गैर राज्य की आरक्षित वर्ग की महिलाओं को मप्र में विवाह करने पर नहीं मिलेगा आरक्षण का लाभ
हाई कोर्ट ने आरक्षण लाभ न दिए जाने को बताया वैधानिक

JABALPUR. मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला देते हुए मध्यप्रदेश के इतर राज्यों की आरक्षित महिलाओं को विवाह उपरांत प्रदेश की सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ न दिए जाने के सरकार के फैसले को संवैधानिक करार दिया है। दरअसल यह याचिका राजस्थान की सीमा सोनी द्वारा दायर की गई थी, जिसे प्राथमिक शिक्षक चयन में ओबीसी वर्ग का लाभ नहीं दिया गया था। हाई कोर्ट ने मध्यप्रदेश शासन के उक्त नियम को सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच के फैसले के आलोक में संवैधानिक करार दिया है।
यह है मामला
राजस्थान निवासी सीमा सोनी का विवाह नीमच में हुआ था, उसने प्राथमिक शिक्षक के लिए चयन प्रक्रिया में हिस्सा लिया था। सीमा ओबीसी वर्ग में चयनित हुई थी, लेकिन उसे यह कहते हुए ओबीसी के लाभ से वंचित कर दिया गया था कि वह राजस्थान की मूल निवासी है। जस्टिस शील नागू और जस्टिस देव नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने उक्त याचिका की सुनवाई की थी।
याचिका पर अधिवक्ताओ की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने व्यक्त किया कि सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की खंडपीठ ने भारत सरकार की उक्त अधिसूचना 1982 को अपने फैसले में रेखांकित किया है, हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट के अभिमत से असंगत मत नहीं दे सकती तथा हाईकोर्ट अनुच्छेद 141 के तहत मानने को बाध्य है।
सुप्रीम कोर्ट में देंगे चुनौती
याचिका कर्ता के अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर का कहना है की हाईकोर्ट के उक्त आदेश के विरूध याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की जाएगी !