डोरीलाल की चिंता – 2024 बैच के भगोड़े
बंधुओं, जैसा कि हम सभी को ज्ञात है कि इस चुनाव में हमारा और हमारी नई पार्टी का जीतना तय किया गया है। सारी व्यवस्थाएं कर ली गई हैं तभी चुनाव की तारीखें और कार्यक्रम की घोषणा की गई। कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार कर दिये गये हैं। पूरे तंत्र को विश्वास में लेकर ही यह लोकतांत्रितक प्रक्रिया प्रारंभ की गई। यह उचित ही है कि हमें हमारे नए बॉस ने आदेश दिया कि अबकी बार चार सौ पार। तो हमने यह नहीं पूछा कि कैसे और क्यों ? इस नए वातावरण में हम धीरे धीरे एडजस्ट हो रहे हैं। सीख रहे हैं कि कोई भी नारा दिया जाए उसे लगाने लग जाओ। तर्क मत करो। तर्क की बातें कालातीत हो गईं।
बंधुओं आज इस मंच से मैं ये कहना चाहता हूं कि हमारे त्याग और बलिदान को इतिहास में लिखा जाएगा। वर्तमान में जरूर हमें लोग अपशब्द कह रहे हैं। गद्दार, धोखेबाज वगैरह कह रहे हैं। उन्हें कहने दीजिए। हम विभीषण की महान परंपरा के वाहक हैं। अपने राजा को धोखा देने के कितने ही उदाहरण इतिहास में भरे पड़े हैं। दुनिया में हर मौके पर मनुष्य ने मनुष्य को धोखा दिया है। यदि हम धोखा नहीं देते तो कोई और देता। हम तो ये जानते हैं कि हमारे साथ कितने ही लोग धोखा देने को तैयार थे मगर कुआं पास आते ही पीछे हट गए और हमें कुएं में ढकेल दिया।
धोखा देना मानव मन की विशेष स्थिति है। इसे अवगुण समझा जाता है मगर सोचिये कि अंततः इससे प्रजा का भला होता है कि नहीं ? यदि चन्द्रशेखर आजाद पार्क में बैठे हैं, यह सूचना अंग्रेजों तक मुखबिर ने न पंहुचाई होती तो न चंद्रशेखर आजाद मारे जाते न गांधी जी को देश आजाद कराने का मौका मिलता। यदि भगतसिंह और साथियों के विरूद्ध फणीन्द्रनाथ मजूमदार ने गवाही न दी होती तो भगतसिंह वगैरह को फांसी ही न होती और गांधी जी इन लोगों के कारण देश को आजाद न करवा पाते। तो जो होता है अच्छे के लिए होता है। हमने यदि अपनी पार्टी को धोखा दिया और ऐन समय में छोड़ दिया तो ये कोई छोटा मोटा त्याग नहीं है। अपनों को छोड़ गैरों को गले लगाना कोई हंसी खेल है ? कितना दर्द होता है हम सब जानते हैं। यह बात कचोटती तो रहती है कि हमने अपनी पार्टी को घोखा दिया। अपनों को धोखा दिया। आज नहीं तो कल हम इस दुख को भूल जाएंगे और नए सिरे से इस पार्टी को धोखा देने के लिए तैयार हो जाएंगे। जिन्हें ये गलतफहमी है कि हम लोग किसी सिद्धांत से बंधे हैं वो अपनी गलतफहमी दूर कर लें। हम जैसे आ सकते हैं वैसे जा भी सकते हैं। हमारे पास दोनों पार्टियों के गमछे हैं जो चाहेंगे वो पहन लेंगे।
अब आज की बैठक के मुख्य एजेंडे पर बोलना चाहूंगा। जब हम लोग इस पार्टी में आए तो इस पार्टी को हमारी कोई जरूरत नहीं थी। मगर उसके बाद भी हमें इस पार्टी ने आने दिया। हमें गले लगाया। हमें पट्टा भी पहनाया। इसके लिए हम उनके आभारी हैं। हम सभी जानते हैं कि हम सब अपने अपने स्वार्थ से इस पार्टी में आए हैं। किसी को अपना धंधा बचाना है किसी को अपना मुकदमा निपटाना है किसी को ठेका चाहिए तो कोई को अपना पद बचाना है। यदि आज नहीं कमाया तो कल भगवान को क्या मुंह दिखाएंगे। यदि इस पार्टी में हम पर कोई विश्वास नहीं करता, हमें दोगला समझता है तो बिलकुल बुरा न मानें और अपने लक्ष्य के प्रति सजग हों।
आज हालत ये है कि हम लोग इस पार्टी में हॉल के बाहर उतारे गए जूते चप्पलों के बीच रखे गये हैं। वैसे तो हमें किसी सम्मान की उम्मीद नहीं है परंतु अपमान की भी सीमा होना चाहिए। इस पार्टी का कोई भी नेता आता है तो हमें झंडे लेकर नेता के पैर पड़ने के लिए खड़ा करवा दिया जाता है। नेता से परिचय में भी यही बताया जाता है कि ये इसी 2024 बैच के भगोड़े हैं। कई लोग तो जिस दिन से इस पार्टी में आए हैं घर से बाहर ही नहीं निकले। उन्हें शर्म आ रही है। इतनी शर्म बची थी तो पार्टी बदली ही क्यों ? अब समय आ गया है कि हम सब पहले दर्जे के बेशर्म बनें और जिस काम के लिए इस पार्टी में आए हैं उसे प्राप्त करें। यदि हम समय पर नहीं चेते तो मौका हाथ से निकल जाएगा। मैं कहना चाहता हूं कि हमारे कई बंधु भीड़ में जबरन दल बदल कर इस पार्टी में आ गए हैं। उनका नाम एक बार पेपर में आ गया फोटो छप गया वही बहुत है। ये लोग चुप रहें और हम सक्रिय लोगों को अपने लक्ष्य हासिल करने दें।
बहरहाल आज जरूरत इस बात की है हम उस पार्टी के भूतपूर्व लोग अपना संगठन बनायें और उसे मजबूत करें। आज जैसी हवा चल रही है और हमारी भू पू पार्टी के लोग लगातार इस पार्टी में आ रहे हैं और ये लोग भी बिना सोचे समझे माल खरीद खरीद कर गोदाम में रखे जा रहे हैं तो एक दिन हम लोग इस पार्टी में उस पार्टी के भूतपूर्व लोगों का एक विशाल संगठन खड़ा कर सकते हैं। आजादी से पूर्व कांग्रेस के अंदर सोशलिस्ट पार्टी इस तरह रह चुकी है। इस पार्टी में एक अच्छी बात ये है कि इस पार्टी में अब केवल दिल्ली के दो नेताओं का राज है। और किसी की कोई औकात नहीं है। मुख्यमंत्री से लेकर सरपंच तक वही बनाते हैं और सब उन्ही के नाम पर चुनाव जीतते हैं। ऐसे में इस पार्टी में भी अपना भविष्य उज्जवल है। हमें संगठित रहना है। हमें ये नहीं भूलना है कि हम जिस काम से आए हैं उसे जल्दी से जल्दी निपटाना है। हमने पार्टी बदलने की भरपूर कीमत वसूली है। हम अच्छी कीमत पर बिके हैं मगर अब जिसको जो ठेके लेना हो, जो कमीशन खाना हो, जो पद लेना हो जल्दी जल्दी निपटा डालो। कोर्ट के मामलों में देर लगती है। उन्हें जितनी जल्दी हो सके, निपटाओ।
आजकल जो खबरें आ रही हैं वो ठीक नहीं हैं। चार सौ तो क्या कहो दो सौ पार न हो। यदि ऐसा हुआ तो हमें अपनी भूमिका पर पुनर्विचार करना होगा। आप लोग पुरानी पार्टी के अपने अपने झंडे बचाकर रखना। कभी भी जरूरत पड़ सकती है।समय बहुत कम है काम बहुत ज्यादा है। आज से ही काम पर जुट जाओ। भारत माता की जय।
डोरीलाल पार्टीप्रेमी