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इस कथा के बिना अधूरा है जीवित्पुत्रिका व्रत, पढ़ें जितिया व्रत कथा

इस कथा के बिना अधूरा है जीवित्पुत्रिका व्रत, पढ़ें जितिया व्रत कथा

जितिया व्रत कथाः हर साल आश्विन मास की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है। इसे जितिया व्रत भी कहा जाता है। इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और उत्तम भविष्य की कामना करते हुए व्रत रखती हैं। इस व्रत को कठोर व्रतों में से एक माना जाता है, क्योंकि इसमें निर्जला व्रत रखा जाता है। इसके साथ ही इसमें नहाय खाय से लेकर निर्जला उपवास और पारण तक किया जाता है। इस साल जितिया व्रत 14 सितंबर 2025 को रखा जा रहा है। इस दिन जीमूतवाहन भगवान की विधिवत पूजा की जाती है। इस दिन पूजा करने के साथ-साथ इस व्रत कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए। इससे आपकी पूजा पूर्ण मानी जाती है। आइए जानते हैं जितिया व्रत की संपूर्ण कथा…

जितिया व्रत का समय और शुभ मुहूर्त

13 सितंबर को नहाय-खाय के साथ जितिया व्रत आरंभ होगा। इसके बाद 14 सितंबर को माताएं जीवित्पुत्रिका व्रत रखेंगी और 15 सितंबर को व्रत का पारण किया जाएगा। 14 सितंबर को सुबह 8:51 बजे व्रत आरंभ होगा, जो 15 सितंबर को सुबह 5:36 बजे समाप्त होगी। रविवार को सूर्योदय से पहले महिलाएं ओठगन करेंगे। इसके बाद सोमवार को प्रातः 6:27 बजे के बाद व्रत का पारण किया जाएगा।

जीवित्पुत्रिका व्रत कथा

गन्धर्वों में एक ‘जीमूतवाहन’ नाम के राजकुमार थे। साथ ही वह बहुत उदार और परोपकारी थे। वहीं उनको बहुत कम समय में सत्ता मिल गई थी लेकिन उन्हें वह मंजूर नहीं था। वहीं इनका मन राज-पाट में नहीं लगता था। ऐसे में वे राज्य छोड़ अपने पिता की सेवा के लिए वन में चले गये। वहीं उनका विवाह मलयवती नाम की एक राजकन्या से हुआ।

एक दिन जब वन में भ्रमण करते हुए जीमूतवाहन ने वृद्ध महिला को विलाप करते हुए दिखा। उसका दुख देखकर उनसे रहा नहीं गया और उन्होंने वृद्धा की इस अवस्था का कारण पूछा। इस पर वृद्धा ने बताया, ‘मैं नागवंश की स्त्री हूं और मेरा एक ही पुत्र है। पक्षीराज गरुड़ के सामने प्रतिदिन खाने के लिए एक नाग सौंपने की प्रतिज्ञा की हुई है, जिसके अनुसार आज मेरे ही पुत्र ‘शंखचूड़’ को भेजने का दिन है। आप बताएं मेरा इकलौता पुत्र बलि पर चढ़ गया तो मैं किसके सहारे अपना जीवन व्यतीत करूंगी।

यह सुनकर जीमूतवाहन का दिल पसीज उठा। उन्होंने कहा कि वे उनके पुत्र के प्राणों की रक्षा करेंगे। जीमूतवाहन ने कहा कि वे स्वयं अपने आपको उसके लाल कपड़े में ढककर वध्य-शिला पर लेट जाएंगे। जीमूतवाहन ने आखिकार ऐसा ही किया। ठीक समय पर पक्षीराज गरुड़ भी पहुंच गए और वे लाल कपड़े में ढके जीमूतवाहन को अपने पंजे में दबोचकर पहाड़ के शिखर पर जाकर बैठ गए।

गरुड़जी यह देखकर आश्चर्य में पड़ गये कि उन्होंने जिन्हें अपने चंगुल में गिरफ्तार किया है उसके आंख में आंसू और मुंह से आह तक नहीं निकल रहा है। ऐसा पहली बार हुआ था। आखिरकार गरुड़जीने जीमूतवाहन से उनका परिचय पूछा। पूछने पर जीमूतवाहन ने उस वृद्धा स्त्री से हुई अपनी सारी बातों को बताया। पक्षीराज गरुड़ हैरान हो गए। उन्हें इस बात का विश्वास ही नहीं हो रहा था कि कोई किसी की मदद के लिए ऐसी कुर्बानी भी दे सकता है।

गरुड़जी इस बहादुरी को देख काफी प्रसन्न हुए और जीमूतवाहन को जीवनदान दे दिया। साथ ही उन्होंने भविष्य में नागों की बलि न लेने की भी बात कही। इस प्रकार एक मां के पुत्र की रक्षा हुई। मान्यता है कि तब से ही पुत्र की सुरक्षा हेतु जीमूतवाहन की पूजा की जाती है।

सितंबर माह के तीसरे सप्ताह कई राजयोगों का निर्माण होने वाला है। इस सप्ताह शुक्र, सूर्य राशि परिवर्तन करेंगे। इसके अलावा इस सप्ताह त्रिग्रही, बुधादित्य योग, नवपंचम, गजकेसरी जैसे राजयोगों का निर्माण हो रहा है। ऐसे में कुछ राशि के जातकों को इस सप्ताह विशेष लाभ मिल सकता है।

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