उमर अब्दुल्ला का भावुक संबोधन: लानत है हम पर अगर पहलगाम हमले पर सियासत करें

उमर अब्दुल्ला का भावुक संबोधन: लानत है हम पर अगर पहलगाम हमले पर सियासत करें
नई दिल्ली/जम्मू।जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को विधानसभा के विशेष सत्र में पहलगाम आतंकी हमले पर पहली बार खुलकर अपनी बात रखी। उमर अब्दुल्ला ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि इस घटना ने हमें अंदर से तोड़ कर रख दिया है। उन्होंने कहा कि लानत है हम पर अगर हम इस मौके पर सियासत करें।
22 अप्रैल को हुए इस हमले में कई निर्दोष लोगों की जान गई थी। उमर अब्दुल्ला ने विधानसभा में कहा कि आज पूरा देश इस त्रासदी से दुखी है — अरुणाचल से गुजरात और केरल से जम्मू-कश्मीर तक। उन्होंने कहा,यह हमला सिर्फ जम्मू-कश्मीर नहीं, पूरे भारत पर हमला है।
हमारे पास माफी मांगने के भी अल्फाज़ नहीं
उमर ने कहा कि मुख्यमंत्री होने के नाते इन लोगों को जम्मू-कश्मीर आमंत्रित करना मेरी जिम्मेदारी थी, और मैं उन्हें सुरक्षित नहीं लौटा पाया। उन्होंने कहा,उन छोटे बच्चों की आंखों में मैंने दर्द देखा, जिन्होंने अपने पिता को खून से लथपथ देखा। एक नेवी अफसर की नवविवाहिता पत्नी का दुख देखा। मेरे पास माफी मांगने के लिए भी शब्द नहीं थे।
पहली बार कश्मीर के हर कोने से निंदा
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि कठुआ से कुपवाड़ा तक शायद ही कोई गांव या शहर बचा हो, जहां इस हमले के खिलाफ लोग सड़कों पर नहीं उतरे। उन्होंने कहा,26 साल में पहली बार मैंने कश्मीर में इस तरह का जनसमर्थन देखा है। ये विरोध किसी सरकार के कहने पर नहीं हुआ, बल्कि खुद जनता ने आगे आकर दिया।
इस मौके पर न स्टेटहुड की मांग, न राजनीति
उन्होंने स्पष्ट कहा कि इस दुखद मौके पर वे स्टेटहुड या किसी राजनीतिक मांग का सहारा नहीं लेंगे।
लानत है मुझ पर अगर मैं 26 लोगों की मौत को अपनी राजनीति का जरिया बनाऊं।
उमर ने कहा कि स्टेटहुड की मांग पहले भी की गई थी और आगे भी की जाएगी, लेकिन इस दुख की घड़ी में सिर्फ श्रद्धांजलि और संवेदना ही हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
आतंक का खात्मा जनता के साथ से होगा
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि आतंकवाद को सिर्फ बंदूकों से खत्म नहीं किया जा सकता। जब जनता हमारे साथ होगी, तभी आतंकवाद का खात्मा होगा। उन्होंने स्थानीय लोगों की सराहना करते हुए बताया कि कैसे होटल मालिकों ने अपने दरवाजे खोले और कैसे आम कश्मीरियों ने जान जोखिम में डालकर पीड़ितों की मदद की।
कश्मीरियों का जज्बा सलाम के काबिल
उमर अब्दुल्ला ने अंत में कहा कि आज जब मस्जिदों में भी शांति रही, तब हमने महसूस किया कि असली बदलाव आ रहा है।
मैं कश्मीरियों के इस जज्बे को सलाम करता हूं।