ट्रैप कैमरे, पगमार्क और डीएनए नमूनों से तय होगा बाघ का असली आंकड़ा

ट्रैप कैमरे, पगमार्क और डीएनए नमूनों से तय होगा बाघ का असली आंकड़ा
_ चार साल बाद फिर होगी मप्र के टाइगर रिज़र्व में बाघों की गणना,
यश भारत भोपाल। मध्य प्रदेश के टाइगर रिज़र्व में चार साल बाद एक बार फिर बाघों की गणना की तैयारी शुरू होने जा रही है। वन विभाग और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने संयुक्त रूप से यह अभियान चलाने का निर्णय लिया है। इस बार गणना प्रक्रिया को और अधिक वैज्ञानिक और पारदर्शी बनाने के लिए ट्रैप कैमरों, पगमार्क विश्लेषण और डीएनए नमूनों जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा।
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, प्रदेश के सभी छह टाइगर रिज़र्व कान्हा, बांधवगढ़, सतपुड़ा, पेंच, संजय-डुबरी और पन्ना में यह गणना एक साथ की जाएगी। सर्वेक्षण दलों में प्रशिक्षित वनकर्मी, शोधार्थी और स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।
इस बार प्रत्येक टाइगर रिज़र्व को छोटे-छोटे खंडों में विभाजित किया जाएगा।

ट्रेप कैमरों से होगी गणना
प्रत्येक खंड में तय संख्या में ट्रैप कैमरे लगाए जाएंगे, ताकि बाघों की गतिविधियों को 24 घंटे रिकॉर्ड किया जा सके। साथ ही पगमार्क यानी बाघ के पदचिह्नों का मापन और फोटो रिकॉर्डिंग भी होगी। इनसे बाघों की उम्र, लिंग और गतिविधि क्षेत्र के बारे में जानकारी मिल सकेगी।
इसके अलावा, इस बार बाघों के मल और बाल के नमूने भी एकत्र किए जाएंगे। इन नमूनों को प्रयोगशाला में भेजकर डीएनए प्रोफाइलिंग की जाएगी, जिससे बाघों की वास्तविक संख्या और उनकी पारिवारिक वंशावली की पुष्टि होगी। अधिकारियों का कहना है कि यह तरीका ज्यादा सटीक और भरोसेमंद है।

मप्र को टाइगर स्टेट का दर्जा
वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “मध्य प्रदेश को ‘टाइगर स्टेट’ कहा जाता है। ऐसे में हमारे लिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि बाघों की वास्तविक संख्या और उनकी स्थिति का सही-सही आकलन हो। इससे संरक्षण योजनाओं को और प्रभावी बनाया जा सकेगा।”
बाघ गणना के दौरान न केवल बाघों बल्कि उनके शिकार प्रजातियों और आवास की स्थिति का भी आकलन किया जाएगा। इससे पूरे पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिति का स्पष्ट चित्र सामने आएगा। वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि मध्य प्रदेश ने पिछले दो दशकों में बाघ संरक्षण में उल्लेखनीय सफलता पाई है। पन्ना में एक समय बाघों की संख्या लगभग समाप्त हो गई थी, लेकिन पुनर्स्थापन कार्यक्रमों और कड़े संरक्षण उपायों से अब वहां बाघ फिर से देखे जा सकते हैं। इस नई गणना से प्रदेश में बाघों की मौजूदा स्थिति की अद्यतन तस्वीर सामने आएगी।
राज्य सरकार ने सभी जिलों के कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि गणना अवधि के दौरान सहयोग और सुरक्षा सुनिश्चित करें।
गणना के नतीजे 2026 की शुरुआत तक आने की संभावना है। वन विभाग का मानना है कि इस व्यापक सर्वेक्षण से न केवल बाघों की संख्या का पता चलेगा बल्कि उनके व्यवहार, स्वास्थ्य और क्षेत्रीय विस्तार की जानकारी भी मिलेगी।







