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हाईकोर्ट का आदेशः सैन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों के ट्रांसफर पर रोक के अभ्यावेदन को 07 दिनों के अन्दर निर्णय लें

जबलपुर, यशभारत। सैन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया रीवा शाखा में कार्यरत स्केल-1 अधिकारी नीरज सिंह एवं उपेन्द्र कुमार मिश्रा का ट्रांसफर रीवा शाखा से गोरखपुर ग्रामीण शाखा जिला डिंडौरी एवं बकेली ग्रामीण शाखा जिला उमरिया कर दिया गया था एवं मोबाइल में मैसेज भेजकर स्वयं ही रिलीव मानते हुये दोनों अधिकारियों को 22.04.2025 को गोरखपुर एवं बकेली शाखा में ज्वाईन करने हेतु आदेश सैन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया क्षेत्रीय कार्यालय शहडोल द्वारा दिये गये थे।
जिससे खिन्न होकर दोनो अधिकारियों ने बैंक द्वारा जो ट्रांसफर पॉलिसी का घोर उल्लंघन किया गया, के विरुद्ध एक रिट याचिका म.प्र. उच्च न्यायालय जबलपुर में दिनांक 29.04.2025 को प्रस्तुत की थी। चूँकि उन्हें तीसरी बार ग्रामीण शाखा में पदस्थ किया गया था, इसके पहले क्रमशः 05 वर्ष एवं 07 वर्ष दोनो अधिकारियों ने ग्रामीण शाखा में कार्य कर चुके थे। सैन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया में किसी भी स्केल ऑफिसर को ग्रामीण शाखा में काम करने का प्रावधान अधिकतम 02 वर्ष के लिये निहित है। एवं दोनो शाखाएं स्केल-प्प्, सीनियर मैनेजर की पदस्थी हेतु नामित है। फिर भी दोनो स्केल- अधिकारियों को ब्रांच हेड स्केल-प्प् वरिष्ठ प्रबंधक के पद पर पदस्थ किया गया था, जो दुर्भावना से ग्रसित है एवं बार-बार दोनो अधिकारियों को तीसरी बार ग्रामीण शाखा में ही जानबूझकर स्थानांतरण किया गया जबकि अनेक स्केल द्यद्य अधिकारी ग्रामीण शाखा की पदस्थी हेतु उपलब्ध है। जिन्होंने कभी भी ग्रामीण शाखा में काम नहीं किया है।
ट्रांसफर पॉलिसी में स्केल-1 से स्केल-प्प्प् अधिकारी को ट्रांसफर करने के लिये रीजनल हेडध्सहायक महाप्रबंधक स्केल-5 सक्षम प्राधिकारी है। फिर भी दोनो अधिकारियों का ट्रांसफर शहडोल क्षेत्रीय कार्यालय के चीफ मैनेजर (स्केल-प्ट) द्वारा जारी कर दिया गया एवं अगली तारीख को ही संबंधित शाखा में रिपोर्ट करने हेतु आदेश दे दिये गये, अन्यथा अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की धमकी दी जा रही थी। जिसका विरोध करते हुये दोनो अधिकारियों ने ट्रांसफर आदेश को रद्द करने एवं रीवा शाखा में ही कम से कम 03 वर्ष तक ड्यूटी करने के लिये म.प्र. हाईकोर्ट जबलपुर में एक रिट याचिका नर्मदा प्रसाद चौधरी अधिवक्ता एवं पूर्व वरिष्ठ शाखा प्रबंधक, बैंक ऑफ इंडिया एवं अधिवक्ता अमित कुमार चौधरी, आर.एल. चौधरी के द्वारा दायर की गई। जिस पर माननीय उच्च न्यायालय की युगल खण्डपीठ न्यायधपति विवेक अग्रवाल एवं विवेक जैन के द्वारा सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया के ग्रेवान्सिस कमेटी को दोनो अधिकारियों के रिप्रेजेन्टेंशन पर 07 दिनों के अन्दर निर्णय लेने हेतु आदेश जारी किये गये एवं रिट अपील को डिस्पोज किया गया। माननीय उच्च न्यायायल का आदेश ट्रांसफर ग्रेवान्सिस कमेटी को समुचित निर्णय लेते हुये दोनो अधिकारियों को रीवा शाखा में ही कार्य करने के अभ्यावेदन पर विचार कर 07 दिनो के अन्दर आदेश जारी किये गये है।
उक्त मामले में याचिकाकर्ता के विद्वान अधिवक्ता श्री नर्मदा प्रसाद चौधरी एवं श्री अमित कुमार चौधरी ने ट्रांसफर पॉलिसी के उल्लंघन किये जाने पर ट्रांसफर आदेश रद्द किये जाने योग्य है, पर जोरदार तर्क किया गया एवं अक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी ट्रांसफर आदेश स्वंय ही शून्य है, पर तर्क प्रस्तुत किये गये एवं हाईकोर्ट जबलपुर की युगल खण्डपीठ के ताजे दृष्टांत आशीष साहू बनाम बैंक ऑफ बड़ौदा जबलपुर एवं राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर की जयपुर खण्डपीठ के ताजे दृष्टांत प्रस्तुत किये जिस पर माननीय उच्च न्यायालय ने श्री आशीष साहू स्केल- अधिकारी का ट्रांसफर आदेश रद्द कर दिया था एवं राजस्थान राज्य की जयपुर खण्डपीठ ने भी ट्रांसफर पॉलिसी को विवादित मानते हुये सभी अधिकारियों के रिलीव करने पर दिनांक 16.05.2025 को रोक लगा दी गई है, के भी ताजे दृष्टांत अधिवक्ता श्री नर्मदा प्रसाद चौधरी संग श्री अमित कुमार चौधरी एवं श्री आर.एल. चौधरी द्वारा प्रस्तुत किये गये।
इस मामले में विशेष बात यह है कि दिनांक 29.04.2025 को एक रिट अपील प्रस्तुत की गई जो दिनांक 13.05.2025 को तय हुई फिर उसके विरूद्ध एक दूसरी रिट अपील दिनांक 19.05.2025 को प्रस्तुत की गई, जिसका निर्णय दिनांक 22.05.2025 को हो गया। एक रिट याचिका एवं एक रिट अपील का डिस्पोजल कुल 24 दिनों के अन्दर दो फैसले हुये है जबकि पब्लिक धारणा यही होती है कि हाईकोर्ट में मामलें निपटाने में वर्षों लग जाते है। इसका यह सटीक उदाहरण है कि श्री नर्मदा प्रसाद चौधरी एवं श्री अमित कुमार चौधरी संग श्री आर.एल. चौधरी अधिवक्ताओं के सफल प्रयास से दोनो रिट का डिस्पोजल 24 दिनों के अन्दर हो गया जो उक्त अधिवक्ताओं के लिये सराहनीय है।

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