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शुरू में मदिराप्रेमी चिंतित हुए, अब क्यों हो गए बेफिक्र

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मध्य प्रदेश के 17 जिलों में शराबबंदी की जा चुकी है मुख्यमंत्री मोहन यादव का यह फैसला दूरगामी परिणाम लेकर आएगा धार्मिक स्थलों पर होने वाली शराब बंदी की मांग लंबे समय से की जा रही थी जिस वक्त मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की मोहर अब जाकर लगी है एक और जहां शराब बंदी से महिलाओं में हर्ष व्याप्त है वहीं शराब की शौकीन निराशा है यह कहते हैं कि जिस व्यापार ने मध्य प्रदेश की व्यवस्था को कोरोना और आर्थिक मंदी के दौरान भी मजबूती से थामे रखा सरकार तिरस्कार कर रही है निश्चित रूप से प्रदेश के आर्थिक स्तंभ को हटाने के बाद आर्थिक व्यवस्थालड़खड़ाई की इससे तो बेहतर होता शराब बंदी वाले क्षेत्रों में आम जनों को शराब पीकर ही लडखडाना दिया जाता सबसे ज्यादा यह मुख्यमंत्री नितीश भारद्वाज को कोसती नजर आ रहे हैं जिन्होंने देश भर में शराब बंदी के लिए अलख जगाई औरकतरों का भारी नुकसान किया।

सरकार द्वारा अधिसूचना जारी करने के बाद मानव शराब के शौकीनों की छाती पर सांप लोटने लगे हैं अब वह यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि जब तालाब लगेगी तो उसे शांत किस प्रकार करेंगे वही लोग भी यह समझते नजर आ रहे हैं कि जिस क्षेत्र में सरकार शराब बंदी करती है तो उसके पीछे उद्देश्य अवैध शराब को बढ़ावा देने का होता है ऐसे लोगों के लिए यह बात बड़ी राहत देती है कि उन्हें उनकी प्रिय मुद्राअवैध रूप से ही सही लेकिन मिल जरूर जाएगी। ऐसे में उन्हें भी डर सता रहा है कि अगर सरकार ने पूरे देश में शराब बंदी लागू कर दी, तो ऐसी हालत में उनका हाल ठीक वैसा ही होगा, जैसे मंगल ग्रह मे उन्हे अकेला छोड दिया गया हो। खैर ये तो शराब के शौकीनों का हाल ए दिल है, दूसरी तरफ सरकार भी इस मुद्दे को लेकर पशोपेश में होगी, यह सोचकर की कहानी उनका यह निर्णय अर्थ व्यवस्था पर प्रहार ना साबित हो। इस फैसले का परिणाम जो भी हो, अवैध शराब बेचने वालों के भाजपा सरकार ने अच्छे दिन तो ला ही दिए हैं।

मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने इसकी घोषणा की कि मध्यप्रदेश के धार्मिक शहरों में शराब पर बैन लगाया जाएगा तो इस घोषणा को लेकर इन शहरों के मदिराप्रेमियों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंचनी शुरू हो गई. शराब के शौकीन आपस में चर्चा करने लगे कि ऐसे कैसे चलेगा? और इसके बाद पड़ताल की गई कि इन शहरों में शराब पर बैन तो होगा लेकिन इसके नियम व शर्तें क्या होंगी. हालांकि अभी नए वित्तीय वर्ष की आबकारी नीति नहीं बनी है. इसलिए ये स्पष्ट नहीं कि इन धार्मिक शहरों में शराबबंदी कैसी होगी

“सरकार का ये फैसला सराहनीय है. भले ही लोग अपने घर में बैठकर शौक पूरा करें लेकिन शहर में मदिरा की दुकानें नहीं होने से सकारात्मक असर और माहौल देखने को मिलेगा. वैसे भी जिसे पीना है, वह कहीं अपनी व्यवस्था कर लेगा. लेकिन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के इस फैसले की तारीफ तो बनती है.” शहर में शराब की दुकानें बंद होने से शराब के शौकीनों को झटका लगेगा. उज्जैन के रहवासियों के साथ ही यहां बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत नहीं होंगी. शराबबंदी के अलावा उज्जैन में मीट की दुकानें भी बंद होनी चाहिए.”

मध्यप्रदेश के जिन 17 शहरों में शराबबंदी लागू की जा रही है, इस बारे में कहा जा रहा है कि यहां संपूर्ण रूप से शराबबंदी नहीं होगी. यानि मदिराप्रेमी इन शहरों के बाहर से एक निश्चित मात्रा में अपना शौक पूरा करने के लिए शराब ला सकते हैं. साथ ही घर में बैठकर आराम से शराब पी सकते हैं. मध्यप्रदेश की आबकारी नीति में भी इस प्रकार का प्रावधान है कि परमिशन लेकर तय मात्रा में अपने घर पर शराब का शौक पूरा किया जा सकता है. इसी प्रकार के प्रावधान को लेकर मदिरा प्रेमियों ने शराबबंदी की काट तलाश ली है. शराब के शौकीन इसलिए और निश्चिंत हैं कि शहर की सीमा के बाहर से शराब आसानी से लाई जा सकती है. हालांकि इसके लिए थोड़ी दौड़-भाग करनी पड़ेगी. कुछ जेब भी ज्यादा ढीली करनी पड़ सकती है.

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