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पत्नी के अंतिम संस्कार के लिए रुपया नहीं होने पर दो दिन किया इंतजार

गरीबी इसे कहते है साहब... पत्नी की मौत हो गई,शव दफनाने पैसे नहीं थे दो दिन तक साथ में रखा दिल को झंकझोर देने वाली घटना

पत्नी के अंतिम संस्कार के लिए रुपया नहीं होने पर दो दिन किया इंतजार

गरीबी इसे कहते है साहब… पत्नी की मौत हो गई,शव दफनाने पैसे नहीं थे दो दिन तक साथ में रखा
दिल को झंकझोर देने वाली घटना

गरीबी इसे कहते है साहब… पत्नी की मौत हो गई,शव दफनाने पैसे नहीं थे दो दिन तक साथ में रखा
दिल को झंकझोर देने वाली घटना
जबलपुर, यशभारत। गरीबी नाम सुनना जितना दुखदाई है उससे ज्यादा उसका सामना करना होता है। इसकी एक बानगी रांझी के जीसीएफ राममंदिर के पास उस वक्त देखने मिली जब एक व्यक्ति अपनी मृतक पत्नी के शव के साथ पूरे दो दिन तक रखा। मंदिर के आसपास से गुजरने वाले लोगों को जब शव से बदबू आई तो उन्होंने ने व्यक्ति के पास जाकर पूछा तो उसने बताया कि दो दिन पूर्व पत्नी की मौत हो चुकी है परंतु उसके पास पैसे नहीं है तो वह शव को दिन से अपने साथ रखे हुए हैं। राहगीरों ने इस संबंध में गरीब नवाज कमेटी को इसकी सूचना दी जिसके बाद गरीब नबाज कमेटी के इनायत अली, बाबू भाई, रियाज अली दीपक निगम ,बच्छ् नांकनी मो अयाज और अफरोज मंसूरी ने रानीताल मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार कराया।
जानकारी के अनुसार जीसीएफ राममंदिर के समीप झोपड़ी बनाकर मजदूरी करने वाले संतोष ठाकुर की पत्नी संध्या ठाकुर 42 साल बीमारी के चलते मौत हो गई। होली के कारण उसे मजदूरी नहीं मिली जो मजदूरी त्यौहार के पहले मिली थी उससे खाना लेकर उसने पत्नी और खुद खा लिया था। रात में अचानक पत्नी की तबीयत खराब हो गई और उसकी जान चली गई। संतोष का कहना था कि जिस दिन मजदूरी मिल जाए तो ठीक नहीं है तो खाने के तक लाले रहते हैं। पत्नी का शव दो दिन से वह अपने साथ रखा था क्योंकि अंतिम संस्कार के लिए न पैसे थे और न कंधा देने वाले रिश्तेदार।

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