चुनावी चकल्लस:- सीट नाक का सवाल बन गई
चुनावी शोरगुल जारी है, बड़े से लेकर छोटे नेताओं की साभाएं, जनसंपर्क जारी है। नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चल रहा है। इसी बीच जबलपुर में एक विधानसभा सीट ऐसी है जहां दोनों पार्टी के लिए जीत का नाक सवाल बन गई है। सीट महत्वपूर्ण है, लेकिन जो सीटें उनमें वे कोई कोर-कसर छोडऩा नहीं चाह रहीं हैं। जबलपुर की एक विधानसभा ऐसी ही नाक मामूली अंतर से जीती पार्टी से दुबारा जीत कर अपनी नाक बचाना चाह रही है। तो वहीं कई चुनाव जीतने के बाद पिछला चुनाव हारी एक फिर से यहां जीत दर्ज कर अपनी नाक बचाना चाह रही है। ऐसे में दोनों दलों के लिए वे सीट नाक का सवाल बन गई है। इस सीट से मौजूदा विधायक फिर से मैदान में है। अपनों की घनघोर नाराजगी से जूझ रहे कार्यकर्ताओं से बात करते हैं, वही टेढ़ा मुंह कर लेता है। वे आलाकमान से इस बारे में शिकायत भी कर रहे हैं। मामला मैनेज करने यहां के दो नेताओं को प्रदेश में महामंत्री बनाया गया है। बावजूद इसके अंदरूनी विरोध की आंच धीमी नहीं हो रही है। जनता की तरफ से नेता निश्चिंत नजर आ रहे हैं। लेकिन, ये निश्चिंतता उनके लिए भारी भी पड़ रही है। पार्टी के अंदर चर्चा है कि कार्यकर्ता क्या होता है, ये हम चुनाव में बताएंगे। हर हाल में जीतने के लिए लड़ाई लड़ रहे नेता को विरोधियों से ज्यादा अपनो का मुकाबला करना पड़ रहा है। मतदाता तो हाथ जोडऩे पर वापस हाथ जोड़ लेता है, लेकिन कार्यकर्ता पांव पडऩे पर भी मुंह बिचका रहा है।
दोनों प्रत्याशियों छवि सोशल मीडिया में नकारात्मक तरीके से पेश की जा रही है। बिना नाम लिए एक शब्द विशेष को आधार बना कर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं। इससे विधायक की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। वहीं विरोधी पार्टी में रिश्तों को आधार बना कर रचे गए एक शब्द का इस्तेमाल कर कार्यकर्ता बातें लिख रहे हैं। ये स्थिति विरोधी पार्टी प्रत्याशी के लिए परेशानी का कारण बनी हुई है सोशल मीडिया के अलावा माउथ टू माउथ पब्लिसिटी के आधार पर भी जो कुछ कहा-सुना जा रहा है, उसने दोनों पार्टी रणनीतिकारों को परेशान कर दिया है। बाहरी प्रत्याशी का टैग हटाने तमाम कोशिशें की जा रहीं हैं, लेकिन हर कोशिश असफल हो रही है। नाराज कार्यकर्ता तो सीधे कह रहे हैं कि भाईसाब ने टिकट दिलाई है, तो वे ही जिताएं।
सोशल मीडिया पर फोटो डालो, आराम करो
चुनाव के मौसम में पार्टी में हर तरह के कार्यकर्ता देखने मिल जायेंगे। कुछ तो ईमानदारी से प्रत्याशी के लिए काम करते हैं,कुछ केवल दिखावा के लिए।चाय की दुकान पर ऐसे ही कार्यकर्ता चर्चा कर रहे थे कि काम कम करो,दिखाओ ज्यादा। सोशल मीडिया है न। थोड़ा काम करो फोटो ज्यादा उतारो और डाल दो सोशल मीडिया पर। पान वाला भी मुस्कराए बिना रह नहीं सका वो भी अपने ग्राहकों को चटकारे लेकर यह बता रहा था।