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नामपट्टिका पर कई स्टेशनों के नाम, यात्री हो रहे परेशान

Names of many stations on the nameplate, passengers are getting troubled

नामपट्टिका पर कई स्टेशनों के नाम, यात्री हो रहे परेशान

जबलपुर से खुलने वाली अनेक ट्रेनों में बढ़ा कन्फ्यूजन

जबलपुर यशभारत । जबलपुर रेलवे स्टेशन से खुलने वाली अनेक ट्रेनों की नामपट्टिका यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बन रही है। रेलवे की ओर से सूचनात्मक सुविधा के तौर पर ट्रेनों की पट्टिका पर एक साथ कई स्टेशनों के नाम अंकित कर दिए गए हैं लेकिन यह सुविधा यात्रियों के लिए उलझन साबित हो रही है। स्थिति यह है कि नए यात्री समझ ही नहीं पाते कि ट्रेन कौन सी दिशा में जायेगी और यात्री कई बार गलत ट्रेन में सवार हो जाते हैं।

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कन्फ्यूजन में हो रहे यात्री

उदाहरण के तौर पर जबलपुर से खुलने वाली कुछ ट्रेनों की पट्टिका पर “सिंगरौली-अंबिकापुर-जबलपुर-रीवा” जैसे कई स्टेशनों के नाम अंकित हैं। इसी तरह से ओवरनाइट एक्सप्रेस एवं नई दिल्ली जाने वाली ट्रेनों में भी अनेक नाम लिखे रहते हैं यात्री यह देखकर असमंजस में पड़ जाते हैं कि गाड़ी आखिर कहां जाएगी। आमतौर पर लोग पट्टिका पर दर्ज नाम को ही ट्रेन का प्रारंभिक या अंतिम स्टेशन मानते हैं, लेकिन जब एक साथ कई नाम सामने आते हैं तो कन्फ्यूजन और बढ़ जाता है।
प्रारंभिक व अंतिम स्टेशन का नाम होना चाहिए
यात्रियों का कहना है कि रेलवे को पट्टिका पर केवल प्रारंभिक और अंतिम स्टेशन का नाम ही साफ-साफ लिखना चाहिए। बीच के स्टेशनों की जानकारी समय सारणी, घोषणाओं और डिजिटल डिस्प्ले बोर्ड से दी जा सकती है। अभी की व्यवस्था से खासकर बाहर से आने वाले यात्री और बुजुर्ग काफी परेशान हो रहे हैं। प्लेटफॉर्म पर बार-बार पूछताछ करनी पड़ती है और कई बार हड़बड़ी में गलत डिब्बे या ट्रेन में चढ़ने की नौबत भी आ जाती है।

उलझन पैदा कर रही है व्यवस्था

रेलवे अधिकारियों का मानना है कि पट्टिका पर विभिन्न स्टेशनों के नाम दर्ज करने का मकसद सूचनात्मक है, ताकि यात्री जान सकें कि ट्रेन किन-किन रूट से होकर गुजरती है। लेकिन व्यवहार में यह व्यवस्था उलझन ही पैदा कर रही है। जबलपुर स्टेशन के प्लेटफॉर्मों पर इस कारण रोजाना पूछताछ काउंटर पर भीड़ बढ़ी रहती है।
इस संबंध में यात्रियों का कहना की है कि रेलवे इस व्यवस्था पर पुनर्विचार करे और केवल प्रारंभिक तथा गंतव्य स्टेशन का नाम पट्टिका पर अंकित करे। इससे यात्रियों की परेशानी कम होगी और प्लेटफॉर्म पर फैला भ्रम भी खत्म होगा। यह समस्या खासकर जबलपुर से सिंगरौली, रीवा, अंबिकापुर और कटनी दिशा में चलने वाली ट्रेनों में अधिक देखी जा रही है।

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