
प्रदेश में हर साल ढाई करोड़ पेटी देसी शराब बेचने वाली 11 डिस्टलरियों की मोनोपॉली को राज्य सरकार ने तोड़ दिया है। सरकार के टेंडर में खुली प्रतिस्पर्धा के चलते सिंडिकेट बनाकर महंगी दरों पर शराब बेचने वाली 8 डिस्टलरी लगभग सीधे बाहर हो गई हैं।
अब प्रदेश में केवल तीन डिस्टलरी के ग्रुप 95% देसी शराब का उत्पादन करेंगे, लेकिन इससे सरकार और उपभोक्ता फायदे में रहेंगे। नए टेंडर के बाद कीमतें 120 प्रति पेटी कम हुई हैं। सरकार का खरीदी रेट घटने और ठेकेदारों का रेट फिक्स होने के चलते मार्जिन वाले 350 करोड़ रुपए शासन के खाते में जाएंगे।