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मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने पर हाईकोर्ट में बहस पूरी, फैसला सुरक्षित

श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह विवाद में शुक्रवार को मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने को लेकर दाखिल अर्जी पर पक्षकारों की बहस पूरी हो गई है। वहीं हाईकोर्ट ने इस मामले में राधारानी को पक्षकार बनाने की मांग में दाखिल अर्जी खारिज कर दी है। अब एक अन्य प्रार्थनापत्र रुक्मिणी को पक्षकार बनाने की मांग में दाखिल की गई है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र कर रहे हैं। खंडपीठ ने शुक्रवार को मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने के मामले में बहस पूरी होने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया।

हिंदू पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह ने मासरे आलम गिरी से लेकर मथुरा के कलेक्टर रहे एफएस ग्राउस तक के समय में लिखी गई इतिहास की पुस्तकों का हवाला देते हुए कोर्ट के समक्ष कहा कि वहां पहले मंदिर था, वहां पर मस्जिद होने का कोई साक्ष्य आज तक शाही ईदगाह मस्जिद पक्ष न्यायालय में पेश नहीं कर सका। न खसरा, खतौनी में मस्जिद का कहीं भी नाम है, न नगर निगम में उसका कोई रिकॉर्ड। न कोई टैक्स दिया जा रहा। यहां तक कि बिजली चोरी की रिपोर्ट भी शाही ईदगाह प्रबंध कमेटी के खिलाफ हो चुकी है इसलिए मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किया जाए। यह भी कहा गया कि भारतीय पुरातत्व विभाग के सर्वेक्षण में यह सब स्पष्ट हो जाएगा।

वहीं रीना सिंह की ओर से राधारानी को पक्षकार बनाने की अर्जी कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद खारिज कर दी है। एक अन्य अर्जी रुक्मिणी को मुकदमे में पक्षकार बनाने को लेकर दाखिल की गई है। अर्जी में कहा गया है रुक्मिणी देवी श्रीकृष्ण की पत्नी थीं और हर जगह उनके साथ रहीं इसलिए उनको भी इसमें पक्षकार बनाया जाए।

वाद मित्र नीतू सिंह चौहान ने कथावाचक कौशल किशोर ठाकुर की याचिका में श्रीकृष्ण की पत्नी मुख्य पटरानी महारानी रुक्मिणी माता को पक्षकार बनाए जाने के लिए ऑर्डर 1 रूल 10 सीपीसी के तहत आवेदन किया है। रुक्मिणी माता को पक्षकार बनाये जाने के लिए आवेदन करने वाली उनकी निकटम मित्र के रूप में नीतू सिंह चौहान ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण की धर्मपत्नी माता रुक्मिणी हैं और उनके पुत्र वंश में आज भी जादोंन जडेजा भाटी क्षत्रिय यदुवंश मौजूद हैं। एक मां अपने बच्चों के कुलपिता के अस्तित्व को बचाने को लेकर प्रतिबद्ध होती हैं साथ ही अपने पति के भी अधिकार और अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष करती हैं इसलिए वह इस न्यायिक लड़ाई में वह अपने पति के अस्तित्व विरासत को संरक्षित कराने एवं अपने वर्तमान वंश पुत्रों के इतिहास संस्कृति के मूल स्थान श्रीकृष्ण जन्मभूमि के गर्भगृह को बचाने की लड़ाई में सक्रिय रूप से सहभागिता अपनी निकटम मित्र के रूप में करती हैं जो कि उनका संवैधानिक अधिकार है। मामले में अगली सुनवाई चार जुलाई को होगी।

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