आज रात होगा होलिका दहन : कल खेला जाएगा रंग और गुलाल

नरसिंहपुर यशभारत। आज रात पूरे भारत वर्ष में होलिका दहन किया जायेगा इसके बाद कल 14 मार्च को धुरेड़ी होने पर एक दूसरे को रंग लगाकर खुशियां मनायी जायेगी। बच्चे हो या बूढ़े होली पर्व का बेसब्री से इंतजार करते है, आज उनके इंतजार की घडिय़ां खत्म हुई और रात्रि होलिका दहन के बाद कल जमकर रंग गुलाल खेला जायेगा। धुरेड़ी पर रंग गुलाल का विशेष महत्व है।
होली का पर्व मौज-मस्ती वाला है इस दिन लोग अपने आपसी मतभेद बुलाकर एक दूसरे को रंग लगाकर त्यौहार को मनाते है। वहीं पर्व को देखते हुए घरों में विभिन्न प्रकार के पकवान बनकर तैयार हो गये है। पर्व के एक माह पहले से होली समितियां तैयारी करने में जुट गयी थी, सारी तैयारियां आज समितियों द्वारा पूरी कर ली गयी है। आज रात्रि को शुभ मुर्हुत के अनुसार होलिका दहन होगा। मूर्तिकारों ने भी होलिका पर्व को देखते हुए होलिका की प्रतिमा बनाकर तैयार कर ली गयी थी नगर में विभिन्न प्रकार की होलिका व भक्त प्रहलाद की प्रतिमाएं बनायी गयी है।
रहेगा भारी पुलिस बल नगर में तैनात
होली पर्व को आपसी भाईचारे के साथ मनाने के लिए पुलिस प्रशासन ने नगर में विभिन्न चौराहों सहित वार्डों पुलिस बल तैनात किये जायेंगे, जिससे नगर में पर्व पर कोई वाद-विवाद की स्थिति निर्मित न हो। वहीं होली पर्व पर शराब का सेवन का वाहन चलाने वालों की खैर नही क्योंकि पुलिस हर चौराहों पर तैनात है और मशीन के माध्यम से वाहन चालक की स्थिति तय कर लेगी शराब का सेवन किया है या नही।
नगर में सज गयी रंग पिचकारियों की दुकानें
होली पर्व को देखते हुए नगर के दुकानदारों द्वारा डिजाईनदार रंग पिचकारियों का स्टाक करके रख लिया था। यह डिजाईनदार पिचकारियां बच्चों को अपनी ओर खींच रही है। वहीं विभिन्न-विभिन्न प्रकार के मुखड़े भी रंग की दुकानों पर दिखाई दे रहे है। नगर में शक्तिमान, स्पाईडर, मोटू-पतलू, मोर, हाथी, शेर जैसी पिचकारियां धूम मचाये हुए है।
होलिका दहन से सड़कों को न पहुंचाये नुकसान
नगर पालिका परिषद नरसिंहपुर द्वारा शहर के होलिका दहन समितियों से अनुरोध किया गया है कि होलिका दहन नगरीय क्षेत्रों के सड़कों, चौराहों एवं संकीर्ण आवासीय क्षेत्र छोड़कर आयोजित करें, ताकि शासकीय सम्पत्ति को किसी भी प्रकार की क्षति न पहुंचे। मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने नागरिकों से कहा है कि होली उत्सव के दौरान इस बात का भी ध्यान रखा जाये कि शासकीय सम्पत्ति को नुकसान न पहुंचे। वहीं प्रशासन ने भी होली समितियों से अपील की है कि बिजली तारों, टेलीफोन केबिल या अन्य केबिलों के नीचे होलिका का दहन न करें, क्योंकि आग के कारण इन केबिल प्रभावित हो जाती है जिससे भारी समस्याएं उत्पन्न होती है।
जंगल से न काटे लकड़ी
देखा जाता है कि होलिका दहन के लिए जंगल से बेशकिमती लकड़ी काटकर होलिका दहन किया जाता है जिससे जंगल को भारी नुकसान होता है इस कारण वन विभाग ने होली समितियों से अपील की है कि होलिका दहन में जंगल से लकड़ी काटकर न जलाये इससे जंगल को नुकसान होगा। कंडे की होली जलाने की वन विभाग ने अपील की है।
शक्कर की माला की सजी दुकानें
नगर में होली पर्व को देखते हुए मिठाई की दुकानों पर शक्कर से बनी मालाओं भी अत्याधिक दिखाई दे रही है। इन शक्कर की मालाओं का उपयोग अनरव वालों में किया जाता है। जिस घर में अनरव रहता है उसके रिश्तेदार, शुभचिंतक होली के दिन भेंट करने पहुंचते है इस कारण मिठाई की दुकानों पर मालायें भी सजी हुई है।
होली का महत्व
दैत्यराज हिरण्यकश्यप ने जप-तप से एक ऐसा वरदान प्राप्त कर लिया कि भगवान श्रीहरि को नृसिंह अवतार लेना पड़ा। हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद थे। वह श्रीहरि को ही भजते थे। पिता चाहते थे कि सारी पूजा छोड़कर वह उसके आधिपत्य को स्वीकार करे। प्रहलाद ने यह स्वीकार नहीं किया। हिरण्यकशिपु की बहन होलिका थी। उसको वरदान था कि अग्नि भी उसका नुकसान नहीं कर सकती। वह प्रहलाद को गोदी में लेकर अग्नि में बैठी। होलिका भस्म हो गई। भक्त प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ।