अमर लता फार्मा प्रोड्यूसर कंपनी मामला: मूंग उपार्जन 2023, 150 नाम हुए शॉर्टलिस्टेड 8 संदीघदों की जांच शुरू, बैंक खातों के साथ-साथ पंजीयन की भी हो रही जांच सिकमींनामे हो गए गायब

जबलपुर, यश भारत। 2023 में मझौली के सियाराम वेयरहाउस में अमर लता फार्मा प्रोड्यूसर कंपनी द्वारा किए गए गोलमाल को लेकर मुख्यमंत्री के आदेश के बाद जांच चल रही है। जिसमें बड़ी संख्या में किसानों को भुगतान नहीं हुआ है । जिसके चलते मामला मुख्यमंत्री ने सीधे एसपी को दिया है इसको लेकर मझौली थाने में जांच पड़ताल चल रही है। कंपनी के फरार डायरेक्टर की तलाश चल रही है वहीं दूसरी तरफ जिन किसानों के खातों में पैसा ट्रांसफर किया गया था उनकी भी जांच चल रही है। जिसमें से कुछ गलत लोगों को पैसा ट्रांसफर किए जाने का अंदेशा जताया जा रहा है। इसको लेकर जबलपुर कलेक्टर द्वारा भी एक टीम बनाई गई थी जो पुलिस का सहयोग कर रही थी। जिसने 150 ऐसे नाम को चिन्हित किया है जो प्रथम दृष्टि संदिग्ध नजर आ रहे हैं। जिस में से 8 नाम की सूची पुलिस को दी गई है जो अपने स्तर पर उनकी जांच कर रही है।
नहीं मिल रहे सिकमी नामे
जांच के दौरान जिन किसानों के नाम सामने आए हैं उसमें से कुछ किसान ऐसे हैं जिनके रजिस्ट्रेशन सिकमीनामें के आधार पर हुए थे और जब उनसे सिकमी नामें मांगे जा रहे हैं तो वह उन्हें प्रस्तुत करने में आनाकानी कर रहे हैं। क्योंकि वास्तविकता यह है कि यह गलत तरीके से जोड़े गए नाम थे ।जिन्हें बाद में व्यापारियों द्वारा सेटल किया गया है यदि किसानों के पास कॉपी नहीं है तो दूसरी कॉपी राजस्व विभाग से प्राप्त करी जा सकती है क्योंकि पंजीयन के समय सिकमी की कॉपी जमा करनी होती है जिसे बाद में तहसीलदार और एसडीएम की आईडी से सत्यापन भी होता है । वहीं दूसरी तरफ मूल भूमि के स्वामी से भी पूछना चाहिए कि उसने अपनी जमीन उक्त किसान को सिकमी पर दी गई थी या नहीं दी थी
दूसरी तहसीलों के हैं खाताधारक
जांच दल द्वारा जिन 150 नाम को चिन्हित किया गया है उस में से ज्यादातर नाम सियाराम वेयरहाउस मझौली से 50 से लेकर 80 किलोमीटर तक दूरी के किसान है। जिसमें शहपुरा ,बरगी ,चरगमा ,कुंडम और पाटन के किसान शामिल है । ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर किसान अपने आसपास के केंद्रों को छोड़कर 50 किलोमीटर दूर केंद्र पर अपनी उपज बेचने क्यों आ रहे हैं। हालांकि नियमों के अनुसार किसान पूरे जिले में कहीं भी अपनी उपज वेच सकता है, लेकिन यह सवाल तो उठाता ही है कि आखिर कोई किसान इतनी दूर जाएगा क्यों जिसके चलते इन्हें जांच में शामिल किया गया है।