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खास रपट : लापरवाह शिक्षकों की मनमानी से बच्चों का भविष्य अंधकारमय 

समय से पहले ही गायब हो जाते हैं, शिक्षक उड़ा रहे स्कूल चले हम की धज्जियॉ

मंडला, आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला में शिक्षा का स्तर दिन ब दिन घट रहा है जिसका पूरा फ़ायदा प्राइवेट स्कूल संचालक उठा रहे हैं। औऱ अब ग्रामीण अंचलों के मध्यप्रदेश शासन द्वारा शिक्षा विभाग के लिए नित नयी नयी योजना बनाकर शिक्षा के स्तर को बढ़ावा दे रही है और ऐसा देखा जा रहा है कि सरकार के द्वारा लगातार सी.एम.राइज स्कूल की व्यवस्था की जा रही है शासन प्रशासन के द्वारा स्कूली बच्चों के लिए कॉपी पुस्तक यूनिफॉर्म खेल सामग्री और भी तरह तरह की योजना चलाकर बच्चों को सभी प्रकार से सभी स्कूलों में समुचित व्यवस्था के साथ मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता के साथ बच्चों की दर्ज संख्या से लेकर नौनिहालों की शिक्षा का स्तर में करोड़ों रुपए लगाकर ख़र्च करती है।

 

लेकिन आज भी आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर बढाने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है वही देखा जाए शिक्षको के द्वारा लगातार मनमानी रवैये के चलते बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है अगर देखा जाए तो उच्च अधिकारियों की नजर से लापरवाह शिक्षक बच भी न पाए मगर उच्च अधिकारियों की कमीशन खोरी के चलते शिक्षको को मिल रहा है खुला संरक्षण अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नही जब शिक्षा का स्तर गिरता नजर आएगा। वही जानकारी के अनुसार ऐसा ही एक नया मामला तहसील मुख्यालय घुघरी से महज 5 किलोमीटर दूर प्राथमिक शाला बरटोला का आया है जहां पर बच्चों के भविष्य के साथ शिक्षक हर महीने जेब भर भर के तनख़्वाह ले रहे है पर अपनी जिम्मेदारी से बचते नज़र आ रहें हैं और बच्चों के भविष्य से खुला खिलवाड चल रहा है, वही 15 जून से शिक्षा सत्र प्रारंभ हो चुका है और कुछ ही दिन हुए हैं लेकिन आज भी शिक्षक अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने और बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं नौनिहाल बच्चे जिनके माता पिता किस तरह से अपने बच्चों को दूर दूर से स्कूल भेजते हैं लेकिन आज भी शिक्षक अपनी मनमाने रवैये से बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड करते लगातार नजर आ रहे है आखिरकर यह कब तक चलता रहेगा यहाँ तो अपने आप मे एक अहम सवाल है।

 

वहीं जब रेवांचल की टीम नें प्राथमिक शाला के शिक्षक बोधा सिंह से जानकारी लेना चाही तो उनके द्वारा फोन नहीं उठाया गया दूसरी तरफ जब कुछ प्रत्यक्ष दर्शी जो की ग्रामीण ही थे उनसे जानकारी ली गई तो पता चला कि इस स्कूल में हमेशा से ही ऐसा चलता आ रहा है समय से पहले ही स्कूल बंद हो जाता है। वहीं इस स्कूल में एक शिक्षक और दो शिक्षिका हैं लेकिन तीनों के मनमाने रवैये के चलते लोग परेशान हैं। शिक्षक समय से स्कूल ही नहीं आते लेकिन 11 बजे से 11:30 बजे के पहले कोई स्कूल नहीं पहुंचता और बच्चे बाहर खड़े होकर स्कूल खुलने का इंतजार करते हैं।

इनका कहना है..
मैं छुट्टी में हूं स्कूल कब खुला कब बंद हुआ और कितने शिक्षक आये हैं मुझे कोई जानकारी नहीं है.मैं शादी में व्यस्त हूं आपको कोई जानकारी नहीं दे सकता..
दिनेश सिंगरहा, जनशिक्षक लाटो घुघरी

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