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जबलपुर मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी का एक और कारनामाः विद्यापरिषद की जानकारी पर दे रहे विधानपरिषद की

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जबलपुर, यशभारत। मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय प्रबंधन स्वयं को मप्र की विधानसभा से ऊपर समझ रहा है। सूचना के अधिकार के तहत जब विश्वविद्यालय की विध्यापरिषद की जानकारी मांगी गई तो विश्वविद्यालय के लोक सूचना अधिकारी द्वारा विधानपरिषद यानि विधानसभा के संबंध में जानकारी दी जा रही है। यह कहना है आरटीई के तहत जानकारी मांगने वाले एड. अनुराग नेमा का। अधिवक्ता अनुराग नेमा ने विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय प्रबंधन को मप्र विधानसभा के विषय में जानकारी देने का विशेषाधिकार किसने दिया है। 11 अक्टूबर 2022 को मैंने प्रबंधन से सूचना के अधिकार के तहत 1जनवरी 2022से 5 सितंबर 2022 तक हुई विध्यापरिषद की बैठक जानकारी मांगी थी। जिसके जवाब में मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के लोक सूचना अधिकारी द्वारा 18 नवंबर 2022 को मेरे 1166शाही तालाब के पास, संजीवनी नगर स्थित निवास पर पत्र क्रमांक क्रमांकध्मप्रआविविध्आर.टी.आईध्2022ध्6446के माध्यम से विषयरू सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत चाही जानकारी के संबंध में संदभर्रू आवेदन विश्वविद्यालय आवक क्रमांक 494दिनांब 11ध्10ध्22के संबंध में शब्दशरू कहा गया कि उपरोक्त विषयांतर्गत लेख है कि विश्वविद्यालय की अकादमिक शाखा से प्राप्त लेख अनुसार दिनांक 1ध्1ध्2022 से 05ध्09ध्22तक अकादमिक शाखा द्वारा विधानपरिषद की बैठक आयेाजित नहीं कराई गई।

विधान परिषद का वास्तविक अर्थ
विधान परिषद कुछ भारतीय राज्यों में लोकतंत्र की ऊपरी प्रतिनिधि सभा है। इसके सदस्य अप्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा चुने जाते हैं। कुछ सदस्य राज्यपाल के द्वारा मनोनित किए जाते हैं। विधान परिषद विधानमंडल का अंग है। आंध्र प्रदेश, बिहार, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के रूप में, (उन्तीस में से) सात राज्यों में विधान परिषद है। इसके अलावा, राजस्थान और असम को भारत की संसद ने अपने स्वयं के विधान परिषद बनाने की मंजूरी दे दी है। संविधान के अनुच्छेद 169,171(1) एवं 171(2) में विधान परिषद के गठन का प्रावधान है। इसकी प्रक्रिया निम्न प्रकार हैरूइसके सदस्यों का कार्यकाल छह वर्षों का होता है लेकिन प्रत्येक दो साल पर एक तिहाई सदस्य हट जाते हैं।

एक राज्य के विधान सभा (निम्न सदन) के साथ इसके विपरीत, विधान परिषद (उच्च सदन) में एक स्थायी निकाय है और भंग नहीं किया जा सकता है, विधान परिषद का प्रत्येक सदस्य (एमएलसी) 6 साल की अवधि के लिए कार्य करता है। एक परिषद के सदस्यों में से एक तिहाई की सदस्यता हर दो साल में समाप्त हो जाती है। यह व्यवस्था राज्य सभा, के सामान है। राज्य की विधान परिषद का आकार राज्य की विधान सभा में स्थित सदस्यों की कुल संख्या के एक तिहाई से अधिक नहीं और किसी भी कारणों से 40 सदस्य से कम नहीं हो सकता (जम्मू और कश्मीर के विधान परिषद को छोड़कर)।

जम्मू और कश्मीर के संविधान के अनुच्छेद 50 द्वारा 36 सदस्यों की व्यवस्था की गई है। एमएलसी बनने हेतु योग्यताएंरू2010 में तमिलनाडु की विधानसभा ने 1986 में बंद की जा चुकी विधान परिषद को फिर से शुरू करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया। विधेयक में 78 सीटों का प्रावधान किया गया। 28 नवंबर 2013 को असम में विधान परिषद से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गयी। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने असम में विधान परिषद की स्थापना को मंजूरी दी। असम में आजादी के बाद ऊपरी सदन को खत्म कर दिया गया था। प्रस्ताव के मुताबिक असम में 42 सदस्यीय विधान परिषद होगी। ओडिशा राज्य कर्नाटक और महाराष्ट्र में एक अध्ययन के आयोजन के बाद एक विधान परिषद की स्थापना करने की तैयारी कर रहा है।

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