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जबलपुर जेल में एक हजार रुपये में बंदियों को गांजे की पुडि़या बेचता था प्रहरी, गेट पर पकड़ा गया

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जबलपुर,। बंदियों को एक-एक हजार रुपये में गांजे की पुडि़या बेचने वाले प्रहरी को केंद्रीय कारागार में पकड़ लिया गया। उसके कब्जे से गांजे की 10 पुडि़या मिली। पकड़े जाने के बाद जेल प्रहरी गिड़गिड़ाने लगा परंतु अन्य प्रहरियों ने जेल अधिकारियों को घटना की जानकारी दे दी। मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने गांजे की पुडि़या जब्त करते हुए प्रहरी को निलंबित कर दिया है। हैरानी की बात यह है कि जेल तक गांजा तस्करी की सूचना पुलिस को नहीं दी गई। निलंबन की विभागीय कार्रवाई कर जेल प्रहरी को छोड़ दिया गया। जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर ने कहा कि जेल प्रहरी की गतिविधियां संदिग्ध नजर आ रही थीं।

यह है मामला: सेना की नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद राजेंद्र राठौर का चयन जेल प्रहरी के पद पर किया गया था। करीब तीन साल पहले उसकी पदस्थापना केंद्रीय कारागार में की गई थी। जेल परिसर स्थित शासकीय आवास में वह परिवार सहित निवास करता है। राजेंद्र की रात दो बजे से सुबह छह बजे तक ड्यूटी थी। वह कुछ विलंब से ड्यूटी पर उपस्थित हुआ और गेट के भीतर प्रवेश करने लगा। गेट पर सुरक्षा में तैनात अमले ने संदेह के आधार पर राजेंद्र की तलाशी ली। इस दौरान उसके पास से गांजे से भरी 10 पुडि़या मिली। पूछताछ में पता चला कि वह प्रति पुडि़या एक हजार रुपये में बंदियों को बेचता है। वह लंबे समय से जेल के बंदियों को गांजा बेच रहा था।

 

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बचने के लिए विलंब से पहुंचा: बताया जाता है कि जेल अधिकारियों ने निर्देश दिया है कि प्रहरी 10-15 मिनट पहले ड्यूटी पर उपस्थित हो जाएं। ऐसा निर्देश इसलिए जारी किया गया ताकि ड्यूटी पहुंचने वाले प्रहरियों व अन्य जवानों की तलाशी प्रक्रिया समय से पूर्ण कर ड्यूटी से छूटने वाले जवान को घर जाने दिया जाए। सोमवार रात राजेंद्र राठौर 10-15 मिनट विलंब से पहुंचा था। ताकि तलाशी से बचकर वह बंदियों तक गांजे की पुडि़या पहुंचा सके। गांजा की तस्करी के लिए प्रहरी राजेंद्र ने अपनी वर्दी के पैंट में अलग से जगह बनवाई थी। जिसमें वह गांजा की पुडि़या छिपाकर ऊपर से बेल्ट पहन लेता था। सामान्य तौर पर जेल गेट पर जेब की तलाशी ली जाती है। बेल्ट के नीचे गांजे की पुडि़या दबी होने के कारण वह जवानों की नजर से बचता आ रहा था।

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