
जबलपुर, यश भारत। शहर और आसपास के ग्रामीण इलाकों में अवैध शराब का कारोबार खुलेआम फल-फूल रहा है, लेकिन इस पर कार्रवाई का सारा बोझ थाना पुलिस के कंधों पर दिखाई दे रहा है। जबकि आबकारी विभाग, जिसकी यह सीधी जिम्मेदारी है, लगभग मूकदर्शक बना बैठा है।
शहर में हर दूसरे दिन अवैध शराब पकड़े जाने की खबरें सामने आ रही हैं, और इनमें अधिकांश कार्रवाई पुलिस द्वारा की जा रही है। सवाल यह उठता है कि आबकारी विभाग की टीमें आखिर कर क्या रही हैं? क्या वे केवल कार्यालयों में बैठकर फाइलों तक सीमित हो गई हैं या फिर इस गोरखधंधे में किसी तरह की मौन सहमति है?
स्थानीय लोगों का आरोप है कि अवैध शराब के इस नेटवर्क की जानकारी आबकारी विभाग को पहले से रहती है, लेकिन ‘महीने की सेटिंग’ के चलते कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती। शराब बेचने वाले अधिकतर लोग विभाग से जुड़े ठेकेदारों के नजदीकी माने जाते हैं, जिन्होंने गांव-गांव में अपना जाल फैला रखा है। पड़ोसी जिले आगे, जबलपुर पिछड़ रहा
पड़ोसी जिलों में आबकारी विभाग की सक्रियता के उदाहरण सामने आ रहे हैं — जहां नियमित रूप से कार्रवाई की जा रही है। इसके विपरीत जबलपुर में विभाग की निष्क्रियता यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या यहां के अधिकारी जानबूझकर आंखें मूंदे हुए हैं।
ताज़ा मामले
थाना गोरखपुर: मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने टेंडर-2 मांडवा में दबिश देकर सुमित गोंड (22 वर्ष) को गिरफ्तार किया, जिसके पास से 340 पाव देशी शराब बरामद हुई। आरोपी के खिलाफ धारा 34(2) आबकारी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया। सुमित गोंड के खिलाफ पूर्व में 8 आपराधिक मामले दर्ज हैं।
थाना कटंगी:
मुखबिर की सूचना पर थूहा मोड़, डुंगरिया के पास दबिश देकर महेन्द्र सिंह ठाकुर (32 वर्ष) को HF डीलक्स मोटरसाइकिल सहित पकड़ा गया। उसके पास से 298 पाव देशी शराब बरामद हुई। आरोपी पर भी धारा 34(2) के तहत कार्रवाई की गई। 638 पाव देशी शराब और एक बाईक भी जप्त की गई है।







