जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

JABALPUR NEWS- कानूनी दांवपेच में बंद हुआ खेत जाने का रास्ता- अपनी ही जमीन तक पहुंचने परेशान हो रहे 50 से अधिक किसान 200 एकड़ की फसल भगवान भरोसे

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जबलपुर यश भारत । जबलपुर से लगे हुए ग्राम लुहारी (सूखा) में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। जहां कानूनी दांवपेच और भू राजस्व की पेचेदगी में फस कर लगभग 50 किसान अपनी ही जमीन पर जाने के लिए रास्ता तलाश रहे हैं। जिसके चलते 200 एकड़ की खड़ी फसल भगवान भरोसे हो गई है। यह बात तो एक सामान्य व्यक्ति भी समझ सकता है कि एक किसान अपने खेत में जाने के लिए रास्ते में पढ़ने वाले किसी अन्य किसान की भूमि से होकर बिना रोक टोक गुजर सकता है। लेकिन लुहारी में कुछ ऐसी कानूनी पेचेदगी और अधिकारियों की लालफीताशाही हुई की खेत जाने का रास्ता ही बंद हो गया, और अब किसान यहां से वहां भटक रहे हैं।

 

 

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तैयार मटर की फसल लेकिन खेत जाने परेशान हो रहे किसान

यह है मामला

पाटन तहसील अंतर्गत आने वाले पाटन बाईपास से सटे हुए ग्राम लुहारी (सूखा) और ग्राम आरछा के बीच जिन किसानों की जमीन है वहां जाने के लिए 20 कड़ी चौड़ा रास्ता है। जो कि लंबे समय से बाज़ी बुल अर्ज़ व शासकीय निस्तार पत्रक में दर्शाया गया है। लेकिन यह रास्ता गांव के ही एक दूसरे किसान की निजी जमीन से होकर गुजरता है। परंतु शासकीय कागजों में दर्ज होने के कारण सभी किसान इसका उपयोग कर सकते हैं और 1954-55 व 1985 के बाज़ी बुल अर्ज़ में यह स्पष्ट रूप से दर्ज है। जब यह दस्तावेज तैयार किए गए उस समय सिर्फ एक फसल होती थी ।

बरसात के समय यहा कोई भी फसल नहीं होती थी। ऐसे में इसे 6 मासी रास्ता दर्शाया गया था। लेकिन वर्तमान समय में इस क्षेत्र में दो से तीन फसल किसान लेता है और उसे साल भर खेतों में जाने के लिए रास्ते की जरूरत होती है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए बाद में जो निस्तार पत्रक तैयार हुए उसमें उक्त मार्ग को पूर्णकालिक रास्ता दर्शा दिया गया।

परंतु जिन किसानों के खेत से यह रास्ता गुजरता था उनके द्वारा यह रास्ता बंद कर दिया गया और फिर पीछे के तरफ से किसानों द्वारा न्यायालय में इसकी शिकायत की गई तो कानूनी दांव पर व अन्य तर्कों के आधार पर इस रास्ते को अधिकारियों द्वारा बंद करवा दिया गया। जबकि वास्तविकता की धरातल पर यहां से लगभग एक दर्जन खसरों में जाने के लिए रास्ता गुजरता है और 200 एकड़ के जमीन के लगभग 50 किसान यहां से अपनी काश्तकारी के लिए आते जाते हैं और यंत्र उपकरणों को निकालते हैं।

इस पूरे मामले में किसानों का कहना है कि वह कई दशकों से इस रास्ते से होते हुए अपने खेतों पर जाते आए हैं। लेकिन कभी कोई रोक टोक नहीं हुई लेकिन जिस जमीन से यह रास्ता निकलता है उसके भूस्वामी के द्वारा मनमाने तरीके से यह पूरा रास्ता बंद कर दिया गया और जब वे अधिकारियों के पास है तो उन्हें मदद की जगह निराशा ही हाथ लगी।

किसानों की माने तो प्रारंभ से ही यहां से होकर कृषि कार्य होता आ रहा है ऐसे में नियम और कानून की आड़ में इस तरीके से निर्णय कानून सम्मत तो हो सकते हैं लेकिन व्यवहारिक नहीं हो सकते । इस पूरे मामले को लेकर पूरे क्षेत्र में रोश व्याप्त है जो किसी भी दिन विवाद का कारण बन सकता है।

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