शरद पूर्णिमा पर जरूर करें ये खास उपाय,घर में होगी धन-दौलत की भरमार
लक्ष्मी पूजन और ध्यान करने से आती है धन-संपन्नता

यशभारत। आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इस दिन का बड़ा महत्व है। इसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी स्वयं धरती पर आती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। इस रात का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि चंद्रमा अपनी सभी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है। वर्ष 2025 में शरद पूर्णिमा का पर्व 6 अक्टूबर को यानी आज मनाई जा रही है।
शरद पूर्णिमा पर खीर रखने का महत्व
शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं अर्थात कौन जाग रहा है?. देवी लक्ष्मी इस रात्रि घूमकर देखती हैं कि कौन जागकर सत्कर्म कर रहा है. अतः इस रात लक्ष्मी पूजन और ध्यान करने से धन-संपन्नता आती है. आयुर्वेद में इस रात्रि को चंद्र किरणों में रखे दूध या खीर को अमृत तुल्य कहा गया है, जो शरीर के पित्त दोष को शांत करता है और रक्तचाप व नींद को संतुलित करता है. शरद पूर्णिमा पर चांदनी में खीर रखने की परंपरा हजारों वर्षों पुरानी है और इसका उल्लेख वैदिक ग्रंथों, आयुर्वेद और ज्योतिष शास्त्र तीनों में पाया जाता है. यह कोई साधारण रीति नहीं, बल्कि चंद्रतत्व, औषधि शक्ति और देवी लक्ष्मी के आह्वान से जुड़ी अत्यंत वैज्ञानिक और आध्यात्मिक प्रक्रिया है.
शरद पूर्णिमा की खीर रखने का मुहूर्त
शरद पूर्णिमा पर यानी आज चंद्रोदय शाम के समय 5 बजकर 27 मिनट पर होगा, यह दिल्ली का समय है. अन्य शहरों में चंद्रोदय का समय थोड़ा आगे या पीछे हो सकता है. साथ ही आज पूरे दिन पंचक काल और भद्रा का साया भी रहने वाला है. भद्रा दोपहर 12 बजकर 33 मिनट से शुरू हो जाएगी और रात 10 बजकर 53 मिनट तक रहेगी. ऐसे में आप आज रात 10 बजकर 53 मिनट के बाद चंद्रमा की चांदनी में खीर रख सकते हैं. हालांकि भद्रा का खीर रखने से कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, ऐसे में आप चंद्रोदय होने के बाद खुले आसमान के नीचे कभी भी खीर रख सकते हैं. खीर इस प्रकार से रखना है कि उसमें चंद्रमा की किरणें पड़ें.







