जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

संस्कारधानी में मर गई इंसानियत: पीलिया पीडि़त युवक की मौत, शव को कंधा देने की वजाए, बंद कर लिए दरवाजे

 

जबलपुर, यशभारत। जबलपुर को संस्कार की नगरी कहा जाता है इसलिए सब इसे प्यार से संस्कारधानी कहते हैं। लेकिन जानकर हैरानी होगी यहां रहने वाले लोगों की इंसानियत मर गई है, लोगों के अंदर संस्कार बचे नहीं है। सभी सोच रहे ऐसा कैसे?। खबर ही कुछ ऐसी है कि अंदर से गुस्सा आएगा, इंसानियत को बुरा-भला कहने का मन करेगा।

दरअसल अब्दुल हमीद वार्ड के कटरा खेरमांई क्षेत्र में पीलिया से एक 34 वर्षीय युवक की मौत हो गई। मृतक के परिजन शव के पास बैठकर पूरी रात रोते रहे, लेकिन मोहल्ले का एक भी व्यक्ति उनके घर नहीं पहुंचा। परिजनों ने सुबह का इंतजार किया और सोचा कि अंतिम संस्कार कराने मोहल्ले के लोग आएंगे और शव को शमशान तक ले जाएंगे। पर ऐसा हुआ नहीं, घंटों लोगों का इंतजार करने के बाद परिजनों की हिम्मत हार गई, परेशान हो गए सभी ये लगना लगा कि युवक को अंतिम संस्कार होगा भी की नहीं। मोहल्ले के लोगों से जब मदद नहीं मिली तो परिजनों ने गरीब नवाज कमेटी से संपर्क किया जिसके बाद युवक को अंतिम संस्कार हुआ।

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इनायत अकेले ने शव को हाथ में उठाया, गाड़ी में रखा
खेरमांई कटरा मोहल्ले में रहने वाले लोगों के अंदर कितनी इंसानियत, भाईचारा है अंदाजा लगाया जा सकता है कि गरीब नवाज कमेटी के इनायत अली मृतक युवक के घर पहुंचे और शव को हाथ में उठाकर शव वाहन में रखा लेकिन मोहल्ले के किसी भी व्यक्ति ने शव उठाने में मदद नहीं की और तो और कुछ घरों में दरवाजे भी लग गए।

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गरीबी ने पीलिया बीमारी का पता चलने नहीं दिया
मृतक दीपक ठाकुर के परिजनों ने बताया कि बहुत दिनों से युवक बीमार था लेकिन गरीबी के कारण वह अपना इलाज नहीं कर पा रहा था। यहां तक कि उसे पीलिया कब हो गया किसी को पता नहीं चला। गरीब नवाज कमेटी के रियाज अली, वसीम अंसारी, दीपक निगम, आबिद बाबा, मो करीम, मो नदीम आदि ने मृतक दीपक का हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार कराया।

दो दिन पहले बच्चे की मौत हुई
मृतक दीपक ठाकुर का दो साल का बच्चा भी निमोनिया से पीडि़त था, दो पहले ही उसकी मौत हुई। बताया जा रहा है कि बच्चे के इलाज के लिए दीपक और परिजनों के पास पैसे नहीं थे। दीपक के मम्मी-पापा कुछ साल पहले ही गुजर गए। दीपक अपनी पत्नी के साथ मौसी और मामा के साथ रहता था। मौसी की उम्र 86 साल से जबकि मामा दिमागी रूप से सक्षम नहीं दीपक इकलौता घर में कमाने वाला था।

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