जबलपुरमध्य प्रदेश

भव्य पंडाल और राजस्थानी नृत्य मुद्रा में दर्शन देंगी मां भगवती

गोरखपुर मुख्य मार्ग पर जोर-शोर से चल रही तैयारी

जबलपुर यश भारत। शारदीय नवरात्र को अब मात्र कुछ ही दिन से बचे हैं जिसके चलते शहर और उपनगर क्षेत्र की सार्वजनिक दुर्गा उत्सव समितियों के द्वारा झांकी पंडाल और साज सज्जा को अंतिम रूप देने तैयारी युद्ध स्तर पर जारी हैं। इसी क्रम में गोरखपुर की नवज्योति दुर्गा मंडल निहालचंद कांपलेक्स मैं पूर्व वर्षों की भांति इस वर्ष भी छाता नुमा आकर्षक पंडाल और नृत्य मुद्रा में मां दुर्गा गणेश सरस्वती कार्तिकेय की राजस्थानी नृत्य मुद्रा में प्रतिमा स्थापित की जा रही है तो प्रतिमा के साथ असुर महिषासुर भी शामिल है.जिसे अंतिम स्वरूप देने मैं बंगाल के कोलकाता से आये मूर्तिकार और पंडाल कलाकारों के द्वारा रात दिन एक करके काम किया जा रहा है।

मंडल का 55वां वर्ष

नव ज्योति दुर्गा मंडल के द्वारा प्रतिमा स्थापना का यह 55 वां वर्ष है। मंडल के संरक्षक प्रीतम सेठ और संदीप जैन गप्पू ने जानकारी देते हुए बताया कि सर्वप्रथम यह प्रतिमा गोरखपुर गुरुद्वारा के समीप स्थापित की जाती थी। 17 18 वर्षों तक वहां भव्य पंडाल बनाकर प्रतिमा स्थापना के बाद इसका स्थान बदला और फिर यह प्रतिमा सेंट्रल बैंक के पास स्थापित की जाने लगी करीब 15 वर्षों तक वहां पर यह आयोजन होता रहा और उसके बाद सेठ निहालचंद काम्प्लेक्स मै यह प्रतिमा स्थापित की जा रही है। शुरुआत से ही यहां पर बंगाली पैटर्न की प्रतिमा स्थापित की जा रही है जिसका निर्माण वर्तमान में कोलकाता से आए आशुतोष पाल और उनके साथियों के द्वारा किया जा रहा है जबकि पंडाल निर्माण राजू राय और उनकी टीम के सदस्यों के द्वार। तैयारी का सिलसिला पिछले ढाई तीन महीने से जारी है और अब अंतिम चरण में।

पंडाल और मूर्ति निर्माण में लगे कलाकारों ने बताया कि पंडाल निर्माण में बांस बल्ली कपड़ा छोटी बड़े छाते का उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा फ्लावर का काम भी किया जा रहा है ताकि और भी भव्य स्वरूप दिया जा सके। यहां पर स्थापित की जाने वाली प्रतिमा पूरी तरह से मिट्टी से निर्मित की जा रही है जिसे पर्यावरण की दृष्टि से ध्यान रखकर निर्मित किया जा रहा है। पूरा काम 12 से 14 लोगों की टीम के द्वारा किया जा रहा है जो पिछले ढाई तीन महीने से शहर में आकर काम कर रहे है। पूर्व वर्षों में भी मंडल के द्वारा एक से बढ़कर एक पंडाल बनाए गए हैं कभी चूड़ियों का काम तो कभी हुगला पत्ता तू किसी वर्ष धान का पौधा मूलीवास के द्वारा सजावट की गई जिसकी दर्शनार्थियों की भरपूर सराहना भी मिली समिति का प्रयास यही रहता है कि हर वर्ष कुछ अलग हटके किया जाए। अनुमानित 4 से 5 लाख रुपए का खर्च

मंडल की संरक्षक श्री सेठ ने बताया कि मूर्ति पंडाल और दूसरी व्यवस्थाओं में करीब चार से पांच लाख रुपए खर्च होने का अनुमान है। मंडल के द्वारा किसी से चंदा तो नहीं लिया जाता लेकिन जो लोग स्वेच्छा से सहयोग करना चाहते हैं उनका सहयोग स्वीकार किया जाता है। जिस जगह है प्रतिमा स्थापित की जा रही है वह स्थान पूरा व्यावसायिक परिसर है जहां के दुकानदार इस आयोजन में पूरा सहयोग करते हैं यहां तक कि उन्हें आयोजन के दौरान करीब एक पखवाड़ा तक अपनी दुकान बंद भी रखना पड़ती हैं और सभी हंसी खुशी से इस आयोजन को सफल बनाने में अपना हाथ बटाते हैं और यही इस मंडल की विशेषता भी कहीं जा सकती है।

विसर्जन जुलूस भी रहता है खास

मंडल के द्वारा शुरुआत से ही माता रानी का विसर्जन जुलूस प्रतिमा स्थल से ग्वारीघाट के लिए निकाला जाता है। इस वर्ष 2 तारीख को शहर का मुख्य दशहरा चल समारोह है तो 3 तारीख को गोरखपुर का 4 तारीख को यह प्रतिमा भव्य विसर्जन जुलूस के साथ ग्वारीघाट में विसर्जित की जाएगी। मंडल के द्वारा हर सुबह अपना विसर्जन जूलूस अलग से निकाला जाता है और समापन अवसर पर विशाल भंडारा भी आयोजित होता है जिसमें हजारों श्रद्धालु माता रानी का प्रसाद ग्रहण करते हैं।

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