
भोपाल। आमतौर पर चुनाव सत्तापक्ष और विपक्ष के लिए जंग का मैदान होते हैं, लेकिन इसके बीच प्रशासन की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। स्वस्थ लोकतंत्र में समस्या तब खड़ी होती है जब प्रशासन में बैठे नुमाइंदे चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित मानकों के विपरीत जाकर सत्तापक्ष को सपोर्ट करने लगते हैं। लोकसभा चुनाव के बीच हरदा में प्रधानमंत्री की आमसभा के लिए कृषि उपज मंडी बंद करने का फरमान जारी कर दिया गया, जबकि राजधानी भोपाल में 24 अप्रैल को प्रस्तावित पीएम के रोड शो में भीड़ जुटाने के लिए स्कूलों और कॉलेजों पर दबाव बनाने की कोशिश की गई। राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने अपने मीडिया प्लेटफार्म पर जब इन विषयों को संज्ञान में लेकर सवाल खड़े किए तो दोनों जिलों में प्रशासन के अफसरों को अपने हाथ पीछे खींचने पड़े। श्री तन्खा की पहल के बाद हरदा कलेक्टर ने साफ किया कि पीएम की सभा के लिए मंडी बंद नही की जाएगी।
चुनाव के बीच एमपी में भाजपा और कांग्रेस के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है, ऐसे में दोनों दलों के नेताओं की नजर परस्पर बयानों और प्रतिद्वंद्वी की गतिविधियों पर आ टिकी है। इलेक्शन कमीशन की गाइड लाइन का कौन उल्लंघन कर रहा है, इस पर भी बारीक नजर है। कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा को जानकारी मिली कि हरदा में प्रधानमंत्री की सभा के लिए वहां की कृषि उपज मंडी को बंद किया जाकर उस मैदान का उपयोग किया जाएगा तो उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर सवाल किया कि क्या इंडिया अलॉयन्स के नेताओं की सभाओं के लिए भी प्रशासन मैदान आरक्षित करेगा या मीटिंग को ही सीमित करने का आदेश देगा, जैसा दिल्ली के रामलीला मैदान में कंडीशन्स लगाई गई। उन्होंने सवाल किया क्या एमपी में प्रशासन चुनाव लड़ा रहा है ? क्या किसी निजी जमीन पर राजनीतिक रैली प्रशासन के आश्वासन पर कराई जा सकती है। शासन के खर्चे पर बीजेपी को मैदान उपलब्ध कराना चुनाव आयोग के नियमों के विपरीत है। श्री तन्खा के ध्यानाकर्षण के बाद हरदा कलेक्टर आदित्य सिंह तत्काल सक्रिय हुए और उन्हें सभा के लिए मंडी बंद कराने के निर्णय को वापस लेना पड़ा।
जानकारी के मुताबिक भोपाल में भी प्रशासन पीएम के प्रस्तावित रोड शो में छात्रों की भीड़ जुटाने के लिए स्कूलों और कॉलेज प्रबंधनों पर दबाव बना रहा था। इस मामले को भी श्री तन्खा ने संज्ञान में लेकर सवाल खड़े किए तो अफसरों को अपने प्रयास फौरन रोकने पड़े। दरअसल चुनाव के बीच पूरे प्रदेश में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिनमे विपक्ष भाजपा पर आचार संहिता के उल्लंघन और प्रशासन के दुरूपयोग की शिकायतें लगातार कर रहा है लेकिन हरदा और भोपाल के मामलों से यह भी जाहिर है कि यदि विपक्ष सूझबूझ से कोई वाजिब बात संज्ञान में लाये तो उस पर शासन-प्रशासन को भी आईना दिखाया जा सकता है।