“भूल-चूक क्षमा करो माई, मैं कैसे दूं विदाई…” शारदीय नवरात्र का समापन
आज निकलेगा ऐतिहासिक चल समारोह

जबलपुर,यशभारत। शारदीय नवरात्र का अंतिम चरण भावुक विदाई का संदेश लेकर आया है। नौ दिनों तक शहर में देवी आराधना का उत्सवी माहौल रहा। घट स्थापना, हवन, कन्या पूजन, भंडारे और भक्ति से जुड़े आयोजनों में श्रद्धालु पूरी आस्था से सहभागी बने।
बीते दिवस महानवमी पर भक्तों ने विधिवत पूजा-अर्चना कर मां दुर्गा से भक्ति में हुई भूल-चूक के लिए क्षमा मांगी। हर पंडाल में गूंज उठा
विनम्र निवेदन—
“मातारानी! हम नादान हैं, पूजा विधि नहीं जानते। हमारी भक्ति स्वीकार करें, और भूलों को क्षमा करें।”
अब नवरात्रि के इस भक्ति पर्व की विसर्जन बेला आ पहुंची है। आज शहर भर में माता की प्रतिमाओं को भावभीनी विदाई दी जाएगी। श्रद्धालु नम आंखों से माता को विदा कर एक वर्ष के लिए विदाई देंगे।
आज निकलेगा ऐतिहासिक मुख्य विसर्जन जुलूस
शहर का ऐतिहासिक मुख्य चल समारोह आज शाम निकलेगा, जो विभिन्न प्रमुख मार्गों से होते हुए हनुमानताल तालाब पहुंचेगा। वहीं मां दुर्गा की प्रतिमाओं का विधिवत विसर्जन किया जाएगा।इसके अलावा शहर के विभिन्न क्षेत्रों में बनाए गए विसर्जन कुंड, नर्मदा तट, तथा उपनगरों के तालाब और सरोवरों में भी पूरे विधि-विधान से विसर्जन की प्रक्रिया संपन्न होगी।
विसर्जन का सिलसिला पहले ही शुरू
कुछ क्षेत्रों में बुधवार से ही विसर्जन आरंभ हो चुका है। आज सुबह से ही कई पंडालों से विसर्जन यात्राएं निकल रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों जैसे सिहोरा, पनागर, बरेला, कटंगी, कुंडम आदि में भी अलग-अलग चल समारोहों के माध्यम से प्रतिमाओं का विसर्जन किया जा रहा है। सिहोरा में बुधवार को देर रात तक यह क्रम जारी रहा।
शरद पूर्णिमा तक चलता रहेगा विसर्जन
हालांकि मुख्य विसर्जन आज संपन्न होगा, लेकिन कई स्थानों पर शरद पूर्णिमा तक प्रतिमा विसर्जन का क्रम जारी रहेगा।
भक्ति भाव में डूबे श्रद्धालु
नवरात्रि के अंतिम चरण में, बुधवार को, अधिकांश दुर्गा पंडालों में हवन, पूर्णाहुति, भंडारा और कन्या पूजन जैसे धार्मिक आयोजन हुए। सभी आयोजनों में भक्तों ने गहरी श्रद्धा के साथ भाग लिया।

हर जगह एक ही भावना थी —
“हे माई! अगले बरस जल्दी आना… और तब तक अपनी कृपा बनाए रखना।







