आम आदमी पार्टी में बड़ी फूट! 15 पार्षदों ने दिया इस्तीफा,
बनाई नई पार्टी

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (AAP) को दिल्ली में बड़ा झटका लगा है। पार्टी के 15 मौजूदा पार्षदों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया है और ‘इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी’ नाम से एक नई पार्टी का गठन किया है। दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इन पार्षदों ने अपनी नई पार्टी की घोषणा की। मुकेश गोयल को नई पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया है।
गौरतलब है कि मुकेश गोयल पहले कांग्रेस के नेता थे और बाद में आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे। हेमचंद गोयल के नेतृत्व में इन पार्षदों ने AAP से अलग होकर यह ‘थर्ड फ्रंट’ बनाया है।
“हमें ऊपर से आदेश दिए जाते थे…”
पूर्व नेता सदन मुकेश गोयल ने AAP पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “हमारे साथ आए 15 पार्षदों ने 2022 में आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन पिछले ढाई वर्षों में यह पार्टी 135 सदस्य लेकर आई थी। पार्टी को पूर्ण बहुमत था, लेकिन ढाई वर्षों के अंदर जिस वातावरण में हमने काम किया, हमेशा ऊपर से आदेश आते थे। नीचे की कोई बात नहीं सुनी जाती थी। मुझे नेता सदन बनाया गया, लेकिन हमें कोई जानकारी नहीं होती थी। मैं 2022 में AAP के टिकट पर चुनाव लड़ा था।”
उन्होंने आगे कहा, “हेमचंद गोयल तीन बार के पार्षद हैं। जसवीर, उषा शर्मा दो बार के पार्षद हैं और भी कई नेता हैं, जो बड़े सीनियर हैं, लेकिन कभी हम लोगों की नहीं सुनी जाती थी। हमें नेता सदन बनाया गया था, लेकिन हमें कोई जानकारी नहीं मिलती थी। हमें आदेश आते थे कि आप यह करो। नगर निगम में प्रतिदिन आम आदमी पार्टी का पतन होता रहा और AAP की हालत यह हो गई कि हमें विपक्ष में बैठना पड़ा। पार्टी को निगम को अपने अनुभवी लोगों से बात कर उनकी सलाह से चलाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। केवल लड़ाई-झगड़ा और विपक्ष पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहा, जो मुझे अच्छा नहीं लगा।”
इस्तीफे की वजह:
मुकेश गोयल ने अपने इस्तीफे की वजह बताते हुए कहा, “28 वर्षों के दौरान हमने जो वातावरण देखा और अब ढाई सालों में देखा, उसमें बहुत अंतर था। हमारी अधिकारियों पर पकड़ नहीं रही। अधिकारी हमारी सुनते नहीं थे। काम कोई होते नहीं, हमारे पार्षदों को लॉलीपॉप दे दिए कि आपको एक लाख महीना वेतन मिलेगा। 1997 से पार्षद में मीटिंग भत्ता डेढ़ सौ रुपये था, उसके बाद वर्ष 2000 में 300 रुपये हुआ और 25 साल में आज भी वह भत्ता 300 रुपये है। हमारे निगम पार्षदों को बरगलाया गया कि आपको एक लाख रुपये महीना मिलेगा। निगम पार्षदों को अपने क्षेत्र में विकास कार्य करने के लिए बजट तक नहीं है। निगम पार्षद का जो बजट था, वह भी नहीं मिला और हालात यह हो गए कि अधिकारियों ने सत्ता पक्ष का सहयोग करना बंद कर दिया। अब ढाई साल हो गए और हमें अब लगता है कि इसी तरह चलता रहेगा। इसलिए हम सबने आम आदमी पार्टी से इस्तीफा देने का फैसला लिया।”
मुकेश गोयल ने कहा कि उन्हें अपने क्षेत्र के लोगों को जवाब देना है और काम करना है। अब अगर वे काम करके नहीं दिखाएंगे तो दो साल बाद चुनाव में जनता से वोट कैसे मांगेंगे। वहीं, हेमचंद गोयल ने कहा कि निगम का अर्थ है सत्ता का विकेंद्रीकरण, लेकिन AAP ने केंद्रीय स्तर पर एक ही व्यक्ति को शक्ति दे दी।
इस घटनाक्रम से आम आदमी पार्टी को दिल्ली में बड़ा झटका लगा है और पार्टी की आंतरिक कलह एक बार फिर खुलकर सामने आ गई है।