
जबलपुर, मध्य प्रदेश: भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर बढ़ते तनाव को देखते हुए, जबलपुर स्थित महत्वपूर्ण रक्षा उत्पादन इकाई, गन कैरिज फैक्ट्री (जीसीएफ) ने अपनी उत्पादन गति बढ़ा दी है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, फैक्ट्री में मुख्य रूप से सारंग और धनुष जैसे उन्नत तोपों के साथ-साथ लाइट फील्ड गन (एलएफजी) का निर्माण प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है।
रक्षा मंत्रालय की चुप्पी, फैक्ट्री में बढ़ी गतिविधि
हालांकि गन कैरिज फैक्ट्री प्रबंधन या रक्षा मंत्रालय की ओर से इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन फैक्ट्री के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो उत्पादन इकाइयों में कर्मचारियों की उपस्थिति बढ़ी है और मशीनों की रफ्तार तेज हो गई है। यह गतिविधि ऐसे समय में देखी जा रही है जब सीमा पर दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है।
आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता कदम
गन कैरिज फैक्ट्री, जो भारतीय सेना के लिए तोपखाना प्रणालियों का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है, में स्वदेशी रूप से विकसित सारंग और धनुष तोपों का उत्पादन महत्वपूर्ण है। सारंग एक 155 मिमी की टोन्ड होवित्जर है, जबकि धनुष इसी श्रेणी की उन्नत तोप है, जिसे भारतीय आवश्यकताओं के अनुसार अपग्रेड किया गया है। एलएफजी हल्की होने के कारण दुर्गम क्षेत्रों में तेजी से तैनाती के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन हथियारों का त्वरित उत्पादन रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
अन्य रक्षा इकाइयों में भी सतर्कता
यह भी जानकारी मिल रही है कि मुनिशन्स इंडिया लिमिटेड (एमआईएल) के अंतर्गत आने वाली अन्य रक्षा निर्माण इकाइयों में भी कर्मचारियों की छुट्टियों को रद्द कर उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। हालांकि, गन कैरिज फैक्ट्री में इस तरह के किसी आधिकारिक आदेश की पुष्टि अभी तक नहीं हुई है।
राष्ट्र की सुरक्षा सर्वोपरि
जबलपुर की गन कैरिज फैक्ट्री में उत्पादन की यह संभावित वृद्धि देश की सुरक्षा तैयारियों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का संकेत है। सीमा पर किसी भी चुनौती का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए यह आवश्यक है कि रक्षा उत्पादन इकाइयां पूरी क्षमता के साथ काम करें और सैनिकों तक आवश्यक हथियार और उपकरण समय पर पहुंचाए जाएं।