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मध्य प्रदेश शासन ने हाईकोर्ट मे दाखिल किए ओबीसी के डाटा नाथसरकार ने पेश किए थे जनसंख्या के डेटा, शिव सरकार ने दाखिल किए प्रतिनिधिव के डेटा … देखे.. वीडियो…

जबलपुर यशभारत। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर में ओबीसी आरक्षण से संबंधित कई मामले विचारधीन है 7 उक्त प्रकरणों मे 2019 से लगभग 38 बार सुनवाइया हो चुकी है तथा उक्त प्रकरण दिनांक 16 अगस्त 2022 को अंतिम तर्को (फायनल वहस) के लिए नियत है । उक्त प्रकरणों में मध्य प्रदेश शासन की ओर से 14 सितंबर 2021 को महामहिम राज्यपाल द्वारा मध्य प्रदेश हाईकोर्ट मे शासन की ओर से ओबीसी का पक्ष रखने हेतु अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक प्रसाद शाह को विशेष अधिवक्ता नियुक्त किया गया है, जिन्होने सुप्रीम कोर्ट की मंशा के अनुरूप ओबीसी आयोग का गठन कर क्वांटीफेविल डाटा कलेक्ट किए जाने के सुझाव सहित पत्र लिखकर शासकीय सेवाओ में ओबीसी के प्रतिनिधित्व के डाटा कलेक्ट कर न्यायालय मे प्रस्तुत करने का सुझाव दिया गया था, तदनुसार शासन की ओर से समान्य प्रशासन विभाग ने उक्त डेटाओ का संग्रह किया गया है। उक्त डेटाओ में कुल स्वीकृत पदो की संख्या 3,21,944 (तीन लाख एक्कीस हजार नो सौ चबालीस) में से ओबीसी वर्ग को मात्र 43,978 पद अर्थात 13.66 प्रतिशत आरक्षित बताया गया है । उक्त जानकारी के डेटा माननीय उच्च न्यायालय मे प्रस्तुत किए जा चुके है । माननीय सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के अनुरूप अभी पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट माननीय उच्च न्यायालय मे प्रस्तुत किया जाना शेष है ।

मध्य प्रदेश मे ओबीसी आरक्षण की पृष्ठभूमि

मध्य प्रदेश मे पहली बार दिनांक 17/11/1980 को रामजी महाजन आयोग का गठन किया गया था तथा महाजन आयोग ने दिनांक 22.12.1983 को ओबीसी को 35त्न आरक्षण सहित कई अनुशंसाए करके प्रतिवेदन शासन को प्रस्तुत किया गया था, जिसे आज दिनांक तक लागू नही किया गया है 7 तब अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने माननीय सुप्रीम कोटज़् मे एक जनहित याचिका कमाज़्ंक ङ्खक्क/345/2014 दाखिल करके चुनोती दी गई थी, की सम्पूणज़् देश मे ओबीसी को 27त्न आरक्षण दिया जा रहा है, तथा इंद्रा शहनी वनाम भारत संघ के प्रकरण मे भी सुप्रीम कोटज़् की 9 जजो की बैंच द्वारा ओबीसी की 52.8 प्रतिशतजनसंख्या मान्य की जाकर क्रीमीलेयर की शतोज़् के अधीन 16/11/1992 मे मण्डल कमीशन की रिपोटज़् को मान्य करके, ओबीसी को शासकीय सेवाओ मे 27त्न आरक्षण का लाभ दिए जाने के निदेज़्श दिए गए थे 7 उक्त फैसले के विपरीत मध्य प्रदेश मे ओबीसी को सिर्फ 14 प्रतिशत ही आरक्षण दिया गया तथा आज भी दिया जा रहा है 7 उक्त याचिका को सुप्रीम कोटज़् ने गंभीरता से लेते हुए मध्य प्रदेश सरकार को 2016 मे कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे, जिसके जबाब दाखिल करने के पूवज़् ही मध्य प्रदेश सरकार ने दिनांक 08/3/2019 को ओबीसी को 27त्न आरक्षण लागू किया गया 7 उक्त याचिका क्रमांक WP ( C ) xyz /w®vy ( RAMESHWAR SINGH VS? STATE OF M?P? & OTHERS?)

यदि मध्य प्रदेश राज्य पहल करता है, तो ओबीसी आरक्षण के समस्त मामले सुप्रीम कोटज़् स्थानांतरित हो सकते है, क्यूकी सुप्रीम कोटज़् की पाँच जजो की बैंच मे यह मुद्दा पूवज़् से बिचारधीन है की क्या कुल आरक्षण की सीमा 50त्न से ज्यादा हो सकती है ? ठीक यही प्रश्न मध्य प्रदेश हाईकोटज़् के समक्ष ओबीसी तथा श्वङ्खस् के मामलो मे मौजूद है । जहा तक इंद्रा शहनी के प्रकरण मे 50 प्रतिशत की सीमा की बात कही तो गई है, लेकिन उक्त फैसले के पैरा कमाज़्ंक 928 मे स्पष्ट कर दिया गया है की उक्त सीमा विशेष परिस्थितियो मे बड़ाई एव घटाए जा सकती है 7 वो विशेष परिस्थितिया क्या होगी इसका निधाज़्रण अभी तक न तो सुप्रीम कोटज़् ने किया है और न ही देश की किसी अन्य हाईकोर्ट ने । सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले मे स्वम कहा है, की उक्त विशेष परिस्थितिया जिसके आधार पर आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाया गया है उनका परीक्षण करने का अधिकार सिफज़् सुप्रीम कोर्टको ही होगा। सुप्रीम कोटज़् के उक्त निदेशोज़्ं को देश के समस्त हाईकोटज़् संविधान के अनुछेद 141 के तहत मानने को वाध्य है।

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