भूख प्यास से 1 शावक ने तोड़ा दम : दूसरे को रेस्कयू कर पकड़ा, बाघिन ने छोड़ दिया था दोनों शावकों को

सिवनी यश भारत:-जिले के पेंच नेशनल पार्क के खवासा क्षेत्र में भूख प्यास से एक बाघ शावक की मौत हो गई। जिसका अंतिम संस्कार पेंच।प्रबंधन ने किया है। पेंच नेशनल पार्क के उपसंचालक रजनीश कुमार सिंह ने आज रात्रि के समय जानकारी देते हुए बताया कि 20 फरवरी को ईको विकास समिति दुर्गापुर के अध्यक्ष के द्वारा पेंच टाइगर रिजर्व के खवासा परिक्षेत्र अंतर्गत परिक्षेत्र सहायक पिपरिया को एक बाघ शावक के शव देखे जाने की सूचना प्राप्त हुई। जिसके बाद परिक्षेत्र सहायक एवं स्टाफ मौके पर पहुंचा।
जहां उन्होंने पाया कि पहाड़ी नाले के रेतीले सूखे प्रवाह क्षेत्र में एक बाघ शावक मृत अवस्था में पड़ा था और एक अन्य जीवित बाघ शावक वहीं मौके पर था। जो कि मृत बाघ शावक का मांस खा रहा था। कर्मचारियों की उपस्थिति को देखकर जीवित शावक थोड़ी दूर जंगल की ओर चला गया। दोनों बाघ शावकों की आयु लगभग तीन माह थी।
प्रथम दृष्टया बाघ शावक की मृत्यु प्राकृतिक लग रही थी।वनक्षेत्र पेंच टाइगर रिजर्व सिवनी के वन परिक्षेत्र खवासा बफर अंतर्गत बीट मोहगांव यादव के अंतर्गत आता है।घटना क्रम की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दी गयी, सूचना पश्चात् क्षेत्र संचालक, पेंच टाइगर रिजर्व सिवनी, सहायक संचालक, सिवनी क्षेत्र एवं वन परिक्षेत्र अधिकारी, खवासा बफर मौके पर पहुंचे। निगरानी हेतु घटना स्थल से बिना छेड़छाड़ किये कैमरा ट्रैप लगाये गये। क्योंकि सम्भावना थी कि मादा बाघ रात में आकर जीवित बाघ शावक को अपने साथ ले जा सकती है। उक्त घटनाक्रम की रातभर निगरानी हेतु दो दलों का गठन किया गया ताकि यदि मादा बाघ जीवित शावक को अपने साथ लेने आये तो घटना स्थल की निगरानी की जा सके।
रात्रि में फिरसे आया जीवित बाघ शावक:-
मृत बाघ शावक के पास आया एवं थोड़ी देर बाद लौट गया। परंतु मादा बाघ जीवित शावक को अपने साथ ले जाने हेतु नहीं आयी। मृत एवं जीवित शावक दोनों ही कुछ दिनों से भूखे एवं अत्यंत कमजोर लग रहे थे। संभवत: शावकों के कमजोर होने के कारण मादा बाघ द्वारा उनका त्याग कर दिया गया। बाघों में यह व्यवहार अति सामान्य है, स्वस्थ शावकों पर अधिक ध्यान देने की दृष्टि से वह कमजोर एवं अशक्त शावकों का त्याग कर देती है। चूंकि बाघिन मां रात्रि में जीवित शावक को लेने नहीं आई थी एवं शावक अत्यंत कमजोर था।इसलिए सुबह होते ही जीवित शावक का रेस्क्यू प्रारंभ किया गया।
बाघ शावक समीप की झाड़ियों में बैठा हुआ मिल गया।चूंकि शावक अत्यंत कमजोर था जिस कारण से उसे रेस्क्यू करने के लिये बेहोश करना घातक हो सकता था। पेंच टाइगर रिजर्व रीजनल रेस्क्यू स्क्वाड के सदस्य गुरूप्रसाद रजक ने शावक को अपने व्यवसायिक कौशल का उपयोग करते हुए बिना किसी निश्चेतक के रेस्क्यू किया। रेस्क्यू उपरांत खवासा स्थित क्वारेंटीन सेंटर एवं वन्यप्राणी अस्पताल लाकर प्रारंभिक चिकित्सा दी गई। परीक्षण में शावक का लिंग मादा पाया गया। मृत शावक का शव भी खवासा लाया गया।
जहॉं पर एन.टी.सी.ए. के दिशा निर्देशों के तहत शव परीक्षण कराया गया। शव परीक्षण में शावक के सभी अंग सुरक्षित पाये गये एवं प्रथम दृष्टया भूख एवं प्यास से मृत्यु होना पाया गया। एनटीसीए के दिशा निर्देशों के तहत भष्मीकरण समिति के समक्ष शावक का अंतिम संस्कार किया गया। रेस्क्यू कर लाये गये जीवित शावक का चिकित्सा परीक्षण एवं उपचार विशेषज्ञ वन्यप्राणी चिकित्सकों द्वारा किया जा रहा है।