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यश भारत एक्सक्लूसिव : यहां रूक्मणी से मिलने आते थे श्रीकृष्ण, मप्र के सतना की भरजुना देवी करती है भक्तों को नेत्रदान

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सतना| मध्य प्रदेश के सतना जिले में विराजित मां भरजुना देवी अपने भक्तों को नेत्रदान करती हैं। जी हां! स्थानीय लोगों की मान्यता है कि यहां के जल को आंखों में लगाने से नेत्रों की ज्योति बढ़ जाती है। जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर उत्तर पूर्व में स्थित भरजुना गांव में यह मंदिर है। इसी गांव के नाम पर ही देवी का नाम भरजुना देवी पडा है। नवरात्र का इस क्षेत्र में खास महत्व है। करीब 20 सालों से मां की सेवा कर रहे पंडित ने बताया कि भरजुना स्थान में विराजित मां भवानी साक्षात महालक्ष्मी का रूप है। माई भरजुना अंधों को आंख का वरदान देने के लिए प्रसिद्ध है। 

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दिव्य मूर्तियां है विराजमान

 माँ पूजा करने के लिए त्रिदेव ब्रम्हा, विष्णु और महेश भी विराजमान है

उनके चरणों का जल आंख में लगाते रहने से नेत्रों की ज्योति स्वमेव बढ जाती है। उन्होंने बताया कि जिन भक्तों की मन्नत पूरी होती है, वो मां की डयोढी पर चांदी की आंखें भी दान कर जाते है। यूं तो भरजुना देवी की मूर्ति छोटी है लेकिन उनकी 18 भुजाएं है। इसके अलावा उनकी पूजा करने के लिए त्रिदेव ब्रम्हा, विष्णु और महेश भी विराजमान है। ज्यादातर ग्रामीणों का कहना है कि देवी मूर्ति के नीचे की ओर कई देवी देवता विराजित है। मान्यता है कि त्रिदेव भी उनकी पूजा करते है। यह भी कहा जाता है कि आसपास के इलाके की खुदाई में आज भी कई तरह की मूर्तियां इस क्षेत्र में मिलती रहती है। माना जाता है कि पूर्व में यहां कोई विशाल मंदिर या फिर कोई बडा राजमहल रहा होगा।

 

यह कालांतर में राजा रूक्म की राजधानी कुंदनपुर थी

भरजुना के बारे में लोक मान्यता है कि यह कालांतर में राजा रूक्म की राजधानी कुंदनपुर थी। यहां देवी रूक्मणी मां महालक्ष्मी की पूजा करने आती थीं। मान्यता यह भी है कि इसी मंदिर में श्रीकृष्ण उनसे मिला करते थे और यहीं से उन्हें ले गए थे। हालांकि इन बातों पर कोई ठोस आधार ग्रामीणों के पास नहीं है लेकिन पुरखों से वे ऐसी ही कहानियां सुनते चले आ रहे है।

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