दो विदेशी नस्लों से जबलपुर में बढ़ेंगे सूकर, वेटरनरी को मिला 185.37 लाख का बजट

जबलपुर, यशभारत। मध्य प्रदेश देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है, और इस राज्य में बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोग निवास करते है, जो राज्य की कुल आबादी का 35 प्रतिशत हैं। अनुसूचित जनजाति राज्य की कुल आबादी का 21.1 प्रतिशत और भारत की अनुसूचित जनजाति आबादी का 14.7 प्रतिशत है। सभी पशुओं में से सूकर सबसे मूल्यवान और लोकप्रिय है, क्योंकि अधिकांश अनुसूचित जनजाति आबादी सूकर का मांस पसंद करते है। मध्यप्रदेश में सूकर पालन कम प्रचलन में है, भले ही देश में सूकर की आबादी अधिक है अन्य पशुधन की तुलना में सूकर पालन में कम समय अंतराल में बेहतर एवं अधिक बच्चे देने की क्षमता, अधिक वृद्धिदार के कारण लघु एवं सीमांत किसानों या सबसे निचले सामाजिक-आर्थिक स्तर से संबंधित आय वाले पशुपालक के लिए अधिक आर्थिक लाभ उत्पन्न करने की अधिक संभावना होती है।
उच्च नस्ल के सूकर एवं तकनीकी ज्ञान एवं प्रशिक्षण की कमी इसकी मूल बाधाएं हैं इसलिए सूकर पालकों की सामाजिक आर्थिक स्थिति के अनुसार संकर नस्ल का विकास जो इस क्षेत्र के लिए सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सूकर पालन के महत्व को देखते हुए नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर के कुलपति प्रो. सीता प्रसाद तिवारी के मार्गदर्शन में इस क्षेत्र में तेजी से कार्य किया जा रहा है। फलस्वरूप पशुपालन एवं डेयरी विभाग, मंत्रालय, भारत सरकार के राष्ट्रीय पशुपालन मिशन ने 185.37 लाख के बजट के साथ नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर, मध्यप्रदेश के मध्य प्रदेश राष्ट्रीय पशु पालन मिशन ने महाकौशल जिले में दो विदेशी नस्लों के बड़े सफेद यॉर्कशायर संकर नस्ल के सूकरों का प्रदर्शन मूल्यांकन और स्थानीय सूकरों की विशेषता परियोजना को मंजूरी दी। इस परियोजना के प्रमुख अन्वेषक डॉ. विश्वजीत रॉय, प्राध्यापक , पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन महाविद्यालय, जबलपुर हैं।
इनका कहना है
यह बड़ा प्रोजेक्ट इससे सूकर पालन में पशुपालकों को फायदा होगा। इसमें काम शुरू कर दिया गया है। जल्द ही पशुपालकों को लाभ प्राप्त होगा।
डॉ. एसपी तिवारी, कुलपति नानाजी देशमुख विश्वविद्यालय