
जबलपुर यश भारत। विधानसभा चुनाव 2023 नजदीक आते ही राजनीति में जातिगत समीकरणों की चर्चा तेज हो गई है यदि भारतीय जनता पार्टी की बात करें तो इसमें पूर्व के दशकों में सवर्ण समाज का बोलबाला था। पिछले एक दशक से पिछड़ों और अति पिछड़ों ने भी पार्टी का दामन थामा है।अभी भी कुछ सीटों पर ब्राह्मणों का दबदबा बरकरार है और अब यही जातिगत गणित भाजपा के कुछ नेताओं के राजनीतिक समीकरणों को बिगाड़ रहे। वर्तमान में भाजपा के पास पनागर विधानसभा सीट से एक ब्राह्मण विधायक है लेकिन अब दो और ब्राह्मण चेहरे पूरी मजबूती के साथ भाजपा से टिकट मांग रहे हैं। ऐसे में भाजपा के सामने जातिगत समीकरणों को साधते हुए राजनैतिक चेहरों को संतुष्ट करने की समस्या खड़ी हो गई है।
वर्तमान में पश्चिम विधानसभा की बात करें तो युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अभिलाष पांडे ने पश्चिम से वर्तमान विधायक तरुण भनोट के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। राजनीतिक संघर्ष भी तेज कर दिया है जो कहीं ना कहीं उनकी टिकट के प्रति लालसा को स्पष्ट दर्शाता है। साथ ही साथ उन्होंने बड़े नेताओं से चुनाव लडऩे की अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है । वहीं दूसरी तरफ पाटन विधानसभा की बात करें यहां से भाजपा के मजबूत और मुखर चेहरे अजय विश्नोई विधायक है जो जाति की राजनीति में एक आफवाद माने जाते हैं । पाटन सीट से टिकट बदलने की आस में लंबे समय से संगठन में काम कर रहे आशीष दुबे द्वारा इस बार खुले रूप से अपनी दावेदारी ठोक दी है।
इसके अलावा पाटन से सटी हुई विधानसभा सीट पनागर से इंदु तिवारी पहले से ही विधायक है। ऐसे में एक साथ तीन ब्राह्मणों को साधना जातिगत समीकरणों को बनाते हुए भाजपा के लिए दुविधा भरा रास्ता है। इन तीन नामों के अलावा पश्चिम से ही पूर्व सांसद जय श्री बनर्जी के बेटे दीपंकर बैनर्जी पिछले दो चुनावों से अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं और वह भी बंगाली ब्राह्मण समाज से आते हैं। इसके अलावा धीरज पटेरिया की भाजपा में वापसी हुई है जो एक ब्राह्मण चेहरा है। इसके अलावा मध्य में और भी कुछ नाम है जो मध्य से ब्राह्मणों की बहुतायत बताकर अपनी दावेदारी सामने रख रहे हैं। इसके अलावा महापौर के चुनाव में भी भाजपा द्वारा डॉ जितेंद्र जामदार को मौका दिया गया था जो कि मराठी ब्राह्मण है। ऐसे में सवाल उठता है कि भाजपा जिले की 8 में से 6 अनारक्षित सीटों पर कितने ब्राह्मण चेहरे उतारेगी और बाकी हो कैसे संतुष्ट करेगी।