हिन्दू जीवन मूल्य ही दुनिया को नई दिशा दे सकता है – विनोद दिनेश्वर

जबलपुर यश भारत। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष की ओर अग्रसर होते हुए, महाकौशल प्रांत के प्रचार प्रमुख विनोद दिनेश्वर ने विजयादशमी उत्सव के अवसर पर कहा कि “हिन्दू जीवन मूल्य ही मानवता को नई दिशा दे सकते हैं और इन्हीं के आधार पर भारत पुनः विश्व गुरु बनेगा।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि हिंदुत्व कोई पूजा पद्धति नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक पद्धति है। मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित दिनेश्वर ने ‘मातृवत परदारेषु, परद्रव्येषु लोष्ठवत’ के सूत्र का उल्लेख करते हुए कहा—
> “हमारे लिए अपनी पत्नी को छोड़कर सभी महिलाएं माँ के रूप में पूज्य हैं, और पराया धन मिट्टी के ढेले के समान है — यही सच्चा हिंदुत्व है।”
“संघ का उद्देश्य समाज को दोषमुक्त बनाना है”
दिनेश्वर ने कहा कि 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा लगाया गया बीज आज वटवृक्ष का रूप ले चुका है। परंतु संघ का उद्देश्य संगठन का विस्तार नहीं, बल्कि समाज की दोषमुक्ति और राष्ट्रीय चरित्र निर्माण है।
उन्होंने समाज से पाँच मूलभूत विषयों पर ध्यान देने का आह्वान किया —
1. परिवार व्यवस्था – भारत की आत्मा; घर में संस्कारक्षम वातावरण हो।
2. सामाजिक समरसता – छुआछूत और अस्पृश्यता से मुक्त समाज का निर्माण।
3. स्वदेशी भाव – भाषा, भूषा, भोजन, भेषज, भजन और भ्रमण सब स्वदेशी हो।
4. पर्यावरण संरक्षण – पेड़ लगाना, जल संरक्षण और सिंगल यूज़ प्लास्टिक से मुक्ति।
5. नागरिक कर्तव्य पालन – अधिकारों के साथ कर्तव्यों के प्रति सजग रहना।
> “भ्रष्टाचार मुक्त समाज आज की आवश्यकता है,” — उन्होंने कहा।
‘याचि देहि याचि डोळा’ – भारत विश्वगुरु के पथ पर
दिनेश्वर ने दृढ़ स्वर में कहा —
> “जिस दिन समाज इन पाँच बातों को आत्मसात कर लेगा, उस दिन भारत को विश्व गुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता।”
उन्होंने संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार के स्वप्न का स्मरण करते हुए कहा,
“याचि देहि याचि डोळा — इसी शरीर से, इन्हीं आँखों से हम भारत को सर्वोच्च स्थान पर देखेंगे।”
कार्यक्रम में गणमान्य उपस्थिति
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में कच्छ पाटीदार समाज के अध्यक्ष शिवगण भाई पटेल, गुप्तेश्वर नगर संघचालक परविंदर सिंह बिंद्रा, नगर के गणमान्य नागरिक और नारीशक्ति की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।







