जबलपुर यश भारत।खुशियों का त्योहार दीपावली में एक समय होता था जब लोग मिलकर खुश होते ।लाई, बताशा मीठा एक दूसरे के घर पहुंचने वाली दीपावली ना जाने महंगे महंगे गिफ्ट में कब तक तब्दील हो गई। अब तो यह हाल है कि अधिकारी और समाज में एक सक्रिय वर्ग इतना परेशान है कि नगदनारायण मांगने वालों का तांता लगा हुआ है। समाचार इसलिए लिखना पड़ा क्योंकि जबलपुर के एक बड़े अधिकारी को इसी कारण अपना मोबाइल बंद करके अज्ञातवास में जाना पड़ा है ।हुआ यूं की अपने-अपने क्षेत्र का खुद को सूरमा बताने वाले गिफ्ट व नगदी की चाह में त्यौहार के वक्त शहर के एक बड़े अधिकारी के पास पहुंच रहे थे ।ऐसा नहीं है कि साहब ने भी मेहरबानी नहीं कि उन्होंने भी सबका बाकायदा ध्यान रखने का प्रयास किया ,पर उन्होंने सोचा नहीं था कि उनकी हालत मधुमक्खी के छत्ते जैसी हो जाएगी ,जहां अब इतना शहद ही नहीं बचा था कि सबको खुश रख पाते। स्थिति तो यह हो गई कि साहब त्यौहार में अपना घर छोड़कर मूलगांव चले गए हैं और कसम खा ली कि अब ग्यारस के बाद ही आएंगे। यह सिर्फ एक अधिकारी की स्थिति नहीं है अन्य सभी अधिकारियों और सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय रहने वालों के हालात हैं जिन्हें इस प्रकार के मक्खीरूपी वसूलीबाज इनके छत्ते की शहद चाटने में लगे हुए हैं। अब गिफ्ट लेने वालों और नगदनारायण के लिफाफे के चलते इन सभीअधिकारियों और शहर के एक बड़े वर्ग की स्थिति बड़ी ही दयनीय चल रही है ।यह सब बातें भी समाज को पता होना चाहिए कि इस प्रकार से समाज का एक आइना तब्दील हो रहा है