EXCLUSIVE : कृषि प्रधान क्षेत्र में कृषि अधिकारियों का टोटा …किसानों की बढी परेशानी… पढ़ें पूरी खबर

नरसिंहपुर/तेेंदूखेड़ा यशभारत। एक तरफ जहां खेती को लाभ का धंधा बनाने की दिशा में तरह-तरह के यतन किए जा रहे हैं। वहीं आधुनिक खेती के जरिए उन्नतशील कृषक बनने की दिशा में पर्याप्त मात्रा में अधिकारी ना होने की स्थिति में क्षेत्र के कृषकों को समय पर उचित मार्गदर्शन नहीं मिल पा रहा है। विकास खंड की यह स्थिति 18 अधिकारियों की जगह यहां पर मात्र आठ ही अधिकारी पदस्थ हैं।वाकी शेष स्थान प्रभार में चल रहे हैं।
तेंदूखेड़ा भामा चांवरपाठा देवरी मढेश्वर लिलवानी सगोरिया सीहोरा में कृषि अधिकारी तो पदस्थ हैं। लेकिन काचरकोना मंहगुवा विलगुवां खुलरी ढिलवार कोडिय़ां भोरझिर लिंगा और बोहानी प्रभार में चल रहे हैं। इतना ही नहीं विकासखण्ड कार्यालय चांवरपाठा में एक लिपिक और एक अधिकारी होने के साथ यहां पर भृत्य काफी लंबे समय से नहीं है। कृषकों का मानना है कि यदि प्रत्येक सेक्टर में अधिकारी रहते हैं तो कृषकों को समय समय पर उचित मार्गदर्शन के साथ शासन की योजनाओं का लाभ भी मिलता है।
मृदा परीक्षण केंद्र प्रारंभ हो
केंद्रीय मंत्रिमंडल में शिवराज सिंह चौहान को कृषि मंत्री के साथ ग्रामीण विकास का दायित्व सौंपा है। जिससे क्षेत्र के कृषकों को एक नई उम्मीद का संचार हुआ है। वहीं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में प्रदेश के मृदा परीक्षण केंद्र प्रारंभ कराये जाने की घोषणा से तेंदूखेड़ा मृदा परीक्षण केंद्र को भी शुरू होने की उम्मीद जागी है। निश्चित तौर पर इस केंद्र के खुलने से कृषक निर्धारित शुल्क जमा करके मृदा की जांच करा सकतें हैं। क्षीण हो रही उर्वरा क्षमता को दूर करने के साथ आवश्यक उपाय कर सकेंगे। इससे केवल तेंदूखेड़ा क्षेत्र ही नहीं बल्कि तीन जिलों के अंतर्गत आने वाले सीमावर्ती गांवों के कृषकों को सीधा लाभ मिलने लगेगा।
मंडी परिसर में शासकीय ग्रेडिंग मशीन की जरूरत
शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर अधिकांश उपजों को खरीदने का निर्णय लिया है। लेकिन खरीद केंद्र पर जाने वाली उपज की सही ग्रेडिंग ना होने की स्थिति में उसे खाली हाथ वापस लौटना पड़ता है। या फिर ग्रेडिंग सिस्टम के लिए यहां वहां व्यवस्था करनी पड़ती है या स्वयं स्टिम खरीदना मजबूरी हो जाया करती है।
चूंकि बड़े-बड़े कास्तकार यह व्यवस्था निजी स्तर पर कर लेते हैं छोटे छोटे कृषकों को इसकी आवश्यकता महसूस की जाती है। यदि शासकीय स्तर पर कृषि उपज मंडी परिसर में यह व्यवस्था प्राथमिकता के आधार पर हो जाती है तो कृषक मंडी में आने के साथ एक निर्धारित शुल्क के साथ ग्रेडिंग करा सकता है। वहीं गुण्वत्तापूर्ण उपज से अच्छे दाम भी मंडियों में ले सकते है।