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बच्चों का डॉक्टर होना ही खुद पर चुनौती: एमपी पेडिकान वार्षिक सम्मेलन में चाइल्ड सुपरस्पेशलिट डॉक्टरों ने रखें अपने विचार

यशभारत के संस्थापक आशीष शुक्ला ने कहा बीमारी से डरे नहीं, उसका इलाज कराएं

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जबलपुर, यशभारत। बड़े-बूढ़े अगर किसी बीमारी से पीड़ित हो जाते हैं या फिर उन्हें बाडी में कोई तकलीफ होती है तो वह बेधड़क अपनी परेशानी डॉक्टर से बताने में सक्षम होते हैं परंतु ऐसा कुछ एक बच्चे के साथ होता है तो वह सिर्फ रो सकता है, उस वक्त उसकी परेशानी समझना बहुत कठिन होता है इसलिए बच्चों का डॉक्टर होना खुद पर एक चुनौती है। यह व्याख्यान एमपी पेडिकान वार्षिक सम्मेलन में देश सहित अंतराष्ट्रीय चाइल्ड स्पेशलिटस डॉक्टरों ने व्यक्त किए।कार्यक्रम में प्ररेणा स्तोत्र के रूप में मौजूद यशभारत के संस्थापक पत्रकार आशीष शुक्ला मौजूद थे।

उन्होंने अपने लीवर ट्रांसप्लांट का जिक्र करते हुए कहा कि जब इस बीमारी के बारे में पता चला तो थोड़ा मायूस हुआ परंतु शहर के डॉक्टरों ने हौंसला बढ़ाया जिसके बाद दिल्ली मेदांत हॉस्पिटल में सफल लीवर ट्रांसप्लांट हुआ। आज इस बीमारी से निकलें एक साल से ज्यादा का समय हो गया है लेकिन एक पल भी मुझे नहीं लगा है मैं इतनी बड़ी बीमारी से ग्रस्त हूं। यह सब संभव हो पाया डॉक्टर की फीडबैक और दृढ निश्चय से । श्री शुक्ला ने कहा कि आज के सेमीनार का मुख्य विषय बच्चों की बीमारी से जुड़ा हुआ इसलिए मैं यही कहना चाहता हूं कि बच्चों का डॉक्टर होना अलग बात है क्योंकि बच्चों तकलीफ समझना इतना कठिन कार्य है कि उसके माता-पिता भी बच्चे का रोना समझ सकते हैं उसकी तकलीफ नहीं। वार्षिक सम्मेलन के आयोजक डॉक्टर मनीष तिवारी, डॉक्टर आशा तिवारी ने बताया कि हमारे जबलपुर में प्रांत में पहली बार एमपी पेडिकाल के वार्षिक सम्मेलन में बच्चों को होने वाले पेट-लीवर रोगों पर चर्चा के लिए संगोष्ठी और कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में देश-विदेश के नामी पीडियाट्रिक गेस्ट्रोइन्टोलाजिस्ट ने अपना व्याख्यान दिया। कार्यशाला में अमेरिका से डॉक्टर संजय कौल एवं डॉक्टर आकाश पांडे, मोनिका सेन शर्मा, पीपीआई लखनउ डॉक्टर सुमित सिंह, अरविंदो मेडिकल कॉलेज इंदौर डॉक्टर रिमझिम, एकता इंस्टीटयूट आफ चाइल्ड केयर रायपुर ने बच्चों की बीमारी से जुड़े अपने-अपने व्याख्यान दिए। कार्यक्रम का संचालन आईएपी जबलपुर डॉक्टर आशा तिवारी एवं डॉक्टर मनीष तिवारी द्वारा किया गया।

ऐसी कार्यशाला से बहुत कुछ सीखने को मिलता हैः डीन

नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज-अस्पताल के डीन डॉक्टर नवनीत सक्सेना ने कहा कि इस तरह की कार्यशाला से बहुत कुछ सीखने को मिलता है, युवा पीढ़ी के डॉक्टर ऐसी कार्यशला से बहुत अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। कार्यशाला का आयोजन करने वाले डॉक्टर मनीष तिवारी और डॉक्टर आशा तिवारी बधाई देता हूं क्योंकि कम लोग होते हैं जो कार्यशाला में अपना अनुभव साझा करत हैं सबसे बड़ी बात ये है कि जबलपुर नहीं अन्य देश के चिकित्सक भी कार्यशाला में अपनी चिकित्सक पद्वति का अनुभव बता रहे हैं।

देश में भी बच्चांे के लीवर-पेट का सफल इलाज हो रहा

अमेरिका से कार्यशाला में शामिल हुए डॉक्टर संजय कौल, डॉक्टर आकाश पांडे ने कहा कि शुरूआत के दौर में बच्चों को अगर लीवर-पेट की गंभीर बीमारी हो जाती थी तो उसका इलाज संभव नहीं था परंतु अब ऐसा नहीं है जबलपुर सहित देश के अन्य जिलों में भी बच्चों के पेट-लीवर से जुड़ी बीमारियों का इलाज हो रहा है। अब गंभीर से गंभीर बीमारियों पीड़ित बच्चों को बचाया जा रहा है, यह तब संभव है जब डॉक्टर पूरी मेहनत-लगनता से पढ़ाई करें, अनुभव प्राप्त करें।

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