्रभावित करने की प्रक्रिया नई नहीं है। यह सिलसिला चुनावी प्रक्रिया के आरंभ से ही चला आ रहा है।
सन् 1970 में पहली बार ‘गरीबी हटाओ’ का नारा देकर इंदिरा गांधी ने सत्ता हासिल की थी। दूसरी ओर बांग्लादेश में चुनी गईं शेख हसीना की कामयाबी एडवांस्ड के रूप में प्रोफेसर मोहम्मद युनुस ने संभाली। यहां आतंकवाद के विरोध साथ-साथ हिंदू विरोधी शब्दावली का भी भरपूर इस्तेमाल किया गया।
नेपाल में सत्ता परिवर्तन के लिए जिन-जिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, उनमें ‘मेनोपॉजिक्स’, ‘#BackOffIndia’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल वातावरण निर्माण के लिए सस्ते हथियार रहे हैं। नारे गढ़ने और शब्दावली गढ़ने में भारतीय उपमहाद्वीप माहिर रहा है। दक्षिण एशियाई देशों में सत्ता परिवर्तन के समय भावना अथवा नैरेटिव स्थापित करने के लिए विरोधी शब्दावली का भरपूर इस्तेमाल होता रहा है। यह क्रम एक तरह की पॉलिटिकल स्ट्रेटजी का हिस्सा है। दूसरी ओर जनमानस पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है।
अब 2025 के चुनावी मौसम में भी भारतीय राजनीतिक शब्दावली में नए-नए शब्द गढ़े जा रहे हैं। ‘वोट चोरी’, ‘हाइड्रोजन बम’ जैसे शब्द भारतीय राजनीति की नई शब्दावली का हिस्सा बन चुके हैं। राजनीतिक रणनीतिकारों के लिए यह समय शब्दों का गढ़न व उनका इस्तेमाल करने का अहम दौर है। भारतीय लोकतंत्र में विधानसभा चुनाव को लेकर इस तरह के नए शब्दों का इस्तेमाल होने लगा है।
राहुल गांधी का बयान लें कि – सॉफ्टवेयर द्वारा वोट चोरी की जा रही है। प्रक्रिया बूथ स्तर पर पहले वोटर के नाम का इस्तेमाल करके की जाती है, और यह लोकतंत्र पर सीधा हमला है। 18 सितंबर 2025 को दिल्ली में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में राहुल ने चुनाव आयोग के मुख्य आयुक्त नवनायक कुमार पर सीधा निशाना साधा, कह दिया कि ECI के अंतर्गत इन्हें खुद ‘वोट चोरी’ के लिए जिम्मेदार ठहराया। भाजपा ने इसे ‘ड्रामा’ करार दिया, जबकि कांग्रेस इसे ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ सिद्धांत पर हमला बता रही है। यह शब्द अब सोशल मीडिया और टीवी चैनलों की सुर्खियां बन चुका है, जो चुनावी पारदर्शिता पर बहस को और तेज कर रहा है।
हाइड्रोजन बम शब्द एक नया आविष्कार है जिसका इस्तेमाल हाल ही में राहुल गांधी ने ‘वोट चोरी’ के साथ-साथ रूप में किया। 1 सितंबर 2025 से शुरू हुई प्रेस श्रृंखला में राहुल ने बिहार चुनाव के दौरान हाइड्रोजन बम शब्द का प्रयोग किया, लेकिन भाजपा ने इसे ‘काल्पनिक बयान’ करार दिया। राजनीतिक शब्दों का यह नया आविष्कार मतदाताओं की मानसिकता पर सीधा प्रभाव डालने वाला साबित हो सकता है।
भाजपा ने इसे ‘भ्रामक’ बयान बताकर पलटवार किया, वहीं चुनावी रणनीतिकार इसे ‘गुमराह’ करने वाले शब्दों की श्रेणी में रख रहे हैं। इस शब्दावली ने राजनीतिक परिदृश्य को दशालित किया है। दरअसल भारतीय राजनीति में समय-समय पर ऐसे नए शब्द और नए नारे गढ़े जाते रहे हैं, जो जनता को आपा-धापी में फंसा कर साबित होता है।






