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चीनी खुफिया जहाज: भारतीय जलक्षेत्र में जासूसी के लिए बढ़ रहे ड्रैगन के शिप!

इंटेलिजेंस विशेषज्ञ डेमियन साइमन का दावा, 'दा यांग यी हाओ' नामक चीनी अनुसंधान जहाज भारत की ओर बढ़ रहा

हैदराबाद: भू-राजनीतिक तनाव और भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच, एक तथाकथित चीनी अनुसंधान जहाज भारतीय सीमा की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने सीमा पार आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की थी। इस बीच, चीन के इस तथाकथित अनुसंधान जहाज का भारत की ओर बढ़ना, इस्लामाबाद और बीजिंग के बीच गहरे होते गठजोड़ का हिस्सा माना जा रहा है।

ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस विशेषज्ञ डेमियन साइमन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस चीनी जहाज के बारे में जानकारी साझा करते हुए लिखा है कि चीन का एक तथाकथित अनुसंधान जहाज, जिसका नाम ‘दा यांग यी हाओ’ है, भारतीय सीमा की ओर बढ़ रहा है। इस घटनाक्रम के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियां भी सतर्क हो गई हैं और जहाज की गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रही हैं।

चीनी अनुसंधान (जासूसी) जहाज की क्षमता

‘दा यांग यी हाओ’ उन कई जहाजों में से एक है जिन्हें चीन ‘अनुसंधान जहाज’ कहता है, जबकि भारत और कई अन्य देश इन्हें जासूसी जहाज मानते हैं। इन जहाजों में दोहरे उपयोग वाली वैज्ञानिक क्षमताएं होती हैं, जिनका इस्तेमाल नागरिक और सैन्य दोनों उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। ये जहाज समुद्र तल का विस्तृत नक्शा बनाने, मिसाइलों को ट्रैक करने और पनडुब्बियों की गतिविधियों सहित कई महत्वपूर्ण जानकारियों पर नजर रखने में सक्षम होते हैं। चीन अक्सर इन जहाजों का इस्तेमाल गहरे समुद्र की खोज और समुद्री संसाधनों के सर्वेक्षण जैसे समुद्र विज्ञान संबंधी वैज्ञानिक अभियानों की आड़ में अपनी जासूसी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए करता है।

चीनी अनुसंधान पोतों के बारे में मुख्य बातें:Gq5mp IWIAAdVl0

  • चीन के पास अनुसंधान पोतों का एक विशाल बेड़ा है, जो दुनिया में सबसे बड़ा नागरिक अनुसंधान पोत बेड़ा है और अक्सर सैन्य उद्देश्यों के लिए सुर्खियों में रहता है।
  • भारत ने हिंद महासागर में चीनी अनुसंधान गतिविधियों को सीमित करने के प्रयास किए हैं, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका का मानना है कि इनमें से कई जहाजों का इस्तेमाल जासूसी के लिए किया जाता है।
  • चीन लगातार अपने तथाकथित समुद्री अनुसंधान पोतों की संख्या और आकार दोनों में विस्तार कर रहा है। यह बेड़ा 2012 में स्थापित एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण बेड़ा है, और राष्ट्रपति शी जिनपिंग पहले ही चीन को एक “मजबूत समुद्री देश” बनाने का आह्वान कर चुके हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन के डेटाबेस के अनुसार, 1990 या उसके बाद निर्मित 64 पंजीकृत चीनी सर्वेक्षण पोत हैं, जो अमेरिका (44) और जापान (23) से कहीं अधिक हैं।
  • चीन पर लंबे समय से जासूसी करने के आरोप लगते रहे हैं। 2019 से, चीन ने श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड और पश्चिमी, दक्षिणी और पूर्वी हिंद महासागर क्षेत्र के करीब जासूसी पोत तैनात किए हैं, जिन्हें वह महासागर अनुसंधान पोत कहता है। इनका मुख्य उद्देश्य इस क्षेत्र में भारत की संपत्तियों की निगरानी करना और समुद्र तल में खनिजों पर अनुसंधान करना है।
  • 2023 में, यह सूचना मिली थी कि चीन ने हिंद महासागर क्षेत्र में 25 शोध और ट्रैकिंग जहाजों को तैनात किया था।
  • रिपोर्टों के अनुसार, 2019 से अब तक हिंद महासागर क्षेत्र में कुल 48 चीनी वैज्ञानिक अनुसंधान जहाज तैनात किए गए हैं।

भारतीय मिसाइल परीक्षणों पर चीनी जहाजों की निगरानी की घटनाएं:

  • मार्च 2024: ‘जियांग यांग होंग 01’ नामक चीनी जहाज को भारतीय मिसाइल अग्नि 5 के परीक्षण से ठीक पहले कई दिनों तक बंगाल की खाड़ी में देखा गया था। एक समय पर, यह जहाज विशाखापत्तनम से केवल 250 समुद्री मील की दूरी पर था। अग्नि 5 मिसाइल का सफल परीक्षण रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा 11 मार्च 2024 को किया गया था।
  • नवंबर 2022: ‘युआन वांग 6’ और ‘युआन वांग 5’ नामक चीनी जहाज नियोजित मिसाइल परीक्षण से कुछ दिन पहले हिंद महासागर क्षेत्र में घूमते रहे थे। इसके बाद भारत ने NOTAM (एयरमैन को अधिसूचना) रद्द कर दिया था, जिसमें 10 और 11 नवंबर, 2022 को होने वाले परीक्षणों के लिए बंगाल की खाड़ी में नो-फ्लाई ज़ोन की घोषणा की गई थी।
  • दिसंबर 2022: भारत ने बंगाल की खाड़ी के ऊपर फिर से NOTAM जारी किया, जिसके बाद चीनी अनुसंधान पोत ‘युआन वांग 05’ ने अपने मार्ग से यू-टर्न लिया और भारतीय महासागर क्षेत्र से वापस चला गया।

चीन के जासूसी जहाज हिंद महासागर क्षेत्र में घुस रहे:

कुछ प्रमुख चीनी जासूसी जहाजों में ‘जियांग यांग हांग 01’, ‘जियांग यांग हांग 03’, ‘यांग वांग 7’ और ‘बेई डियाओ 996’ शामिल हैं, जिन पर अक्सर हिंद महासागर क्षेत्र में घुसने का आरोप लगता रहा है।

  • सितंबर 2019: भारतीय नौसेना ने ‘शियान 1’ नामक एक चीनी शोध पोत को खदेड़ दिया था। यह पोत अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के तट पर भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) में बिना अनुमति के काम करते हुए पकड़ा गया था।
  • 2019 और 2021 के बीच: जासूसी पोत ‘जियांग यांग हांग 01’ पूर्वी इंडोनेशिया और म्यांमार के करीब कई बार देखा गया था।
  • इसी पोत का एक उन्नत संस्करण, ‘जियांग यांग होंग 03’, 2019 और 2020 में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में सर्वेक्षण करते हुए देखा गया था।
  • अगस्त 2023: शुपांग श्रेणी का हाइड्रोग्राफिक पोत ‘डेंग जियाक्सियन’ 10-24 अगस्त तक हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में तैनात किया गया था। यह पोत 28 अगस्त को सुंडा जलडमरूमध्य के माध्यम से IOR में फिर से दाखिल हुआ और सितंबर 2023 की शुरुआत में लोम्बोक/ओम्बाई वेटार जलडमरूमध्य से बाहर निकल गया। 11 सितंबर, 2023 को इसी पोत को फिलीपींस सागर का सर्वेक्षण करते हुए देखा गया था।
  • इसी पोत के विभिन्न संस्करण श्रीलंका के करीब दक्षिणी हिंद महासागर में भी देखे गए हैं।
  • हाल ही में, मालदीव ने आने वाले सप्ताह में एक चीनी जासूसी जहाज को अपने जलक्षेत्र में प्रवेश की अनुमति दे दी है, जबकि श्रीलंका सरकार ने इस वर्ष 2024 में ऐसे जहाजों के दौरे पर रोक लगा दी है।

गौरतलब है कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 25 नागरिकों समेत 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई थी। इसके जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर पाकिस्तान और उसके द्वारा पोषित आतंकवादियों पर कड़ी कार्रवाई की थी। भारतीय सशस्त्र बलों ने नौ आतंकी ठिकानों को तबाह करते हुए 100 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया था। इतना ही नहीं, पाकिस्तान के कई एयरबेस को भी नुकसान पहुंचाया गया था और भारत को निशाना बनाकर दागी गई कई मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर दिया गया था, साथ ही उनके एयर डिफेंस सिस्टम को भी जाम कर दिया गया था।

हालांकि, भारत और पाकिस्तान के बीच अभी भी सीजफायर जारी है, लेकिन भारतीय सेना, खासकर अरब सागर और उत्तरी हिंद महासागर में नौसेना हाई अलर्ट पर है। इस बीच, चीनी जहाज ‘दा यांग यी हाओ’ के उन्नत सेंसर और हाइड्रोग्राफिक उपकरण, भारतीय नौसेना के विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत सहित अन्य भारतीय युद्धपोतों की गतिविधियों पर नजर रखने की कोशिश कर सकते हैं। इसके साथ ही, यह पाकिस्तान की मदद के लिए भी काम कर सकते हैं। ऐसे में भारत और उसकी सैन्य एजेंसियों को पूरी तरह से चौकस रहने की आवश्यकता है।

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