भाजपा के लिए चुनौती सिहोरा सीट
अलग जिले के असंतोष ने संतोष को डाला मुसीबत में

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जबलपुर, यशभारत। परिसीमन के बाद बीते तीन चुनावों से भाजपा का गढ़ मानी जाने वाली सिहोरा विधानसभा सीट बचा पाना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। सिहोरा जिला की मांग पर प्रदेश सरकार के गंभीर प्रयास न होना इसका बड़ा कारण बताया जा रहा है। पार्टी के खिलाफ यहां जबरदस्त असंतोष है और इससे निपटने के संतोष भी सक्षम नहीं दिख रहे हैं।
हालांकि इस प्रत्याशित असंतोष को दबाने पार्टी ने तीन बार को विधायक रही नंदनी मरावी का टिकट काटकर यहां से जिला पंचायत अध्यक्ष संतोष वरकड़े पर दांव खेला है, किंतु संतोष वरकड़े इस असंतोष को दबा पाने में सफल नहीं हो पाए हैं। यही कारण है कि यहां का चुनाव अभियान बिखरा बिखरा सा नजर आ रहा है। यहां से दावेदार रहे पार्टी के ही दूसरे प्रत्याशी जहां संतोष के लिए मुसीबत बने हैं। शहरी क्षेत्रों में तो कहीं-कहां पार्टी के झंडे पार्टी के प्रत्याशी होने का अहसास करा देते हैं, किंतु ग्रामीण क्षेत्रों में मामला निल बटे सन्नाटा वाला ही है। आलम यह है कि यहां पार्टी अपने परंपरागत वोट तक पाने की लिए जद्दोजहद में जुटी है। कांग्रेस ने जिला पंचायत के लिए चुनी गई एकता ठाकुर पर दांव तो जरूर खेला पर इससे उसके पुराने और धाकड़ कांग्रेसियों को नाराज कर दिया है। दिग्गजों ने निर्दलीय परचा भरकर अपना असंतोष भी जाहिर कर दिया था। वहीं एक अन्य टिकट दावेदार जो चिकित्सक है, वे निर्दलीय के रूप में डटे ही हैं। सिहोरा में कांग्रेस के टिकट के प्रबल दावेदार रहे एक चिकित्सक के मैदान में डटे रहने से कांग्रेस लिए गहरी खाई खोद रहे है।
